पेट्रोल-डीजल महंगे होने से किसान फिर से बैल चलित मशीनों और गाड़ियों का प्रयोग करेंगे
गाय संवर्धन और अर्थव्यवस्था से जोड़ने के लिए काम कर रहे जिला लखीमपुर खीरी के गौरव कुमार गुप्ता ने बताया कि शासन को गौशालाओं में बैल को खेती किसानी की मशीनें और गाड़ियों को चलाने का प्रशिक्षण देना प्रारम्भ कर देना चाहिए, इन प्रशिक्षित बैलों से खेती की जुताई खुदाई जैसे कार्य किये जा सकते है। इससे गौशालाओं की आमदनी बढ़ाने, बैलों को अर्थव्यवस्था से जोड़ने से गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है।

लखीमपुर खीरी: पिछले कई दिनों से लगभग हर दिन पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इजाफा देखने मिल रहा है। ऐसे में पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों को देखते हुये किसानों ने फिर से आने जाने के लिए पुराने साधनों का प्रयोग करने लगे है। खेती में आधुनिकता आने के बाद किसानों ने विभिन्न आधुनिक साधनों का इस्तेमाल करना शुरू किया था। हालांकि इन साधनों में अधिकतर डीजल का इस्तेमाल किया जाता था। हालांकि फिलहाल पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों को देखते हुये किसान फिर एक बार ट्रेक्टर और ट्रेलर जैसी चीजों का इस्तेमाल छोड़ कर फिर से एक बार बैल गाड़ी का इस्तेमाल कर के खेत जाने लगे है।
किसानों द्वारा खेत की खुदाई करने से लेकर फसल काटने तक सभी काम के लिए ट्रेक्टर और ट्रेलर जैसे साधनों का इस्तेमाल किया जाता था। हालांकि अब पेट्रोल और डीजल की कीमतें आसमान तक पहुँच गई है। इसके अलावा गैस सिलिंडर की कीमत भी बढ़ गई है। ऐसे में आधुनिक साधनों के स्थान पर अब किसान फिर से बैल गाड़ियों की और मुड़े है। खास तौर पर एक बैल वाले गाड़ियों का इस्तेमाल अधिक किया जा रहा है। क्योंकि मात्र एक बैल होने के कारण उसका ख्याल कम रखना पड़ता है और उसके चारे और अन्य चीजों का खर्च भी काफी कम आता है। ऐसे में डीजल के बढ़ते हुये दामों के चलते किसानों को ऐसा अनिवार्य तौर पर करना पड़ रहा है ऐसा प्रतीत हो रहा है।
गाय संवर्धन और अर्थव्यवस्था से जोड़ने के लिए काम कर रहे जिला के गौरव कुमार गुप्ता ने बताया कि शासन को गौशालाओं में बैल को खेती किसानी की मशीनें और गाड़ियों को चलाने का प्रशिक्षण देना प्रारम्भ कर देना चाहिए, इन प्रशिक्षित बैलों से खेती की जुताई खुदाई जैसे कार्य किये जा सकते है। इससे गौशालाओं की आमदनी बढ़ाने, बैलों को अर्थव्यवस्था से जोड़ने से गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है।