राज्य सरकार की लोकहित की योजनाओं का लाभ जन जन तक पहुंचाने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं नौकरशाह

प्रदेश में वरिष्ठ आईएएस और आईपीएस संवर्ग के अधिकारी जनहित कार्यों में नहीं रखते रूचि
समग्र चेतना/राहुल तिवारी
लखनऊ । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की लाख कोशिशों के बावजूद वरिष्ठ आईएएस व आईपीएस अधिकारी अपने उत्तरदायित्व और सरकार के प्रति कर्तव्यों का पालन न करके ऐशोआराम की जिन्दगी का आनन्द ले रहे हैं।
प्रदेश के जनमानस की पीड़ा और समस्या में विभागों द्वारा जनहित कार्यों में रुचि न लेकर सरकार की योजनाओं का क्रियान्वयन जमीनी स्तर पर न के बराबर हो रहा है। जनता से सीधे जुड़े विभाग के जिले स्तर के अधिकारी न तो फोन उठाते हैं, और नहीं संतोषजनक उत्तर देते हैं बल्कि टालमटोल कर अपने को अलग कर लेते हैं। किसान जब बरसात न होने से अपनी गाढी कमायी की फसल को सूखता हुआ देखता है, तो उसकी दूसरी आस नहर होती है, परन्तु दुर्भाग्य की नहरों में भी एक बूँद पानी नहीं मिल रहा। जबकि सिंचाई विभाग के अधिकारी इस सम्बन्ध में बात नही करना चाहते। वहीं लोक निर्माण की सड़कों की हालत भी बद से बदतर होती जा रही, जहाँ सड़क गायब और गडढे ही नजर आ रहें हैं परन्तु लाख शिकायतों के बाद भी कार्यवाही सम्भव नहीं।
यही हाल ऊर्जा विभाग का है, किसान अपनी फसल की सिंचाई टयूबवेल से कर पाये परन्तु कहीं कहीं तारों में करन्ट ही नही आ रहा और लो—वोल्टेज की समस्या जस की तस बनी हुई है। पशुपालन विभाग के अधिकारी गौशालाओं का निरीक्षण न करके जहाँ एसी में बैठकर आदेश पारित करते हैं, वहीं पर गौवँश या गाये बिना छाया के चिलचिलाती धूप में रहने को मजबूर हैं, उन्हें पानी और चारा या भूसा भी भरपेट न मिलने से कुपोषण का शिकार होकर मृत्यु को प्राप्त हो रही है या छुटटा बनकर, सड़कों पर दुर्घटना का सबब बन रही है। किसानों की फसलों का भी नुकसान इन छुटटा जानवरों से हो रहा है। परन्तु प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारी जिन पर योजनाएँ और नीतियाँ बनाकर, उनके क्रियान्वयन की सम्पूर्ण जिम्मेवारी है, उसका पालन जनहित में नही हो पा रहा है ।
प्रदेश में कानून व्यवस्था को चाक चौबन्द और सुदृढ कर जीरो टालरेंस पर जहाँ सूबे के मुखिया की पैनी नजर रहती है और स्वयँ भरसक प्रयास भी करते रहते हैं, परन्तु उनके दिशानिर्देशन की धज्जियाँ उड़ाने में भी वरिषठ आईपीएस अधिकारी पीछे नहीं रहते, प्रदेश की राजधानी लखनऊ पुलिस शहर से लेकर देहात तक बने थानों और पुलिस चौकियों में जब से एसी लगवा लिये गये है, थाने के सिपाही से लेकर प्रभारी निरीक्षक तक कोई भी अपनी जिम्मेवारी का निर्वहन कर भीषण गर्मी और चिलचिलाती धूप में क्षेत्रीय गश्त पर दिन या रात्रि में नहीं जाता है। सुलभ सँचार व्यवस्था से ही सूचना प्राप्तकर एवँ आधुनिक युग में वातानुकूलित मौसम का लाभ अन्दर बैठकर लेते हैं। क्षेत्र में घटना या दुर्घटना होने पर बमुश्किल सूचना पर पहुंच जाते है । जिससे अपराधों में दिन प्रतिदिन बढोत्तरी होती चली जा रही है ।
जिले के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी किसी थाने या पुलिस चौकी का दिन या रात्रि में न तो औचक निरीक्षण करते है और न ही जनता के साथ मीटिंग कर सर्वेक्षण जायजा लेना छाहते हैं। जिससे पुलिस चौकी से लेकर कमिश्नर या एसपी तक जनता और क्षेत्रीय सँभ्रान्त व्यक्तियों से दूर रहने के कारण अपराधियों और अपराध को बढावा मिल रहा है। प्रदेश के तेजतर्रार वरिष्ठ आईएएस और आईपीएस अधिकारी जो अपने उत्तरदायित्यों के प्रति ईमानदार थे, दुर्भावनावश उन अधिकारियों को फील्ड से हटाकर अन्यत्र भेजकर, उनके स्थान पर बैठाये गये अधिकारी आँखमूँदकर और ऐशोआराम में रहकर अपराध नियँत्रण में विफल हो रहे हैं। परन्तु उच्च राजनीतिक पहुँच और चाटुकारिता से किसी के रहमोकरम पर अपनी कुर्सी नहीं छोड़ना चाहते हैं, भले ही अपराध का ग्राफ बढ़ता ही चला जाय, और अपराधियों के अन्दर से भय और पुलिस का डर न रह जाय।




