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घट स्थापना के साथ शुरू हुऐ चैत्र नवरात्र की पूजा

  • माता शैलपुत्री की पूजा अर्चना आराधना से भक्ति मय हुआ वातावरण
  • माता रानी के जयकारों से गूंजे माता रानी के दरबार

सीतापुर। नवरात्रि के प्रथम दिवस माता शैलपुत्री की विधि विधान एवं पूजा अर्चना राधना की गई कहते हैं कि नवरात्रि का पहला दिन देवी माँ शैलपुत्री की पूजा करने के लिए समर्पित है, जिन्हें शैलपुत्री के नाम से भी जाना जाता है, जिन्हें शास्त्रों में पहाड़ों की बेटी के रूप में वर्णित किया गया है। शिला शब्द का अर्थ है चट्टान या पहाड़ और दूसरी छमाही पुत्री का अर्थ बेटी है।

शैलपुत्री को करोड़ों सूर्य और चंद्रमा की तरह अत्यधिक तेजोमय कहा जाता है। वह एक बैल (नंदी) पर सवार होती है और एक त्रिशूल और कमल धारण करती है। उसके हाथों में। वह अपने माथे पर एक चंद्रमा धारण करती है। श्रद्धालुओं द्वारा नवरात्र के प्रथम दिन उठकर स्नान ध्यान कर घरों में बने मंदिर में माता जी का भव्य श्रृंगार कर आकर्षक वस्त्र धारण कराएं और फूलों की माला सिंदूर बिंदी एवं सुहाग का सामान चढ़ाकर माता रानी के प्रथम व्यक्ति पूजा अर्चना प्रारंभ की गई वहीं कई घरों में नवरात्रि के लिए घट स्थापना की गई साथ ही साथ अखंड ज्योत का प्रज्वलन भी किया गया उसके बाद माता रानी को फल फ्रूट मिष्ठान पंचमेवा लौंग का भोग लगाकर माता महामाई की स्तुति की गई एवं आरती के उपरांत अपने नवरात्र व्रत का आरंभ किया गया वही शहरी क्षेत्र आलम नगर दुर्गा मंदिर आदर्श साल रोड माता संतोषी मंदिर एवं पंजाबी धर्मशाला स्थित दुर्गा मंदिर में श्रद्धालुओं का ताता सुबह से ही शुरू हो गया लोग माता रानी के दर्शन कर अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने की कामना करते रहे वही दुर्गा मंदिर एवं पंजाबी धर्मशाला स्थित मंदिर में महिला श्रद्धालुओं द्वारा ढोलक की थाप पर माता नवदुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की गुड़गान भजन के द्वारा किया गया।

महोली संवाददाता के अनुसार चैैत्र नवरात्रि पर्व पर घरों तथा मंदिरों में कलश स्थापना कर मां दुर्गा के विविध रूपों की पूजा अर्चना की गई। शहर के तमाम मंदिरों और घरों पर मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री का विधि विधान से वैदिक पूजन, उपासना को लेकर सभी तैयारियां पूर्ण हुई।

तहसील के उपजिलाधिकारी अभिनव यादव व न.तहसीलदार आलोक यादव ने मंदिरों की साफ-सफाई, सजावट लाइटिंग पूजन-अर्चन तथा दुर्गा सप्तशती के पाठ आदि की व्यवस्था का जायजा लिया। नपं के ईओ दिनेश कुमार व आशुतोष दीक्षित के सहयोग से नगर के संकटा माता, देवीस्थान व बैजनाथ धाम के संतोषी माता मंदिर, तुरंत नाथ मंदिर को समिति के सदस्यों द्वारा साफ सफाई लाइटिंग आदि से सजाया-संवारा गया। बुधवार को देवी के मंदिरों में शुभ मुहूर्त पर कलश स्थापित कर मां दुर्गा की पूजा अर्चना शुरू की गई।

माता के भक्तों ने अपने घरों पर दुर्गा मां की मूर्ति स्थापित कर पूरे नवरात्रि के लिए व्रत रखा। हालांकि तमाम लोग नवरात्रि के दिनों में पहले तथा अंतिम दिन ही व्रत रहते हैं। संतोषी माता मंदिर के महंत अंबरीश गिरी ने बताया कि, नवरात्रि मां दुर्गा की उपासना का महापर्व है। यह 22 तारीख से 29 मार्च तक रहेगा।

बुधवार को सुबह शुक्ल पक्ष में कलश स्थापना के लिए सर्वोत्तम मुहूर्त है। दुर्गा अष्टमी 29 मार्च एवं रामनवमी गुरुवार 30 मार्च को मनाई जाएगी और भक्तगण 31 मार्च को पारण कर सकेंगे। संतोषी माता के मंदिर पर नवरात्रि भर दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है। महमूदाबाद संवाददाता के अनुसार वासंतिक नवरात्र के पावन मौके पर भक्तों ने प्रथम दिन देवी भगवती के शैलपुत्री स्वरूप का विधि-विधान से पूजन-अर्चन किया।

नगर के प्रसिद्ध संकटा देवी मंदिर पर भक्तों ने दर्शन किए और मनौती का प्रसाद चढ़ाया। ‘या देवी सर्वभूतेषु‘ तथा ‘सर्व मंगल मांगल्ये‘ जैसे दुर्गा सप्तशती के मंत्रों से परिसर गुंजायमान रहा। वासंतिक नवरात्र के अवसर पर पहले दिन बुधवार को देवी मंदिरों पर सुबह चार बजे से ही भक्तों का आना-जाना लगा रहा। नवरात्र के प्रथम दिन क्षेत्रभर से आये मां के भक्तों ने संकटा देवी मंदिर में दर्शन किये। भक्तों के आगमन से संकटा देवी मंदिर, काली मंदिर, दुर्गा मंदिर, बुढ़िया माता मंदिर, अंगारमती, बाबा परमहंस मंदिर बन्नी, हरदिहापुरवा स्थित कालिका देवी मंदिर सहित अन्य मंदिरों में देवी मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप का पूजन-अर्चन घरों में कलश स्थापना करने के साथ उपवास कर किया।

शान्ति व्यवस्था के लिए अधिकारियों ने प्रभावी बन्दोंबस्त किया है। बुधवार को पूरे दिन भोर से ही महामाई के भक्तों का मां संकटा देवी के दरबार में तांता लगा रहा।

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