आखिर क्यों नही हटा देते ऐसे आरामतलब पुलिस कमिश्नर को

अनुशासन पसंद सीएम के राज में राजधानी में ही बेलगाम हैं अपराधी और अपराध
राहुल तिवारी
लखनऊ। राजधानी में अपराध काफी तेजी से बढ़ रहा है पर अपने पुलिस कमिश्नर साहब हाथ पर हांथ धरे बैठे हैं, ऐसे में भला आम नागरिक खुद को अगर सुरक्षित महसूस भी करे तो कैसे? अगर प्रदेश में किसी और सरकार होती तो सोचा भी जाता मगर एक ऐसा मुख्यमंत्री जिसने बड़े से बड़े माफियाओं को भी घुटनों पर ला दिया है ऐसे मुख्यमंत्री के राज में राजधानी ही अगर असुरक्षित हो तो चर्चा होना लाजमी हो जाता है।
राजधानी में लगातार हत्याओं का ग्राफ काफी तेजी से बढ़ा है, गुरुवार को एक और हत्या थाना क्षेत्र दुबग्गा में हो गई। एक किसान को धारदार हथियार से काट दिया गया और पुलिस अब अपराधियों की तलाश में जुटी है और अपने पुलिस कमिश्नर बाहर तक नही निकले। आम लोगों में आवाज़ उठाने लगी है कि ऐसे कमिश्नर को तो हटा देना ही ऊंचित होगा। जो अफसर कमरे से बाहर न निकले और कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ाई जाई जा रही हो उस पर सवाल उठना भी लाजमी है। पुलिस महकमे में रसूख का दबदबा काफी तेजी से बढ़ रहा है राजधानी में चाहे थाना हो या चौकी हर जगह पुलिस रिश्वतखोरी पर उतारू है।
एक थाने में एक साल से भी अधिक एक कोतवाल की तैनाती है जबकि आस पास के थानों में कई कोतवाल आ जा चुके हैं। आखिर यह जनता के बीच क्या संदेश देना चाहते हैं। लम्बे समय थानों में तैनात कोतवाल और चौकी इंचार्ज लगता है डीसीपी आफिस से लेकर कमिश्नर ऑफिस तक पैठ बना चुके हैं । तभी एक थाने में एक एक साल से भी अधिक तैनाती और थाना प्रभारी अपने ही थाना क्षेत्र में करोड़ों का अलीशान बेशकीमती मकान बनवा रहे हैं यह रसूख नहीं तो और क्या है? ये तो महज़ एक नमूना है साहब यहाँ तो एडीजी स्तर के अधिकारी दस दस साल से एक ही जगह तैनात हैं और पूरे प्रदेश में अपराधिक घटनाओं की बाढ़ सी आ गयी है।
वहीं पुलिस के ईमानदार और अच्छी छवि के अफसर जो वाकई मे कानून व्यवस्था को चलाने में माहिर है ऐसे कुछ पुलिस के अफसर वनवास काट रहे हैं। जब एक ही थाने चौकी में एक एक साल से दरोगा और कोतवाल तैनात रहेगें तो स्वाभाविक है आपराधिक घटनाओं पर अंकुश लग पाना बेहद मुश्किल होगा और जनता यूँ ही इन पुलिस कर्मियों के आगे रिश्वतखोरी का शिकार होती रहेगी और राजधानी में यूँ ही एक के बाद एक हत्या होती रहेगी।




