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विकास खण्ड में अपनी सरकार व नियम चलाती है बीडीओ काजल रावत

नियमों को दरकिनार कर नामित कर लिया एडीओ पंचायत और लाखों के कार्यों को दिला दी वित्तीय स्वीकृत
जिलाधिकारी ने दिए जांच के आदेश

सीतापुर। अपनी कार्यशैली को लेकर चर्चा में रहने वाली खण्ड विकास अधिकारी परसेण्डी काजल रावत एक बार फिर सुर्खियांे में है। इस बार उन पर शासन के नियमों को दरकिनार कर जिलाधिकारी,सीडीओ व डीपीआरओ जैसे अधिकारियों के अधिकार प्रयोग कर ब्लाक में एडीओ पंचायत को नामित कर नियम के विरुद्ध करीब सत्तर लाख के दो दर्जन कार्यों को वित्तीय स्वीकृत दिला दी। मामला जिलाधिकारी की चौखट पर पहुंचा तो डीएम ने बीडीओ को जमकर फटकार लगाते हुए सीडीओ को कार्यवाही के निर्देश दिए है। डीएम के निर्देश पर सीडीओ ने स्पष्टीकरण जारी कर जवाब मांगा है।

मालूम हो विकास खण्ड परसेण्डी में तैनात बीडीओ काजल रावत कभी मनरेगा भुगतान में कमीशन के आरोप तो कभी आपरेटरों को हटाने को लेकर चर्चा में रहती है। इस बार वह नियमों को दरकिनार कर ब्लाक में एडीओ पंचायत को नामित कर चर्चा में आ गई है। ब्लाक परसेण्डी में एडीओ पंचायत का प्रभार सचिव अशोक यादव के पास था लेकिन तीन नवम्बर को अशोक यादव चिकित्सीय अवकाश लेकर लंबी छुट्टी पर चले गए। जिसके बाद खण्ड विकास में एडीओ पंचायत का प्रभार अपने चेहतों को सौपनें की कवायद बीडीओ द्वारा करना शुरु हो गया।

बीडीओ ने पहले सचिव मुमताज को प्रभारी एडीओ पचायंत बना दिया और ग्राम पंचायतों के कार्यों के वित्तीय स्वीकृत करने का दबाव बनाया जब मुमताज से जिला मुख्यालय से आदेश के बगैर कार्य स्वीकृत मना कर दिया। जिसके बाद बीडीओ ने 14 नवम्बर को रामकिशोर वर्मा को सहायक पंचायत अधिकारी का प्रभार देते हुए नियमों को दरकिनार कर ग्राम पंचायतों में करीब दो दर्जन ग्राम पंचायतों में सत्तर लाख के कार्यों को वित्तीय स्वीकृत दे दी। जबकि नियमानुसार एडीओ पंचायत नियुक्त करने का अधिकारी सीडीओ के अनुमोदन के बाद डीपीआरओ को होता है और ब्लाक के सीनियर सचिव को ही एडीओ पंचायत का चार्ज दिया जाता है। बीडीओ काजल रावत की मनमानी को लेकर कई प्रधानों व अराजनैतिक संगठनों ने जिलाधिकारी से शिकायत की है। जिलाधिकारी अनुज सिंह ने मुख्य विकास अधिकारी से मामले की जांच कर कार्यवाही के निर्देश दिए है।

पूर्व में भी लग चुके है गंभीर आरोप
बीडीओ काजल रावत पर सिधौली व कसमण्डा में तैनाती के दौरान गंभीर आरोप लग चुके है। हाल में ही परसेण्डी के कई प्रधानों ने मुख्य विकास अधिकारी को मनरेगा भुगतान में सात प्रतिशत कमीशन मांगे जाने के आरोप लगाए थे। जिसे बीडीओ ने सिरे से खारिज कर दिया था। प्रधानों ने बीडीओ पर आरोप लगाते हुए कहा कि जिन ग्राम पंचायतों के प्रधानों ने मनरेगा के भुगतान में सात प्रतिशत कमीशन दिया था उनका वर्ष 2021-22 का भी भुगतान कर दिया गया है अन्य ग्राम पंचायतों का तीन वर्ष के पुराने भुगतान रोक दिए है।

आखिर क्यों दो दिन नही किया गया इंतजार
ग्राम पंचायतों में निर्माण कार्य की वित्तीय स्वीकृतियों मे बीडीओ द्वारा दो दिन का इंतजार न करना कही न कही बडे भ्रष्ट्राचार की ओर इशारा किया जा रहा है। कई प्रधानों ने बीडीओ पर गंभीर आरोप भी लगाया है। प्रभारी एडीओ पंचायत के चिकित्सीय अवकाश पर जाने के बाद जब बीडीओ ने नए एडीओं पचांयत को नामित करने के लिए प्रस्ताव मुख्यालय भेज दिया था तो ऐसे में उन्हे मुख्यालय के आदेश का इंतजार करना था लेकिन बीडीओ की जल्दबाजी कहीं न कही बड़े घोटाले को इशारा दे रही है।

नही उठता है फोन
बीडीओ काजल रावत का मोबाइल कभी भी नही उठता है। उनके पास परसेण्डी के साथ साथ बिसवां ब्लाक का भी प्रभार है प्रकरण में जब उनसे बात करने की कोशिश की गई तो उनका फोन नही उठा। बीडीओ का फोन न उठाना सरकार के मंसूबों पर पानी फेर रहा है।

जिलाधिकारी के निर्देश के बाद बीडीओ परसेण्डी पर लगे आरोपों को लेकर बीडीओ को पत्र जारी कर स्पष्टीकरण मांगा गया है जवाब आने के बाद जांच की जाएगी अगर दोषी होगी तो कठोर कार्यवाही की जाएगी-अक्षत वर्मा सीडीओ सीतापुर

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