अपनों पर रहम, गैरों पर सितम, ऐ साहब यह जुल्म न कर

गरीब पात्र आवास से रह गए वंचित, दो तल्ला वालों को मिल गया आवास
गोंदलामऊ/सीतापुर। प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत पात्रों के चयन में जमकर खेल हुआ है। इस खेल का खुलासा अब धीरे-धीरे होने लगा है। बड़ी संख्या में ऐसे लोगों को पात्र घोषित कर लाभ दे दिया गया, जिनके पास पहले से पक्के मकान थे। कई ऐसे लोगों को भी आवास मिल गए, जिन्हें पूर्व में संचालित आवासीय योजनाओं का लाभ दिया जा चुका था। उधर दूसरी ओर पात्रों को लाभ नहीं मिल पा रहा। हकीकत यह भी है कि अपात्रों को लाभ देने के लिए उपहार- उपकार का दौर चला, जो पात्रों के वश का नहीं था। नतीजा यह कि जरूरतमंद अब भी खुले आसमान या फूस की छत के नीचे गुजर बसर कर रहे हैं। पूरा मामला गोंदलामऊ की ग्राम पंचायत गोपालपुर पश्चिमी का है।यहाँ पर अधिकारियों की मिली भगत के चलते कई आपात्रो को आवास आवंटित कर दिये गए। विकास कार्य मे चल रहे खेला की जानकारी सामने आई है।
जानकारी के अनुसार गोपालपुर पश्चिमी के मजरा रामपुर के रहने वाले रामदयाल का पक्का मकान संदना में बना हुआ है।रामदयाल केस एक की पत्नी को पूर्व में आवासीय योजना का लाभ दिया जा चुका है और अब रामदयाल को भी पीएम आवास के तहत पात्र बताकर लाभांवित किया गया है। रामपुर के हरिद्वारी को भी आवास योजना से लाभांवित किया गया है। ग्रामीणों के मुताबिक केस दो हरिद्वारी का चार कमरों का पक्का मकान गांव में ही है। प्रधान और सचिव के साथ हरिद्वारी का उठना बैठना है,इसलिए अफसरों ने उसे भी आवासीय योजना के लिए पात्र बता दिया। रामपुर में ही अमरेंद्र कुमार सिंह को भी आवासीय योजना का लाभ दिया गया है। इनके परिवार को पूर्व में भी एक आवासीय योजना का लाभ दिया जा चुका है केस तीन ग्रामीणों का दावा है कि अमरेंद्र का पक्का मकान गांव में ही बना है। जांच करने आए अफसरों को ग्रामीणों ने हकीकत बताई भी, लेकिन फिर भी उसे आवासीय योजना का लाभ दे दिया गया।
और मायूस रह गए वास्तविक पात्र
रामपुर निवासी राजू मजदूरी करता है। पत्नी पूनम और बच्चों के साथ गांव में ही कच्ची दीवारों के सहारे पड़े छप्पर और पॉलीथीन के नीचे गुजर बसर करता है। उसकी न तो कोई पहुंच थी और न ही वह किसी को उपकृत कर पाया और ऐसे में उसके हिस्से में सिर्फ मायूसी आई। इसी गांव में देवेंद्र रहते हैं। देवेंद्र की पत्नी का नाम भी पूनम देवी है। कच्ची दीवारों के बीच आंगन है। इसकी के कुछ हिस्से पर पॉलीथीन तनी है। इसके नीचे ही देवेंद्र का गुजारा होता है। देवेंद्र मजदूरी करता है, शायद इसीलिए जिम्मेदारों की निगाह उस तक नहीं गई। इसी गांव में राम प्रकाश रहते हैं। पत्नी राजरानी और बच्चे भी हैं। छत छोड़ दीजिए, दीवारें भी चारों तरफ नहीं हैं। पॉलीथिन से ही दीवारें बनाई हैं और ऐसी दीवारों पर छत का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
मामला संज्ञान में नही है जांच कराई जाएगी अगर अपात्रों को आवास मिला है तो जिम्मेदारों पर नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी- गजेन्द्र प्रताप सिंह पीडी डीआरडीए