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कर्णाटक के गुरुराज ने सराहा मोहम्मदी का ग्रामीण विकास

अखिल भारतीय समग्र ग्राम विकास के तत्वावधान में किसान उद्यमी गोष्ठी का आयोजन गोमती तट पर बाबा जंगलीनाथ मंदिर के प्रांगण में हुआ। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि कर्णाटक से आये संगठन के सह प्रमुख श्रीमान गुरुराज थे, जिन्होंने समग्र ग्राम के उद्देश्य और अपने अनुभव साझा किये।

कार्यक्रम में गौरव कुमार गुप्ता ने समग्र ग्राम विकास की परिकल्पना को साकार करने के लिए जनभागीदारी हेतु सभी का आव्हान किया। उन्होंने बताया कि भारतीय संविधान ने केंद्र, राज्य और ग्राम सरकार को क्रमशः 97, 67 और 29 विभागों से सम्बंधित निर्णय लेने का अधिकार दिया है। केंद्र और राज्य सरकार तो प्रभावी ढंग से कार्यरत है लेकिन गांव सरकार अभी भी राज्य सरकार के निर्देशों के अधीन काम करती है, जिसको स्वायत्त करने हेतु अभियान चलाने और लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है।

वैश्विक परिदृश्य में देखें तो आयुद्ध आपूर्ति और ऐलोपैथिक दवाएं ही विकसित देशों की अर्थव्यवस्था का मूल आधार हैं। कोरोना महामारी के समय और बाद हमने देखा कि वह सारी अर्थव्यवस्था ढेर हो गयी, हर व्यक्ति अच्छे जैविक खाद्य पदार्थों की ओर देख रहा है। हमारे गांव के संसाधनों और गाय में वह शक्ति है जो पूरे विश्व की जरूरत के अनुसार जैविक खाद्य पदार्थों को उपलब्ध करा सकते है। हमें अपने भौतिक संसाधन व मानव संसाधन को नवीन तकनीक से जोड़ते हुए लोगों की जरूरत को पूरा करना है, जो हमारी विश्व गुरु बनने की महत्वाकांक्षी योजना को पूरा करेगी।

केंद्र सरकार और राज्य सरकार अपने संसाधनो का निजीकरण कर रहे ताकि उनका सदुपयोग और प्रभावी व पारदर्शिता से किया जा सके, अब जरूरत है गाँव के खाली पड़े संसाधनों का सदुपयोग हो, उन संसाधनो का स्थानीय स्तर पर निजीकरण हो ताकि स्वरोजगार बढ़े और देश के विकास में गाँव के संसाधन भी अपना योगदान कर सकें।

किसान को अपने उत्पादों का मूल्य संवर्धन करने के लिए लघु एवं कुटीर उद्योगों को लगाना चाहिए, गाय और स्थानीय वनस्पतियों से जैविक खादों का उत्पादन किसान स्वयं कर सकता है, इससे किसान की लागत कम होगी और बाजार में जैविक उत्पादों की मांग के कारण अच्छे दाम पर उत्पाद भी बेच सकते है। इस तरह किसान अपनी आमदनी को चार गुना कर सकते हैं।
गाय को हमने सिर्फ धर्म और आस्था से जोड़ दिया, जिससे आज उनका अस्तित्व ही संकट में आ गया है। आज हमें गाय को अर्थव्यवस्था से जोड़ने की जरूरत है, गाय के प्रति मानसिकता को बदलने की जरूरत है। गाय के पंचगव्य में मानवजाति के साथ साथ पूरे पर्यावरण को शुद्ध करने की क्षमता है। हम प्राकृतिक मृतक गाय से समाधि खाद बनाएँ जिसका उपयोग जैविक खेती के बहुत उपयोगी है। हमें इसके लिए भी प्रयास करना चाहिए।
उन्होंने स्वयंसेवकों से आग्रह किया कि हम सभी को अपनी क्षमताओं के अनुरूप गांव, गांव पंचायत, न्याय पंचायत और ब्लॉक को गोद लें ताकि वहाँ के संसाधनो और युवाओं महिलाओं को  से जोड़ सकें।

तपन जी, सह प्रमुख अवध प्रान्त – अखिल भारतीय समग्र ग्राम विकास ने गोष्ठी को संबोधित करते हुऐ कहा कि पूर्व में महापुरुषों द्वारा कही गई कार्य पथ पर संघ चलकर गांव ग्रामीणों के जीवन में परिवर्तन जिसमें स्वच्छता जाति भेद एक समान अधिकार पॉलिथीन व्यसन मुक्त गांव तालाब कुआं शिक्षा पूजा पाठ एवं मठ मंदिरों में समान अधिकार एवं सृजन शक्ति का विकास करते हुए भारत वर्ष के अनेकों गांव के कल्याण कार्य करते हुए जिसमें 400 गांव विशेष उल्लेखनीय परिवर्तन हुआ है। शिक्षा स्वास्थ्य में वहां के लोगों द्वारा परिवर्तन आया है समग्र ग्राम विकास द्वारा उक्त कार्य करने हेतु पंच शक्ति – मातृशक्ति युवा, शक्ति ऊर्जा, शक्ति शक्ति, प्राकृतिक शक्ति  एवं सप्त संपदा जैसे जन संपदा, जल संपदा, जंगल संपदा, भू संपदा, भारतीय गौ संपदा, समाज संपदा और अध्यात्म संपदा का संवर्धन करना हैं। इस कार्यक्रम में किसान उद्यमी राम प्रताप सिंह, अजय बाजपेई, नत्थूलाल शुक्ला, हिमांशु, ग्राम प्रधान लल्ला, संतोष कुमार, पवन, अंशुल, प्रदीप मिश्रा, धर्मेंद्र बरार, DRP जे पी राजपूत, गौरव शुक्ला आदि ने समग्र ग्राम विकास के लिए अपने सुझाव रखे।

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