सरोजनीनगर में डेंगू बुखार से युवक की मौत, लोगों में भय

प्रशासनिक अमला सो रहा , स्वास्थ्य विभाग पूरी तरीके से दिखा रहा लापरवाही
समग्र चेतना
सरोजनीनगर लखनऊ। डेंगू बुखार लगातार अपना प्रकोप आम जनता पर छोड़ता जा रहा है।इसके बावजूद प्रशासनिक अमला चुपचाप बैठा हुआ है। सरोजनीनगर क्षेत्र में डेंगू बुखार के कारण एक युवक की मौत भी हो चुकी है।जिसके चलते लोगों में भय की स्थिति उत्पन्न हो गई है। डेंगू बुखार घातक होता जा रहा है।हालात यह हो गए हैं कि लोग अभी तक डेंगू बुखार से पीड़ित होकर सही हो जाने की दशा में चल रहे थे।लेकिन अब इससे मौत होने लगी हैं।जिसका जीता जागता उदाहरण मंगलवार को बंथरा थाना क्षेत्र के नीवां गांव में देखने को मिला। नीवां बरौली गांव के रहने वाले पुत्ती लाल रावत के छोटे बेटे सुजीत कुमार रावत के डेंगू बुखार हो गया था।
जिसका इलाज चल रहा था। कई दिनों तक इलाज चलने के बाद तबीयत ठीक नहीं हुई और मंगलवार को सुजीत की मौत हो गई। सुजीत की मौत ने क्षेत्र के लोगों को और भी झकझोर कर रख दिया है। डेंगू बुखार लगातर हमलावर हो रहा है फिर भी स्वास्थ्य महकमा पूरी तरीके से लापरवाही दिखा रहा है।जिसकी वजह से ग्रामीण इलाके के गांवों में किसी भी प्रकार की दवा का छिड़काव न कराने के कारण डेंगू के मच्छर लोगों पर हावी हो रहे हैं।
क्षेत्र के लगभग प्रत्येक गांव में दर्जनों की तादाद में डेंगू बुखार से लोग कहर रहे हैं।जिसका इलाज लोग अपनी क्षमता अनुसार अस्पतालों में करा रहे हैं।लेकिन इस तरफ प्रशासनिक अमला पूरी तरीके से अनजान बना बैठा हुआ है।जिसकी वजह से गांवों की गंदगी की व्यवस्था जस की तस बनी हुई है।जिससे डेंगू बुखार सहित अन्य बीमारियां पनप रही हैं।इतना ही नहीं कहीं पर भी दवाओं का छिड़काव नहीं कराया गया है।जबकि सूत्र बताते हैं कि दवा छिड़काव के नाम पर ग्राम सभाओं में 10000/15000 रुपए भी मुहैया करा दिए गए हैं। क्षेत्र में यदा-कदा ग्राम सभाओं को छोड़ दिया जाए तो अन्य किसी ग्राम सभा में भी दवा का छिड़काव अभी तक नहीं कराया गया है।नाही गंदी गालियां साफ की गई। आए हुए धन का बंदरबांट कर कागजों पर सफाई व्यवस्था और दवा का छिड़काव जरूर करा दिया गया होगा इसकी संभावनाएं पूरी हैं। ज्ञात हो कि संचारी बीमारियों की रोकथाम के लिए चल रहा अभियान मात्र छलावा साबित हो रहा है।क्योंकि यह अभियान मात्र कागजों तक ही समिति होकर रह गया है।
अधिकारियों के निर्देश पर पर भी अगर किसी तरीके से गांव का निरीक्षण देर से बेर किया भी गया तो उसमें भी सारे प्रयास विफल ही साबित हुए हैं।इस अभियान को सफल बनाने में लगे अधिकारियों ने शासन को चाहे जो रिपोर्ट अपनी पीठ थपथपा ने के लिए भेजी हो।लेकिन गांवों की व्यवस्था जस की तस बनी हुई है।लगें गंदगी के अंबार सड़ रहे हैं।जिससे खुलकर सांस लेना भी नामुमकिन हो रहा है।मच्छर जनित रोगों को रोकने के लिए अभियान जरूर चलाया गया। इसके तहत नालियों की सफाई के साथ दवाओं का छिड़काव भी कराना आवश्यक था। परंतु कहीं पर कुछ नहीं हुआ। शासन की नजर में भले ही अधिकारियों द्वारा अभियान चलाकर धन को खर्च किया जा रहा हैं। लेकिन गांवों के हालात में कोई भी व्यापक असर अभी तक नहीं पड़ा है।जिसकी वजह से डेंगू बुखार के मरीजों की बाढ़ सी आ गई है।




