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दलाल से मिले तभी काम होगा नहीं टहलते रहो

  • हाल ए तहसील सरोजनीनगर
  • सरोजनीनगर नगर तहसील बनी दलालों का अड्डा

राहुल तिवारी

सरोजनीनगर -लखनऊ। राजधानी की सरोजिनी नगर तहसील में दर्जनों की संख्या में प्राइवेट कर्मचारियों दलालों का बोलबाला है। लेखपाल से लेकर तहसीलदार तक सभी के पास बाकायदा प्राइवेट आदमी काम कर रहे हैं। हाल यह हो गया है कि इन प्राइवेट दलालों की गिरफ्त में सरोजिनी नगर तहसील इस कदर आ गई है कि आम आदमी की पहुंच लेखपाल तक भी नहीं रह गई है तो वह उच्च अधिकारियों तक कैसे पहुंच सकता है।

दलाल अपने आप ही फरियादियों व आगंतुकों का काम मनमाने ढंग से अपने स्तर पर मनमानी फीस वसूल करते हुए कराते रहते हैं। दलालों का आलम यह है कि प्रत्येक कमरे में उन्हीं का जमावड़ा दिनभर बना रहता है वहीं अधिकारी भी उन्हीं के भरोसे अपना सारा काम छोड़ कर खुद कुर्ती से गायब रहते हैं। एक और जहां सरकार गरीबों पीड़ितों व जरूरतमंदों के लिए समय पर उनकी समस्याओं का निस्तारण करने को लेकर कई तरह के आवश्यक कदम उठा रही है चाहे वह तहसीलों में होने वाला संपूर्ण समाधान दिवस हो या थानों में समाधान दिवस लेकिन इन समाधान दिवसों में आए हुए कितने फरियादियों की समस्याएं दूर हो पाती हैं यह बहुत ही खेद का विषय है।

इन्हीं दलालों के चक्कर में संपूर्ण समाधान दिवस मात्र दिखावा व कागजी खानापूर्ति साबित हो रहे हैं बीते शनिवार को बख्शी का तालाब में संपूर्ण समाधान दिवस में पहुंचे जिलाधिकारी ने तहसीलों में किसी भी प्रकार से बाहरी प्राइवेट स्तर के कर्मचारियों दलालों को काम करने को लेकर कड़ी आपत्ति जताई थी और कड़े शब्दों में कहा था कि यदि तहसील में प्राइवेट कर्मचारी दलाली करते हुए पाए गए तो कड़ी कार्यवाही की जाएगी लेकिन सरोजनी नगर तहसील में शायद जिलाधिकारी के आदेश भी कोई मायने नहीं रखते।

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