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गलत प्लानिंग और वर्किंग कैपिटल की कमी से डूब रहे यूपी के उद्यमी, HDFC बैंक में फ़्रॉड से बढ़ा संकट!

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के छोटे और मझोले उद्यमियों (MSMEs) के लिए एक गंभीर वित्तीय संकट पैदा हो गया है। सरकारी योजनाओं के अधिकतम लाभ पाने की होड़ में उद्यमी अपनी आर्थिक क्षमता से अधिक का निवेश कर रहे हैं, जिसकी वजह से उनके व्यवसाय सफल नहीं हो पा रहे हैं। उद्यम चलाने के लिए टीन शेड, वर्किंग कैपिटल, और बुनियादी ढांचे की अनदेखी ने कई उद्यमियों को कर्ज में डुबो दिया है।

एचडीएफ़सी बैंक जैसी वित्तीय संस्थाएं मशीनरी के लिए 80% तक का ऋण देती हैं, जिसके लिए उद्यमियों को केवल 20% का अंशदान देना होता है। हालांकि, इस ऋण से उद्यमियों को सिर्फ मशीनें मिल पाती हैं, लेकिन वर्किंग कैपिटल और टीन शेड जैसी आवश्यकताओं के लिए उनके पास वित्तीय संसाधन नहीं बचते। इस वजह से कई उद्यम सही ढंग से शुरू भी नहीं हो पाते और उनका वित्तीय बोझ बढ़ता जाता है।

इस समस्या के बीच लखनऊ स्थित एचडीएफ़सी बैंक के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर खुलासा किया कि अलीगढ़, झाँसी, बहराइच और पीलीभीत में बैंक के कुछ कर्मचारियों द्वारा फ़्रॉड किया गया है। उन्होंने बताया कि इन बैंकों के रिलेशनशिप मैनेजर्स (RMs) उद्यमियों को मशीनें दिलाने के बजाय वेंडर से साँठगाँठ कर पैसे दिलाते थे, और इस प्रक्रिया में भारी कमीशन वसूलते थे। इन मामलों से जुड़े ऑडियो वायरल होने के बावजूद बैंक ने अब तक किसी ठोस कार्रवाई का कदम नहीं उठाया है।

स्थिति और भी गंभीर हो चुकी है, क्योंकि बैंकों को समय पर ऋण अदायगी नहीं हो रही है, और कई उद्यमियों के खाते अब NPA (नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स) बन चुके हैं। बैंक सूत्रों का कहना है कि इस स्थिति के चलते एचडीएफ़सी बैंक ने प्रधानमंत्री फॉर्मलाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइजेज (PMFME) योजना के तहत ऋण देना बंद कर दिया है। इसकी वजह उद्यमियों द्वारा अपने उद्यम स्थापित न कर पाना और समय पर ऋण का भुगतान न कर पाना बताई जा रही है।

विशेषज्ञों का कहना है कि उद्यमियों की असफलता का मुख्य कारण उनकी निवेश योजना में वर्किंग कैपिटल और बुनियादी ढांचे की अनदेखी है। सिर्फ मशीनें खरीदना ही पर्याप्त नहीं है। व्यवसाय को चलाने के लिए उत्पादन लागत, स्टाफ वेतन, कच्चे माल की खरीद और अन्य खर्चों के लिए भी पर्याप्त वर्किंग कैपिटल की आवश्यकता होती है।

सरकार और बैंक दोनों को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की ज़रूरत है ताकि उद्यमी अपनी योजनाओं को सही ढंग से बना सकें और वित्तीय संकट से बच सकें। उद्यमियों को भी अपनी योजना में सभी खर्चों को शामिल कर, सही निवेश रणनीति बनानी होगी, ताकि उनका व्यवसाय सफल हो सके और वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित हो सके।

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