“हर जगह पहुचना मुश्किल, कभी निजी स्रोतों से भी लिखना पड़ता है”

लखनऊ। डिजिटल युग मे खबरों को सबसे तेज़ पाठकों तक पहुचाना बड़ी चुनौती हो गया है। सूचनाओं की बमबारी है। पलक झपकते कोई भी खबर इंटरनेट पर वायरल हो जाती है। और फिर देश दुनिया के लोग उस पर प्रतिक्रिया देने लगते हैं।
ऐसे में कई बार इंटरनेट के मायाजाल से गलत खबरों का प्रकाशन भी हो जाता है। आम जीवन मे न चाहकर भी मनुष्य से गलतियां हो ही जाती हैं। पत्रकारिता एक जिम्मेदारी है।इसलिए खबरों के प्रसारण से पूर्व उसका परीक्षण आवश्यक होता है। लेकिन कई बार निजी स्रोतों के हवाले से भी खबरों को चलाना मज़बूरी हो जाता है। क्योंकि जन जन की खबर सरकार तक पहुचना भी मीडिया का कर्तब्य हैं।
ऐसे में कई बार सोर्सेज से मिलने वाली खबरों में त्रुटि हो जाती है। मई माह के पहले हफ्ते में पत्रकार राहुल तिवारी द्वारा निजी सोर्सेज के हवाले से अधिशासी अभियंता संदीप तिवारी पर खबर चलाई। जिसमे उन्होंने बताया कि उनके पास करोंङो का बंगला के साथ जमीन भी है। इसकी जांच होनी चाहिए। बाकायदा एक बगले की फ़ोटो भी लगाई गई।
हालांकि संदीप तिवारी द्वारा बताया गया कि ये खबर निराधार है। साथ ही उक्त बंगला भी उनका नहीं है। इसके बाद राहुल तिवारी द्वारा ग्राउंड पर पड़ताल की गई। जिसमें संदीप तिवारी द्वारा बताई गई बात सही निकली। उक्त फ़ोटो वाला बंगला उनका नहीं निकला।
राहुल तिवारी द्वारा इस खबर का खंडन किया जाता है। स्रोतों से मिली गलत जानकारी के चलते ऐसा हुआ।
अधिशाषी अभियंता संदीप तिवारी ने इस भूल को सुधारने के लिए पत्रकार राहुल तिवारी का आभार व्यक्त किया। राहुल तिवारी ने कहा कि जल्द ही वह संदीप तिवारी जी के अच्छे कार्यों पर एक आर्टिकल भी निकलेंगे। जिससे उनकी अच्छी छवि सामने आए।
(हमारा उद्देश्य किसी की भावनाओं को आहत करना, किसी को नीचा दिखाना नहीं है। हम सच के साथ रहने के लिए वचनबद्ध हैं)




