उत्तर प्रदेशमनोरंजनलखनऊ

यदि श्रीराम के पास, लंका पर पुल निर्माण करते वक्त, नल नील न होते और PWD जैसी किसी संस्था से उन्हें मदद लेनी पड़ती और फिर PWD और सागर के मध्य जो वार्ता होती तो मंजर क्या होता आपके सम्मुख प्रस्तुत है |

हे सागर तुम मार्ग दो हमको, लंका तक सेना जाना है,

तुम लहरों को पीछे ले लो, सीता माता को वापस लाना है

सागर मौन रहा जब कुछ पल, तो PWD टेंशन में आया,

प्रभु राम नाम था पीछे उसके, तो उसका JCB गुर्राया!

बहू अवध के राजा की, रघुवर की वह ब्याहता हैं,

कार्य विकट है सरकारी, टेंशन न, पेंशन लो तुम सारी!

सरकारी कार्य का महत्व बताकर, अपनी वर्णमाला में उलझाया,

फिर सागर को कोने में लाकर , बाधा का अंजाम बताया!!

हाथ जोड़ बेबस सागर ने, सबको अपना शीश नवाया,

फिर बेबस सागर ने PWD को, असहजता की वजह बताया!

मैं जो पीछे हटा हे PWD, सब प्राणी मारे जाएंगे,

मेरी मर्यादा है रक्षण करना, ये बेबस कहाँ को जाएंगे?

यह सुन PWD भन्नाया, छोटा अभियंता मुस्काया,

पीछे बुलडोजर गुर्राया, चिंटू ठेकदार मुरझाया!

ये घोंघा, मछली की बात न कर हमसे, ये कह योजना का मैप दिखाया!

कुछ नही हो सकता अब सुन, अलाइनमेंट का राग सुनाया!

ये मछली मेंढक के चक्कर मे, क्या काम रोक दिया जॉयेगा?

रघुवर के नाम पर तो, कुछ भी कर डाला जॉयेगा!

रघुवर के नाम पर तो, कुछ भी कर डाला जॉयेगा!!

ये देखो ये एक परमीशन, ये देखो वो परमीशन,

ये देखो एक बड़ा पुथन्ना, हमको अब न किसी का सुनना।

सब ok है रे सागर, अब कुछ न देखा जॉयेगा,

सागर का सीना चीर के ही, अब लंका जाया जॉयेगा

जल्द से देदे अब परमीशन, इस कार्य की तुम सागर,

नही तो रघुवर के सम्मुख, तुम्हे रावण मित्र बताया जॉयेगा!

सागर मान सका न उनकी, तब PWD ने धनुष चलाया,

तब जो सूख गया वह सागर, कलियुग तक पनप न पाया!

सागर बन बैठा किवदंती, ऐसा सागर होता था,

अब सागर मध्य मार्ग बचा है, जिस पर रघुवर बैठे रोता था!!

अब सागर मध्य मार्ग बचा है, जिस पर सबका रघुवर रोता था!!

शुक्र है कि यह सब एक कविता, तभी सागर जीवन मुस्काता है,

कहीं अगर यह सत्य हो जाता, तो सागर सच मे खो जाता!!-2

जरा ठहर सोंचो हे PWD, तुम कलियुग में क्या करते हो,

जो धरती माता, है पहले से पीड़ित, तुम उसको पीड़ित करते हो!?

जो नाश आज कर दोगे तुम, वो वापस फिर कब आएगा ?

जो खो रहे हैं आज हम, वहां मरुस्थल रह जॉयेगा!

कार्य तुम्हारा, तुम ही करोगे, बस थोड़ा सा, चिंतन कर लो,

सागर को बिना सुखाए, तुम आज नल नील ही बन लो!

सागर को बिना सुखाए, तुम इस धरती के पुत्र ही बन लो!

कार्य शुरू होने के स्थान पर लगे बोर्ड पर लिखित सन्देश-

कार्य का नाम- भारत से लंका तक डामर रोड का निर्माण

कार्यदाई संस्था का नाम- चिंटू इंफ्राटेक

कार्य की लागत- 50000 मन स्वर्ण आभूषण

कार्य खत्म करने की सीमा- द्वापर युग आने से पहले

त्रेतायुग में , लंका पर चढ़ाई के दौरान ये रामायण का सौभाग्य था कि उनके पास नल नील नामक दो इंजीनियर थे।

न वो पढ़े लिखे थे!

न सिविल से बी टेक थे,

न डिप्लोमा धारी इंजीनियर!

फिर भी अतिदुष्कर सेतु बांधने का एक बहुत बड़ा और अति दुष्कर कार्य, उस काल मे जब पग पग पर प्राणी विद्यमान था, तब बिना एक भी प्राणी को नुकसान पहुंचाए कर डाला था।

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