अपने फन के माहिर अफसर हैं आईपीएस सुजीत कुमार पाण्डेय

लखनऊ के एडीजी जोन के रूप में संभाला कार्यभार, अपनी तेज तर्रार शैली और मानवीय विचारधारा की पहले ही छोड़ चुके हैं अमिट छाप,
समग्र चेतना/ राहुल तिवारी
लखनऊ। कोविड का वो दौर और नया नया कमिश्नरेट बना लखनऊ और उसके पहले पुलिस कमिश्नर रहे सुजीत कुमार पाण्डेय का कार्यकाल आज भी लोगों के जेहन में तरोताजा है।लखनऊ पुलिस का तेज तर्रार और मानवीय पहलू एक साथ शायद ही पहले ये उसके बाद यहां दिखा हो। लंबा वनवास काटने के बाद इस तेज तर्रार आईपीएस अधिकारी की एक बार फिर मैदान में वापसी हुई है। जिम्मेदारी भले ही नये पद की हो पर अपने पाण्डेय जी इस जोन के मंझे हुए खिलाड़ी हैं। बता दें आईपीएस सुजीत कुमार पाण्डेय पुलिस कमिश्नर से पहले लखनऊ के आईजी जोन रह चुके हैं और कई बड़ी चुनौतियों को उन्होंने पलक झपकते ही हल करके खाकी का इकबाल बुलंद किया था। जोन वही है पर इस बार पद एडीजी का है। सुजीत कुमार पाण्डेय ने सोमवार की सुबह का कार्यभार ग्रहण कर लिया।
लखनऊ में हत्या लूट जैसी वारदातों की तादाद काफी ज्यादा बढ़ गई है। थानों, चौकी की पुलिस पूरी तरह से बेलगाम हैं। थानों चौकी में गरीब फरियादियों की सुनवाई न होना सरकार की किरकिरी जैसी है। लेकिन जैसे ही राजधानी वासियों को पता चला कि लखनऊ में एक बार फिर तेज तर्रार आईपीएस अफसर सुजीत कुमार पाण्डेय की वापसी हुई है और वो भी एडीजी जोन के रूप में,लोगों में मानों खुशी का ठिकाना नहीं रहा। याद नहीं पड़ता कि लखनऊ में पहले कभी किसी पुलिस अफसर से लोगों का इतना दिली जुड़ाव दिखा हो। आईपीएस सुजीत पांडे वो अफसर है जिन्होंने लखनऊ के पहले पुलिस कमिश्नर के तौर पर कार्य किया और लखनऊ की कानून व्यवस्था बेहतर की। इतना ही नहीं कोरोना काल में भी एक अहम रोल निभाया। थानों चौकी का लगातार औचक निरीक्षण करके लखनऊ पुलिस को सजग किया साथ ही जनता व आने वाले फरियादियों के साथ बेहतर व्यवहार कर उनकी समस्याओं को तत्काल निस्तारण कराने का भी पाठ पढ़ाया। सुजीत पांडे के लगातार औचक निरीक्षण से लखनऊ पुलिस में जनता के प्रति अच्छा व्यवहार व समय पर समस्याओं का निस्तारण हुआ जो आज के समय नहीं है क्योंकि कि अधिकारी औचक निरीक्षण कम करते हैं। इतना ही नहीं लखनऊ की ट्राफिक व्यवस्था जो हमेशा हर अफसर के लिए उलझी पहेली रही है ट्राफिक लाइट लगवाकर ट्राफिक व्यवस्था में भी बेहतर सुधार किया। आईजी रेज लखनऊ रहने के दौरान बड़ी से बड़ी बड़ी घटनाओं का खुलासा एक सप्ताह में करके सरकार की छवि को बचाने का काम किया। 12 जिलों में कप्तानी करने के दौरान एक इतिहास रचा। शायद इनकी कार्यशैली से सिर्फ लखनऊ वासी ही नहीं बल्कि अन्य जनपदों के लोग व सम्भ्रान्त व्यक्ति भी मुरीद हुए जो आज भी दूर से मिलने आते हैं। सुजीत पांडे अपने सरल स्वभाव के लिए भी जाने जाते हैं जो हर एक व्यक्ति से मिलने के लिए अपने पास सदैव समय रखते हैं। जनता से भी सीधे रू ब रू होकर मिलना और बडे़ ही मधुर स्वभाव में मिलकर बैठाना और बैठालकर उनकी समस्या को सुनना उनकी दिनचर्या में शामिल हैं।जो शायद अन्य अधिकारियों में नहीं है। लखनऊ पुलिस की मुख्य धारा में उनकी वापसी से अब एक बार फिर से कानून व्यवस्था में चुस्त दुरूस्त होने की उम्मीद जागी है।




