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योगी 2.0 सरकार से भ्रष्टाचार पर कार्यवाही के लिए एफआईआर दर्ज कराने की मांगी गयी स्वीकृति

लखनऊ: वर्ष 2016 में हुए राज्य राजमार्ग 33 खंड बरेली-बदायूं सड़क निर्माण में करोड़ों रुपए के घोटालों की जांच ने एक बार फिर करवट बदली है, इस घोटाले की जांच के लिए लोक निर्माण विभाग से घोटालों से संबंधित दस्तावेजों और तथ्यों के आधार पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (संसोधित) 2018 के तहत कार्यवाही करने के लिए घोटालों के जिम्मेदारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए परमीशन मांगी गई हैं। आपको बताते चलें इस सड़क घोटाले की जांच 2018 से लंबित है जिसमें लोक निर्माण विभाग की जांच एजेंसी प्रावधिक संपरीक्षा कोष्ठ के अधिकारियों द्वारा घोटालों के आरोपियों को क्लीन चिट किया जा चुका है, इस घोटालों की निष्पक्ष कार्यवाही के लिए अभियान चलाने वाले व्हिसिल ब्लोअर ने बताया ” लोक निर्माण विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों ने चोर चोर मौसेरे भाई वाली कहावत चरितार्थ की है। घोटालों को लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने अंजाम दिया और उसकी जांच भी उन्हीं अधिकारियों को सौप दी गयी जबकि उक्त घोटालों के लिए तत्कालीन मुख्य अभियंता ए के मिश्रा ने विभागीय अधिकारियों और राष्ट्रपति सचिवालय तक घोटालों के आरोपपत्र भेजे और कैग ने अपने पत्रों में घोटालों के बारे में स्पष्ट लिखा लेकिन आरोपियों के खिलाफ निष्पक्ष कार्यवाही नही हो सकी। योगी आदित्यनाथ की 2.0 सरकार ने भ्रष्ट अधिकारियों पर ताबड़तोड़ हो रही कार्रवाई को देखते हुए एक बार फिर इस घोटाले की निष्पक्ष जांच की उम्मीद है। अब देखना यह होगा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और लोक निर्माण विभाग के मंत्री जितिन प्रसाद भ्रष्ट अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ कार्यवाही हेतु एफ आई आर दर्ज कराकर दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्यवाही करेंगे या तमाम साक्ष्यों और दस्तावेजों को दरकिनार कर आरोपियों को एक बार और मुक्त कर दिया जाएगा।

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