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वट वृक्ष की पूजा कर सुहागिनों ने मांगी अपने पति की लंबी उम्र

सीतापुर। जनपद में सावित्री वट वृक्ष पूजा शुक्रवार को हर्षोल्लास के साथ की गयी। सुहागिन महिलाओं ने पति की लंबी उम्र और सुख समृद्धि के लिए वट वृक्ष की पूजा की। नव विवाहिताओं में पूजा को लेकर साख उत्साह दिखाई दिया। वे अपने पति, सास व अन्य परिजनों के साथ पूजा स्थल पर पहुंची। इस दौरान सुहागिनों ने वट वृक्ष की पूजा की और कन्याओं को फलों का दान करके व्रत का पारायण किया। मान्यता है कि वट वृक्ष के पूजन के साथ वर्षा ऋतु का भी गहरा संबंध है। इस दिन से वर्षा ऋतु का प्रारंभ माना जाता है। इस पर्व के महत्व के बारे में आशीष शास्त्री ने बताया कि पौराणिक रूप से बरगद का पेंड चिरायु होता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस दि नही माता सावित्री ने अपने दृढ़ संकल्प और श्रद्धा से यमराज द्वारा अपने मृत पति सत्यवान के प्राण वापस पाए थे। इसलिए इस व्रत को महिलाएं बड़े हर्षोल्लास और विधि विधान के साथ मनाती है। शहर के गौशाला स्थित राधा कृष्ण मंदिर, आलमनगर स्थित दुर्गा मंदिर सहित तरीनपुर, इस्माइलपुर व अन्य जगहों पर महिलाएं सुबह की श्रंृगार करके वट वृक्ष के पास पहुंची। वृक्ष पर प्रसाद चढ़ाया, धागा बांधकर पूजा की।

बिसवां संवाददाता के अनुसार ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में वट सावित्री पूजा सुहागिन महिलाओं ने बड़ी ही विधि विधान से किया। यह पूजा जेष्ठ माह की अमावस्या के दिन मनाई जाती है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं और वट वृक्ष की विधि विधान से पूजा अर्चना करती है। कहा जाता है कि वट वृक्ष के नीचे बैठकर ही सावित्री ने अपने पति सत्यवान को दोबारा जीवित कर लिया था। इसी दिन सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस ले आई थी। इसीलिए सुहागिनें अपने पति की लंबी आयु के लिए इस दिन व्रत रखती हैं और वट वृक्ष की पूजा करती है।

महमूदाबाद संवाददाता के अनुसार सुहागिन महिलाएं अखण्ड सौभाग्य के लिये सोलह श्रृंगार कर ज्येष्ठ माह की अमावस्या को वट वृक्ष की विधान पूर्वक पूजा करती आ रहीं हैं। महिलाओं ने दीप जलाकर वट वृक्ष की आरती कर तिलक करते हुए पकवान चढाकर तथा कच्चे सूत को तने पर लपेट कर सुहाग की अमरता की कामना की। वट सावित्री पूजा नगर के बरदही, पाण्डेय हाता मेंहन्दीपुर बाला जी, संकटा देवी मंदिर के अलावा क्षेत्र के सुंदौली, श्यामदासपुर, बाबा परमहंस मंदिर, बाबाकुटी, सेमरी, चांदपुर, रामपुर मथुरा, नहरवल, कालिका देवी, सेतरामन, बांसुरा, पोखराकलां, हाजीपुर, सदरपुर, सरैंया, बजेहरा, बेहमा, बिलौली बाजार, खुरवल, थानगांव, शंकरपुर झिसनी, चकदहा, बघैया सहित पूरे क्षेत्र में महिलाओं ने अखण्ड सौभाग्य के लिये उपवास कर वट सावित्री का त्योहार मनाया।

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