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बिगबैंग प्रोजेक्ट में काम कर चुके उत्तर प्रदेश के युवा वैज्ञानिक ने दिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सुझाव

सुझाव: भारत सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयास अभी ऊँट के मुँह में जीरा के सामान है, अगर हम आत्मनिर्भर होने की बात करते हहै। मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने की ज़र्रोरत है, उसके लिए Import और Export के पालिसी को और सुधाने की ज़रूरत है , क्यूंकि हार्डवेयर के Market में कई तरह मैटेरियल्स की ज़रूरत होती है। सेमीकंडक्टर बाजार में निर्णायक मौजूदगी के लिए रिसर्च और डेवेलपमेंट की बहुत ज़रूरत है। टेकिन्कल एजुकेशन देने वाले विश्वविद्यालय और संश्थाओं का इंडस्ट्री से मिलकर काम करने की अविलम्ब ज़रूरत है, अन्यथा हम बहुत पीछे चले जाय्गेंगे। याद रखिये जब तक हम खुद से अनुसन्धान करके नयी टेक्नोलॉजी नहीं विकसित करेंगे, तब तक आत्मनिर्भर भारत की बात करना बेईमानी होगी।

नीदरलैंड: अर्धचालक (semiconductor) उन पदार्थों को कहते हैं जिनकी विद्युत चालकता चालकों (जैसे ताँबा) से कम किन्तु अचालकों (जैसे काच) से अधिक होती है। अर्धचालक (semiconductor) की विद्युत चालकता चालकों (जैसे ताँबा) से कम किन्तु अचालकों (जैसे काच) से अधिक होती है। अर्धचालक मूल रूप से एक इन्सुलेटर और एक कंडक्टर के बीच विद्युत चालकता प्रदान करते हैं।

सेमीकंडक्टर्स का उपयोग स्मार्टफोन और क्लाउड सर्वर के साथ-साथ आधुनिक ऑटो, औद्योगिक स्वचालन, महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे और रक्षा प्रणालियों सहित इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की एक विस्तृत श्रृंखला में किया जाता है। इसके निर्माण के लिए बड़ी संख्या में घटकों और प्रौद्योगिकियों की आवश्यकता होती है। दुनिया भर में केवल कुछ ही देशों ने अर्धचालकों के अपने निर्माण को सिद्ध किया है, अन्य देशों को आयात पर निर्भर रहने के लिए छोड़ दिया है।

जब  महामारी से वजह से  शटडाउन ने चिप आपूर्ति में बाधा उत्पन्न की तो कई उद्योगों को बहुत परेशानी का सामना करने पड़ा और भारत में भी इसका बहुत नकारात्मक प्रभाव हुआ खासतौर से ऑटोमोबाइल उद्योग क।। इस लेख में यह जानने की कोशिश करते है की वर्तमान में सेमीकंडक्टर मार्केट की क्या स्थिति है और इसमें भारत की क्या स्थिति है।

सेमीकंडक्टर बाजार और भारत की स्थिति: ताइवान, चीन और दक्षिण कोरिया वैश्विक फाउंड्री बाजार के लगभग 87% के लिए गठबंधन करते हैं। नीचे के टेबल में विभिन्न देशों का Market शेयर दिखाया गया है.

TSMC, ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी का संक्षिप्त रूप है, जो अब तक दुनिया की सबसे बड़ी चिप निर्माता है। यह 600 बिलियन डॉलर से अधिक के मार्केट कैप के साथ दुनिया की छठी सबसे मूल्यवान कंपनी भी है, और ऐप्पल, इंटेल और एनवीडिया की पसंद के लिए चिप्स की आपूर्ति करती है।

TSMC और Samsung ही एकमात्र ऐसी कंपनियां हैं जो आज के सबसे उन्नत 5-नैनोमीटर चिप्स का उत्पादन करने में सक्षम हैं जो iPhones में जाते हैं। हालांकि, ताइवान की कंपनी एक कदम आगे है और 2022 में अपने 3-नैनोमीटर चिप्स का उत्पादन करने के लिए तैयार है, जो सबसे उन्नत फाउंड्री तकनीक पेश करती है।

ताइवान में TSMC (ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी) और दक्षिण कोरिया में सैमसंग दुनिया के 70% सेमीकंडक्टर का उत्पादन करती है। सूची में अन्य कंपनियों में चीन की सबसे बड़ी चिप निर्माता एसएमआईसी (SMIC) शामिल है, जो USA. द्वारा ब्लैकलिस्ट की गई 60 चीनी कंपनियों में से एक है। 2020,ताइवान में फाउंड्री बाजार का 63% हिस्सा है, इसके बाद दक्षिण कोरिया में 18% है। दोनों देशों में  अधिकांश बाजार हिस्सेदारी एक ही कंपनी की है.

ये बहुत ही निराशाजनक है की भारत की स्थिति बहुत ही निराशा जनक है। भारत की कोई भी सेमीकंडक्टर  फाउंड्री (जहा पर चिप का निर्माण होता है ) नहीं है ।

चलिए जानते है की Indian Government इसके लिए क्या प्रयास कर रही है।

आइये  देखते है भारत में Semiconducter मार्केट की क्या स्थिति है।

भारत सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयास: भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई), अपने क्रमिक और सक्रिय कदमों की श्रृंखला के साथ, रचनात्मक सक्षमता के एक युग की शुरुआत करने के लिए देश भर के 120 प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों में अर्धचालक डिजाइन दृष्टिकोण के व्यवस्थित ओवरहाल की प्रक्रिया में है, जहां कोई भी जन्मजात है कौशल, देश में कहीं भी सेमीकंडक्टर चिप्स डिजाइन करवा सकते हैं।

इस प्रक्रिया में, चिप डिजाइन को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप लोकतांत्रिक बनाया जाएगा कि “डिजाइन इन इंडिया” उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि “मेक इन इंडिया”।

इंडिया चिप सेंटर (सी-डैक) में चिप डिजाइन इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराने के लिए EDA (इलेक्ट्रॉनिक डिजाइन ऑटोमेशन), इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर एडेड डिजाइन (ECAD), आईपी कोर और डिजाइन सॉल्यूशंस उद्योग के प्रमुख उद्योग विक्रेताओं के साथ भागीदारी की जा रही है। Synopsys, Cadence Design Systems, Siemens EDA, Silvaco, और अन्य प्रमुख उपकरण विक्रेताओं, IP और डिज़ाइन समाधान प्रदाताओं, और फैब एग्रीगेटर्स के साथ विशिष्ट सहयोगात्मक व्यवस्थाएँ उपलब्ध कराई जा रही हैं।

इंडिया चिप सेंटर (C-DAC) में आयोजित केंद्रीकृत डिजाइन सुविधा में, न केवल पूरे चिप डिजाइन चक्र के लिए सबसे उन्नत उपकरण (यानी फ्रंट-एंड डिज़ाइन, बैक-एंड डिज़ाइन, पीसीबी डिज़ाइन और विश्लेषण, कुछ नाम रखने के लिए, के लिए डिजिटल, एनालॉग, आरएफ और मिश्रित-सिग्नल डिजाइन), 7nm या उन्नत नोड तक जा रहे हैं, लेकिन उद्योग के पेशेवरों द्वारा डिजाइन प्रवाह पर प्रशिक्षक के नेतृत्व / ऑनलाइन प्रशिक्षण की व्यवस्था भी अगले पांच वर्षों के लिए उपलब्ध कराई जा रही है।

वित्त वर्ष 2021-22 में भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात 16 बिलियन अमरीकी डॉलर को पार कर गया। एक क्षेत्र के रूप में इलेक्ट्रॉनिक्स छठे सबसे बड़े निर्यात में कूद गया है

लेखक मंगलेश्वर श्रीवास्तव जौनपुर, उत्तर प्रदेश से हैं और वर्तमान समय में चिप डिज़ाइन में वरिष्ठ वैज्ञानिक है। मंगलेश्वर जी ने इंजीनियरिंग की डिग्री भारत देश से हासिल की है और इनका स्नाकोत्तर जर्मनी से पूर्ण हुई है, जहाँ इन्होने वैज्ञानिक उपलब्धियों निमित्त नीदरलैंड्स देश को चुना और यही सक्रिय है।

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