पीडब्ल्यूडी मुख्यालय में भ्रष्टाचार की चरम सीमा — नकद के साथ ऑनलाइन रिश्वत का नया फार्मूला

तीन माह पूर्व रिश्वत प्रकरण में कार्मिक निलंबित, फिर भी दोहराई जा रही वही कहानी
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार भले ही “जीरो टॉलरेंस” नीति का दावा करे, लेकिन राजधानी के बीचोबीच लोक निर्माण विभाग (PWD) मुख्यालय में भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हो चुकी हैं कि रिश्वत लेना अब रोजमर्रा की प्रक्रिया बन चुकी है। राजभवन के सामने स्थित इस मुख्यालय में सड़कों के बजट की फाइलें बिना ‘चढ़ावे’ के आगे बढ़ती ही नहीं।
जानकारी के अनुसार, विभाग के बजट सेक्शन के क और ख वर्ग के कर्मचारी खुलेआम 5% अग्रिम कमीशन के बिना फाइल पर हस्ताक्षर तक नहीं करते। जो नकद रिश्वत नहीं दे पाते, उनसे ऑनलाइन ट्रांसफर के जरिए पैसे मांगे जा रहे हैं — यानी अब भ्रष्टाचार भी डिजिटल हो गया है।
मुख्यमंत्री द्वारा भ्रष्टाचार मुक्त शासन के संकल्प के बावजूद यह पूरा खेल खुलेआम जारी है। सूत्रों के अनुसार, प्रमुख अभियंता (परिकल्प एवं नियोजन) के अधीन कार्यरत छाया वर्मा, प्रधान सहायक (बजट सेक्शन ख), बजट आबंटन कराने के नाम पर खुलेआम 5% रिश्वत की मांग करती हैं। जब पीड़ित ने रिश्वत की यह मांग कैमरे में कैद कर सोशल मीडिया पर वीडियो प्रसारित किया, तब भी विभागीय स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
विडियो के सार्वजनिक होने के बाद भी संबंधित महिला अधिकारी को निलंबित नहीं किया गया, जिससे विभागीय कर्मचारियों में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर मुख्यालय में प्रमुख अभियंता की कृपा किस पर बरसी हुई है?
विडियो वायरल होने के बावजूद महिला कर्मचारी को संरक्षण देना अब विभाग में चर्चा का विषय बन गया है।
गौरतलब है कि सिर्फ तीन माह पहले इसी मुख्यालय में कार्यरत चंद्र प्रकाश चौधरी को रिश्वत लेने के वायरल वीडियो के बाद तत्काल निलंबित कर दिया गया था। लेकिन इस बार, वही मामला दोहराए जाने पर भी कार्रवाई के बजाय चुप्पी साध ली गई है।
इस पूरे प्रकरण ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि —
“क्या मुख्यमंत्री के अधीन कार्यरत यह विभाग ‘भ्रष्टाचार मुक्त शासन’ के वादे को ठेंगा दिखा रहा है?”
सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति पर सवाल उठाते हुए जनता अब इस वीडियो के बाद त्वरित कार्रवाई की प्रतीक्षा कर रही है, जबकि विभागीय स्तर पर फाइलों में सिर्फ सेक्शन बदले जा रहे हैं — न नीयत, न व्यवस्था।



