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मोहम्मदी तहसील में रियल टाइम खतौनी अपडेट में गड़बड़ी: 90% मामलों में गलत जानकारी, प्रशासन मौन

मोहम्मदी तहसील में रियल टाइम खतौनी अपडेट में गड़बड़ी: 90% मामलों में गलत जानकारी, प्रशासन मौन

खीरी: मोहम्मदी तहसील में रियल टाइम खतौनी अपडेट के दौरान बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। लगभग 90% खतौनियों में ज़मीन का अंश और ज़मीन धारक की गलत जानकारी फीड कर दी गई है, जिससे जनता में भारी आक्रोश और असमंजस का माहौल है। इस गंभीर स्थिति में प्रशासनिक जिम्मेदारों की चुप्पी ने समस्या को और बढ़ा दिया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, तहसील में रियल टाइम खतौनी को डिजिटल रूप से अपडेट करने की प्रक्रिया चल रही थी, लेकिन तकनीकी खामियों और कर्मचारियों की लापरवाही के चलते अधिकांश खतौनियों में गलत जानकारी दर्ज हो गई। इसका परिणाम यह हुआ कि ज़मीन धारकों की असल स्थिति और अधिकारों को लेकर भारी भ्रम उत्पन्न हो गया है।

स्थानीय निवासियों ने इस स्थिति को लेकर तीखी नाराजगी व्यक्त की है। एक ज़मीन धारक, रामपाल सिंह ने बताया, “हमारे पास पीढ़ियों से चली आ रही ज़मीन की सही जानकारी है, लेकिन जब ऑनलाइन रिकॉर्ड देखा तो उसमें गलत जानकारी दर्ज थी। अब न तो हमें सही जानकारी मिल रही है, न ही किसी अधिकारी से मदद मिल रही है।”

इस गड़बड़ी के बावजूद प्रशासन मौन बना हुआ है और समस्या का समाधान निकालने में कोई तत्परता नहीं दिखा रहा है। जनता की समस्याओं की ओर ध्यान न देने के कारण स्थानीय निवासियों का प्रशासन के प्रति विश्वास कम हो रहा है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा प्रशासनिक सुधार और पारदर्शिता के आदेशों की भी धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं। मुख्यमंत्री के आदेश थे कि ज़मीन से संबंधित सभी रिकॉर्ड सही और पारदर्शी तरीके से अपडेट किए जाएं ताकि जनता को किसी भी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े। परंतु, मौजूदा हालात उनके निर्देशों के विपरीत हैं और प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रहे हैं।

जनता की समस्याओं को देखते हुए आवश्यक है कि जल्द से जल्द इस मुद्दे का समाधान निकाला जाए और गलत जानकारी को सही किया जाए। इसके साथ ही, जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी गड़बड़ियों से बचा जा सके।

समस्याओं के निराकरण के लिए स्थानीय प्रशासन को त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए और जनता को आश्वासन देना चाहिए कि उनकी समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर हल किया जाएगा। इस दिशा में उठाए गए कदम ही प्रशासनिक विश्वास को पुनः स्थापित कर सकते हैं।

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