उत्तर प्रदेशलखनऊ

बंथरा के गांवों में ताड़ी की खुलेआम हो रही बिक्री पर लगाम लगाने में बंथरा पुलिस व आबकारी टीमें फेल

राहुल तिवारी/ समग्र चेतना
लखनऊ-बंथरा। बंथरा थाना क्षेत्र के तमाम गांव में इस वक्त ताड़ी के तेवर दिखाई दे रहे हैं। थाने के चंद्र कदमों से ही ताड़ी की महक शुरू हो जाती है लेकिन इसकी सुगंध आबकारी और पुलिस से फिलहाल दूर है। क्षेत्र में हजारों की संख्या में ताड़ के पेड़ों से अवैध तरीके से ताड़ी निकाली जा रही है और सड़क पर ताड़ी के ठेके लगाए जा रहे हैं। जिन अड्डों पर क्षेत्र व शहर के लोग ताड़ी पीने के लिए आते हैं। इतना ही नहीं मोटरसाइकिल समेत अन्य वाहनों से ताड़ी क्षेत्र के बाहर भी पहुंचाई जा रही है लेकिन पुलिस और आबकारी विभाग के आला अधिकारी इस पर किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं कर रहे हैं।

वही सूत्र बताते हैं कि प्रत्येक ताड़ी के पेड़ का 500 रुपए जिम्मेदारों को पहुंचाया जाता है। जिनके पेड़ों के पैसे जिम्मेदारो तक या आलाकमान तक नहीं पहुंचता हैं उन्हें ही पकड़ कर पुलिस प्रशासन अपनी पीठ थपथपा लेती है। उधर सड़क के किनारे बेच रहे अवैध ताड़ी के ठेकेदार दिन का दिन मालामाल होते जा रहे हैं। जिन क्षेत्रों में ताड़ी के अड्डे लगाए जाते हैं उधर से आम राहगीरों का निकलना मुश्किल होता है। वही स्कूल जा रहे छात्र-छात्राओं को भी इस समस्या का दंश झेलना पड़ रहा है लेकिन आबकारी विभाग व पुलिस प्रशासन के लोग इस बात से अंजान बने हुए हैं।

क्षेत्र में ताडी के समय खासकर स्कूली छात्राओं के परिजनों को कहीं कोई घटना ना हो जाए इसकी आशंका बनी रहती है फिर भी अपनी जान को जोखिम में डालकर बच्चों को पढ़ाने के लिए इस दुर्ग व्यवस्था को लांघ कर भेजते ही हैं। वहीं अगर ताड़ी की नियमित दुकानों की बात की जाए तो उन दुकानों में भी जहरीली ताड़ी पिलाई जा रही है जिसके चलते लोगों का स्वास्थ्य गड़बडा रहा है। क्षेत्र के गढ़ी चुनौटी, बादेखेड़ा, लोनहा, रामदासपुर, औरावा ताड़ी का गढ़ मन जाता है। यह सभी गांव थाना बंथरा के अंतर्गत आते हैं और इन ताड़ो को बनाने वाले कारीगर कई बार तो अपनी कीमत जान देकर चुका चुके हैं।

फिर भी इन अवैध ताड़ी के ठेकेदारों के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं हो रही है न ही ताड़ के पेड़ो पर चढ़ने वाले कारीगरों को किसी प्रकार से प्रशासन की तरफ से कोई प्रशिक्षण दिया जाता है। ताड़ी उतारने वाले कारीगरों के पास से 6 इंच से भी ज्यादा लंबी चाकू रहती है जिसका इस्तेमाल फल को काटने के लिए करते हैं क्योंकि फल को काटने के बाद ही ताड़ी निकलती है इसचाकू की चूक से भी कई कारीगरों की जान जा चुकी हैं। और पूर्व में कई हमले भी चाकू के द्वारा किए गए हैं बाउजूद इसके ऐसे अवैध हथियारों के विरुद्ध न तो प्रशासन के द्वारा कोई कार्यवाही होती है और ना ही अवैध ताड़ी के संचालकों के विरुद्ध सख्ती बरती जाती हैं। जिससे क्षेत्र की जनता में काफी रोष है।

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