उत्तर प्रदेशलखनऊ

सरोजनीनगर में क्षेत्रीय मुद्दों पर नहीं बात कर रहा कोई प्रत्याशी

ग्रामीण क्षेत्र में काफी बद्तर है हालात

राहुल तिवारी

लखनऊ। सरोजनी नगर विधानसभा क्षेत्र में मतदान का समय धीरे-धीरे काफी नजदीक आता जा रहा है लेकिन कोई भी प्रत्याशी क्षेत्रीय मुद्दों की बात नहीं कर रहा है । सरोजनी नगर विधानसभा क्षेत्र  का अधिकांश हिस्सा कहने को तो शहरी क्षेत्र में जुड़ा हुआ है लेकिन विकास की स्थितियां ग्रामीण अंचलों से भी बदतर है ।

क्षेत्र की अधिकांश गलियां रास्ते टूटे-फूटे पड़े हैं , कहीं भी समुचित जल निकासी की व्यवस्था न होने के चलते हल्की सी बरसात होते ही अधिकांश क्षेत्र छोटे छोटे तालाब के रूप में परिवर्तित हो जाता है । जिससे रोजमर्रा के काम करने वालों देश का भविष्य बच्चों को विद्यालय जाने में तमाम असुविधाओं का सामना करना पड़ता है ।

पूरा क्षेत्र ट्रैफिक जाम की व्यवस्था से जूझता रहता है आए दिन मार्ग दुर्घटनाएं होती रहती है और लोगों की जाने जाती रहती हैं किंतु इसके निराकरण की बात करने वाला कोई दिखाई नहीं देता । जहां भाजपा प्रत्याशी राजेश्वर सिंह केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की बात कर मतदाताओं को रिझाने में लगे हैं , और क्षेत्र में युवाओं हेतु रोजगार सृजन की बात करते हैं।

किंतु सरोजनी नगर का नादरगंज औद्योगिक क्षेत्र व स्कूटर इंडिया औधोगिक क्षेत्र 15-20 वर्ष  पूर्व गुलजार हुआ करता था। जहां छोटे बड़े सैकड़ों  कारखाने थे ,जिनमे हजारो लोग कार्य कर अपने परिवार का जीवन याचन करते थे किंतु पिछले 15-20 वर्षों में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के आगमन और सरकारों द्वारा छोटे कल कारखानों को तवज्जो न देने के चलते अधिकांश कारखाने बंद हो गए । जिससे इस क्षेत्र के लोग बेरोजगारी के मकड़जाल में उलझ कर बर्बाद हो गए। इन स्थितियों में भाजपा प्रत्याशी लोगों को यह नहीं बता पा रहे हैं कि वह रोजगार कहां से देंगे ।

इसके साथ-साथ उनके साथ चलने वाली टीम भी लोगों से उनकी दूरी बढ़ाने का काम कर रही है । लोगों का कहना है कि चुनाव पूर्व जब यह स्थिति है तब इनके विधायक और मंत्री बनने के बाद हमारी बात सुनने वाला कौन होगा? वही समाजवादी पार्टी ने सरोजनी नगर विधानसभा क्षेत्र में एक लाख से अधिक ब्राम्हण मतदाता होने के कारण यहां से अभिषेक मिश्रा के रूप में ब्राह्मण प्रत्याशी उतारा । लेकिन सरोजिनी नगर से तीन बार विधायक व मंत्री रहे क्षेत्रीय कद्दावर ब्राह्मण नेता शारदा प्रताप शुक्ल जो सपा से टिकट के दावेदार थे,को टिकट नहीं दिया जिसके चलते वह भाजपा में शामिल हो गए । इसके साथ ही क्षेत्र के प्रभावशाली क्षत्रिय नेता शिव शंकर सिंह चौहान जो दो बार उपविजेता रहे और सपा से वह भी टिकट मांग रहे थे उनको भी टिकट न मिलने से वह भी भाजपा में शामिल हो गए । इन दो बड़े राजनैतिक चेहरों के भाजपा में शामिल होने से सपा प्रत्याशी के लिए मुश्किलें बहुत बढ़ गई । सपा का बेस वोट पिछड़ा वर्ग मतदाता के साथ-साथ वह ब्राह्मण वोट कितना साधने में सफल होंगे यह तो समय ही बताएगा लेकिन क्षेत्र से बाहर के होने के कारण वह भी कोई विशेष प्रभाव नही बना पा रहे है। इसके साथ ही अधिकांश क्षेत्रीय मतदाता दोनों दलों के बाहरी प्रत्याशी होने के कारण शांत स्थिति में दिखाई दे रहा है ।

हां देखने में दोनों दलों के प्रत्याशियों के साथ लंबा लाव लश्कर चल रहा है । वहीं कांग्रेस प्रत्याशी रुद्रदमन सिंह की बात की जाए तो वह सरोजनी नगर विकास खंड के ग्राम सभा गहरू के मूल निवासी हैं ।विगत कई बार से निर्दलीय जिला पंचायत सदस्य हैं। वर्तमान में इनकी पत्नी किरण सिंह जिला पंचायत सदस्य है। क्षेत्रीय जनता से सदैव संपर्क में बने रहते है और उनकी हर छोटी-बड़ी समस्याओं के निराकरण के लिए प्रयत्नशील रहते हैं। क्षेत्र में उनका अच्छा प्रभाव है, और उन्हे अच्छा जन समर्थन मिल रहा है ।

किंतु कांग्रेस पार्टी का जनाधार बहुत कम होने के कारण मतदाता क्या करेगा कह पाना अभी बड़ा कठिन है । वहीं बसपा प्रत्याशी जलीस खान जिनके पास खुद की राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं है, किंतु उनके पिता व चाचा राजनीतिक क्षेत्र में सक्रिय रूप से जुड़े रहे । वह भी मुस्लिम मतदाता व बसपा के बेस वोट  के साथ-साथ सभी लोगों को जोड़ने में जुटे हैं। वह कितना कामयाब होंगे समय के गर्भ में है। सभी प्रत्याशी अपने-अपने तरीके से वोटरों को लुभाने में लगे हैं  लेकिन कोई भी क्षेत्रीय मुद्दों की बात वह उसके निराकरण के संबंध में बात करता दिखाई नहीं दे रहा। वहीं जनता की माने तो इस बार रुद्रदमन सिंह सभी अन्य प्रत्याशियों पर भारी है।

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