बन्थरा क्षेत्र में ग्रीष्मकालीन ताड़ी की बहार नशीले पदार्थ के मिश्रण से बनी ताड़ी पीने से मौत को बुलावा

बन्थरा क्षेत्र में ग्रीष्मकालीन ताड़ी की बहार नशीले पदार्थ के मिश्रण से बनी ताड़ी पीने से मौत को बुलावा
जहरीली ताड़ी से कभी भी वृहद जनहानि आखिर जिम्मेवार कौन
समग्र चेतना/ राहुल तिवारी
लखनऊ। बन्थरा थाना क्षेत्र में ग्रीष्मकाल में खजूर के पेड़ से निकलने वाला रस जिसे ताड़ी कहा जाता है । जब से पूर्वा हवा चलना शुरु हुई तभी से ताड़ी ने अपना रँग जमाना शुरु कर दिया । ताड़ी पीने वालों का रुख सुबह से शाम तक उन ताड़ के पेड़ों की ओर खींचता चला जाता है । सड़कों पर ताड़ी पीने वालों का जामवाड़ा सुबह से ही लग जाता है। ताड़ी बनाने और उतारने वालों की मानें तो ताड़ के पेड़ों से अभी शुरुआत में माँग के अनुसार कम उत्पादन हो रहा है, परन्तु इसकी पूर्ति ताड़ी में नशीले पदार्थ को मिलाने के बाद मांँग के अनुसार बना कर धड़ल्ले से विक्रय किया जा रहा है । जहाँ मानक के अनुसार अधिकतम दो लीटर ताड़ी बेचने का भी प्रावधान है, लेकिन पूरे क्षेत्र में ताड़ी ज्यादातर नशीली गोलियां डाल कर बेची जा रही है। बंथरा पुलिस इस मामले में जानकर भी मूकदर्शक व अनजान बनकर किसी बड़ी अनहोनी घटना का इंतजार कर रही है।
बंथरा क्षेत्र के ग्राम रामदासपुर, तेरवा, सहिजनपुर, रामचौरा, गढ़ी चुनौती सहित तमाम गांवों में रोजाना सैकड़ों लीटर मिलावटी ताड़ी बेचने का कार्य बिना किसी रोकटोक के धड़ल्ले से चलाया जा रहा है । ताड़ी बेचने वालों से स्थानीय पुलिस व आबकारी विभाग की भी सहभागिता व हिस्सेदारी रहती है। पुलिस अपना सुविधा शुल्क100 रुपये प्रति पेड़ के हिसाब से कमिशन लेकर ताड़ी बेचने का परमिशन दे रही है। इतना ही नहीं पुलिस का कहना है कि यह रूपये उच्चस्तरीय बैठे अधिकारियों तक भी देना पड़ते है। बता दें की पूर्व में आबकारी विभाग से प्रतिपेड़ के हिसाब से ठेका हुआ करता था लेकिन आज पुलिस स्वयं ताड़ी बेचने वालों को परमिशन दे रही है।



