आखिरकार क्यों भ्रष्ट अधिशासी अभियंता पर कार्यवाही से बच रहे हैं अधिकारी?

ऊर्जा मंत्री का आदेश भी दबा गए अधिकारी,आर्थिक अपराध शाखा की दो बार की जांच में लाखों के गबन का दोषी पाया गया था अभियंता आर पी केन,
लखनऊ। (Rahul Tiwari) मीडिया में लगातार मामला उछलने के बाद भी लाखों का गबन करने वाले अधिशासी अभियंता आरपी कैन पर अब तक कोई कार्यवाही नही की गई बल्कि उसे एमडी और चेयरमैन का पूरा संरक्षण मिल रहा है यही कारण की जिस अभियंता पर गबन का आरोप एक नही दो बार सिद्ध हो चुका है और खुद ऊर्जा मंत्री भी इस भ्रष्ट अभियंता पर कार्यवाही के आदेश दे चुके है उसे एमडी मध्यांचल कार्यालय में तैनाती दे दी गयी।
विधुत वितरण खंड सेस द्वितीय हो या प्रथम एक पुरानी कहावत है कि जिसकी लाठी उसकी भैंस यह कहावत उस तत्कालीन अधिकारी के ऊपर सटीक बैठ रही है जो 2010 में विधुत वितरण खंड सेस द्वितीय के सबस्टेशन में अधिशासी अभियंता के पद पर तैनात था और लाखों रूपये के गमन में आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन की जांच में दोषी पाया गया वह भी एक बार नहीं बल्कि दो बार। यही नही जांच होने के बाद जिस पर धारा 409/467/471/120 बी भादविं व धारा 13 (1) धारा 13 (2) 1988 के अन्तर्गत विधिक औपचारिकताएं भी पूर्ण करते हुए आरोप पत्र भी न्यायालय में प्रेषित किये जाने की संस्तुति दे दी गई। बात यहीं खत्म नही होती, विधायक नीरज बोरा द्वारा भी विधानसभा में प्रशन्न काल के दौरान दिनांक 25-2-2021 को सवाल उठाने पर उर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने भी वकतव्य में स्वीकार किया कि अधिशासी अभियंता आर पी केन दोषी है और मंत्री श्रीकांत शर्मा ने ख़ुद विभाग को केन के खिलाफ न्यायालय में चार्ज शीट दाखिल करने के लिए आदेश दिया। इतना कुछ होने के बाद भी एमडी मांध्यांचल से लेकर चेयरमैन एम देवराज की अनुकम्पा भ्रष्ट अधिशासी अभियंता आर पी कैन पर लगातार बरस रही है।
इन दोनों अधिकारियों ने कार्यवाही तो दूर अब इस भ्रष्ट अधिशासी अभियंता आर पी केन का न सिर्फ प्रमोशन अधीक्षण अभियंता के तौर पर कर दिया गया बल्कि इसे मध्यांचल मुख्यालय, गोखले मार्ग पर ही अटैच कर तैनाती भी दे दी गयी। ऐसे अधिकारी जिनके ऊपर लाखों रुपए के गमन का आरोप सिद्ध हो चुका है जिसको स्वयं उर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा संज्ञान में लेकर न्यायालय में चार्जशीट दाखिल करने का आदेश जारी कर चुके है। लेकिन एमडी से लेकर चेयरमैन तक अब अपने इस कमाऊ व भ्रष्ट अधिकारी को बचाने के लिए उर्जा मंत्री के आदेश को ही ठेंगा दिखा रहे हैं।
गौरतलब है कि 2017 में आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन (eow) द्वारा वारंट जारी होने पर ये महाभ्रष्ट अधिशासी अभियंता ने स्टे पाने के लिए उच्च न्यायालय लखनऊ का भी दरवाजा खटखटाया था लेकिन आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन ने वहाँ भी अपना एफिडेविट लगा दिया जिसके चलते इस महाभ्रष्ट अधिशासी अभियंता आर पी केन को वहाँ से भी राहत नहीं मिली थी।



