धरने का 58वां दिन, एक नवंबर को किसान लेंगे जल समाधि

लखनऊ। पिछले 58 दिनों से बीकेटी विधानसभा के इटौंजा में किसान धरने पर बैठे हैं। मांग सिर्फ इतनी है कि चंद किसानों की जमीन भू माफियाओं के चंगूल से आजाद हो जाए। दो दिन पहले मलिहाबाद प्रशासन ने जमीन की नपाई की बात कही थी लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी मायूसी ही हांथ लगी।
मोदी भक्त/योगी भक्त तिरंगा महाराज ने भी प्रण ले लिया है कि बिछी हुई दरी और गड़ा हुआ तंबू अब तब तक नहीं उखड़ेगा जब तक समस्या का समाधान नहीं हो जाता। शुक्रवार को तिरंगा महाराज ने कहा है कि कि अब किसानों का धैर्य टूट रहा है। सिर्फ किसानों की जमीन से भूमाफियाओें के कब्जे को हटवाने के लिए 2 महीने से धरना दिया जा रहा है लेकिन प्रशासन के कांनों में आवाज नहीं जा रही।
एक के बाद एक भूमाफियाओं पर ताबड़तोड़ कार्रवाई हो रही हो। खुद मुख्यमंत्री बुल्डोजर बाबा के नाम से मशहूर हो गए हों। फिर क्यों, प्रदेश सरकार और प्रदेश के मुखिया की मंसा को अधिकारी समझ क्यों नहीं रहे, ये बड़ा सवाल है। तिरंगा महाराज ने कहा है कि अगर निलांश वाटर पार्क के कब्जे से किसानों की जमीन आजाद नहीं कराई गई तो उनका अनशन जारी रहेगा। तिरंगा ने यह भी कहा कि एक नवंबर को वह जल समाधि लेंगे। आपको बता दें कि इंटौंजा स्थित नीलांश वाटर पार्क में किसानों की भी है। तिरंगा महाराज का कहना है कि जमीन की नपाई हो जाए जो जमीन किसानों की है वो उन्हें दे दी जाए। बस इतनी सी मांग के लिए आज धरने का 58वां दिन भी हो गया। मलिहाबाद अधिकारियों की कमजोर इच्छा शक्ति या यूं कहें की ऊपरी दबाव ने आज इस मामले को इस मुहाने पर लाकर खड़ा कर दिया है। ये हाल राजधानी लखनऊ की उस विधानसभा का है जहां से राजनाथ सिंह जैसे नेता चुनाव लड़ चुके हैं। रामसागर मिश्र, भगवती सिंह जैसे नेताओं का ये क्षेत्र रहा है। कभी अटल बिहारी बाजपेई प्रधानमंत्री रहते हुए इस क्षेत्र में कई बार आए।




