जी-20 समिट देखने को बेताब ग्रामीणों को 5वें दिन भी मिली मायूसी, नहीं आई बिजली

सीतापुर। कहने को तो सूचना के अधिकतम 48 घंटे के अंदर खराब ट्रांसफार्मर बदलने का नियम है। चेयरमैन साहब ने व्यक्तिगत दिलचस्पी ली। ऊपर से लेकर नीचे तक फोनबाजी हुई, फटकार भी लगी, लेकिन 5वें दिन भी बाधित विद्युत आपूर्ति बहाल नहीं हो पाई। यह हाल है बिजली विभाग का। उच्च अधिकारियों के फोन के बाद भी समस्या का समाधान नहीं है।
दूसरे दिन शनिवार को भी ग्रामीण टीवी पर जी समिट का कार्यक्रम नहीं देख पाये। ग्रामीणों को उम्मीद थी कि आज वह प्रदेश के विकास का आगाज टीवी पर जरूर देख पाएंगे, लेकिन पांचवे दिन भी उनके हांथ मायूसी ही लगी। चेयरमैन कार्यालय की दखल के बाद भी बिजली विभाग के कर्मचारी कागजी घोड़े दौड़ाते रहे।
अधिकारियों की दखल के बाद लगा ट्रांसफार्मर, बहाल हुई आपूर्ति
संस्था के सबसे भरोसेमंद और होनहार कर्मचारियों की मदद से प्रदेश के हर नागरिक को प्रबंधित उपयोगी और प्रत्येक नागिरक को लागत प्रभावी बिजली की आपूर्ति करना यूपीपीसीएल का उत्तरदायित्व है और संस्था एवं उसके उत्तरदायी को उनका आर्थिक लाभ कराना तथा देश में अपने अव्वल दर्जे को कायम रखना, भी हमारा लक्ष्य है।
ट्रांसफार्मर बदलने के लिए विभाग को एक सप्ताह देना चाहिए
राज्य सरकार का निर्देश हैं कि शहरी क्षेत्रों में ट्रांसफार्मर जलने पर 24 घंटे और ग्रामीण क्षेत्रों में 48 घंटे के अंदर बदल दिया जाए। सरकार के इन आदेशों का अनुपालन कौन कराए। जब खुद चेयरमैन साहब के कार्यालय के फोन के बाद भी लहरपुर पावर स्टेशन के कर्मचारी सिर्फ कागजी घोड़े दौड़ा रहे हैं तो फिर शहर की स्थिति का अंदाजा आप खुद लगा लीजिए। लाइनमैन से लेकर जेई आखिर फील्ड पर क्या देख रहे हैं। एसडीओ आखिर कैसी मानीटरिंग कर रहे हैं। 6 फरवरी की देर रात लहरपुर के मूड़ीखेरा गांव की लाइट जाती है। 7 फरवरी को ग्रामीण पावर हाउस को सूचना देते हैं। 5 दिन बाद भी सिर्फ कागज कागज हो रहा है। चेयरमैन साहब के कार्यालय के संज्ञान लेने के 26 घंटे बाद भी सिर्फ कागज कागज चल रहा है। ऐसे में 48 घंटे के अंदर ट्रांसफार्मर बदलने वाले निर्देश की अवहेलना न हो इसलिए अधिकारियों को इसकी समय सीमा बढ़ाकर 5 दिन से ज्यादा कर देनी चाहिए।




