उत्तर प्रदेशलखनऊसमग्र समाचार

हरी झंडी दिखाकर डीएम ने फसल अवशेष प्रबंधन के प्रचार वाहनों को किया रवाना

सीतापुर। पराली (फसल अवशेष) जलाने के दुष्प्रभावों के सम्बन्ध में किसानों के बीच जन-जागरूकता प्रसार के उद्देश्य से फसल अवशेष प्रबन्धन के प्रचार वाहनों को जिलाधिकारी अनुज सिंह द्वारा हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया गया। यह प्रचार वाहन जनपद के सभी विकास खण्डों में एक सप्ताह तक गाँव-गांव जाकर पराली जाने से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में किसानों को जागरूक करने के साथ ही फसल अवशेष प्रबन्धन के विषय में जानकारी देंगे। प्रचार वाहनों को रवाना करने के पश्चात जिलाधिकारी द्वारा बताया गया कि फसल अवशेषों को जलाना किसी भी प्रकार से लाभदायक नहीं है।

फसल अवशेष जलाने से मृदा रुपी, किसानों की आय-वृत्ति, जिसके माध्यम से किसान भाई फसल उपजाते है को अकल्पनीय नुकसान होता है साथ ही जिस प्राण-वायु को श्वांस के माध्यम से हम शरीर में ग्रहण करते है वह भी प्रदूषित होती है। जिला कृषि अधिकारी द्वारा बताया गया कि सर्वाेच्च न्यायालय के आदेशों के क्रम में पराली जलाये जाने पर पूर्णतया रोंक लगाते हुये जुर्माना का प्राविधान भी किया गया हैै। 2 एकड़ से कम भूमि वाले किसानों से 2500रूपये का जुर्माना प्रति घटना, 2 से 5 एकड़ भूमि वाले किसानों से पांच हजार रूपये का जुर्माना प्रति घटना तथा 5 एकड़ से अधिक भूमि वाले किसानों से 15000रूपये का जुर्माना प्रति घटना होगा। उप कृषि निदेशक द्वारा किसानों से पराली न जलाये जाने की अपील करते हुए बताया गया कि जनपद में कृषक उत्पादक संगठनों तथा अन्य विभिन्न समितियों को फार्म मशीनरी बैंक की सुविधा प्रदान की गयी है, जहां से फसल अवशेष प्रबन्धन यंत्रों को किराये पर लेकर कृषक भाई पराली का निपटान आसानी से कर सकते है। इसके साथ ही पराली का उपयोग खाद बनाने, पशुओं के बिछावन और चारे के रूप में किया जा सकता है। किसानों को चाहिए कि पराली को खेत में बिखेर कर जुताई करें तथा इसके बाद यूरिया का प्रयोग करते हुए सिंचाई कर दें। कुछ दिनों में पराली सड़कर खाद बन जाएगी। इस प्रकार पराली निपटान से मृदा की उपजाऊ क्षमता भी बढ़ेगी तथा पर्यावरण भी प्रदूषित नहीं होगा।

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