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दहेज का एक और मामला

समग्र चेतना/ राहुल तिवारी

लखनऊ। आजादी के 71 साल बाद भी सामाजिक कुप्रथा दहेज का अंत नहीं हो सका। वह अलग बात है कि सरकार द्वारा समय समय पर कड़े कानून बनाये जाते रहे लेकिन इसका जड़ से खात्मा नहीं हो सका। शादी के बाद दहेज की माँग से उठे बवँडर से एक नई नवेली महिला का जीवन त्रस्त होने लगता है और ससुराल पक्ष की और से उसे जिस प्रकार से मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न की एकतरफा कार्यवाही, वधू पर की जाने लगती है तो उसके जीवन व भविष्य में अन्धेरा छाने लगता है ।

दहेज एक सामाजिक अभिश्राप है जो उस घर में बहू बनकर आयी नारी को अपनी दहेज रुपी भूख मिटाने के लिए आग में जला दिया जाता है या फिर जहर देकर मारा जाता है और इस घृणित कार्य में पारिवारिक सदस्यों की मूक सहमति भी बनी रहती है ।

दहेज के इस दानव के चपेट में आकर शिकार बनी श्रुति वर्मा । श्रुति शर्मा का विवाह पाँच वर्ष पूर्व मुकेश पाल के साथ सम्पन्न हुआ था विवाह के पश्चात से ही बहू से मनमाकिफ दहेज न मिलने से सास,चन्र्दावती, ससुर राकेश, शादीशुदा ननद मीनू, ननदोई जय राजपूत सभी ससुराल जन एकसाथ, एकराय बनाकर बहू श्रुतिवर्मा द्वारा कम दहेज लाने के लिए उसके ऊपर विगत वर्षो से मानसिक व शारीरिक उप्पीड़न करने लगे । जिससे बहू को उस घर से स्पष्ट संदेश दिया गया कि जब तक आठ लाख रुपये और एक भूखण्ड दहेज में नही मिल जाते तबतक ससुराल मेंं कोई सुख उठाने की कल्पना भी मत करना ।

जब सभी जोर आजमाईश करके ऊब गये तब मारपीट करते हुए धमकी देते हुए सभी जेवरात छीन लिया और कहा दहेज की रकम लाओ, तभी हमारे घर में गुजारा कर पाओगी । पारिवारिक शह पर देवर अमन वर्मा पीड़िता के साथ अश्लील हरकतें करने पर पति उल्टा अपनी पत्नी पर ही चरित्रहीनता का आरोप लगाते हैं । श्रुति   वर्मा अपने ऊपर हो रहे दहेज लोभियों के अत्याचार से पीड़ित होकर थाना सरोजनीनगर में दी गयी तहरीर पर धारा-498A,33,504,354 व दहेज प्रतिबंध की धारा-3-4 के अर्न्तगत मुकदमा दर्ज किया गया ।

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