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दिब्य है अलौकिक परिक्रमा की छटा, परिक्रमा का चौथा पड़ाव स्थल गिरधरपुर उमरारी

चौरासी कोसीय परिक्रमा से मिलता है मोक्ष
गोंदलामऊ/सीतापुर। मोक्ष की कामना को लेकर चौरासी कोसीय परिक्रमा को निकले रामादल श्रद्धालु शुक्रवार को चौथे पड़ाव स्थल गिरधरपुर उमरारी के लिए कूच कर गये। इससे पहले श्रद्धालुओ ने हत्याहरण तीर्थ में स्नान किया। स्नान करके हनुमान मंदिर में पूजन करते हुए रामधुन पर आगे बढ़ गये। हाथी व घोड़ा तथा डोली में सवार संत महात्मा आकर्षण का केंद्र बने हुए थे। 84 कोसीय परिक्रमा में अलग-अलग रंग देखने को मिल रहे थे। जहां साधु संत और महंत परिक्रमा कर रहे थे।

रीति-रिवाज और परम्पराओ को संजोये हुए है सनातन धर्मयात्रा
रामादल के नाम से विख्यात नैमिषारण्य सनातन धर्मयात्रा केवल धर्म और पुण्य तक ही सीमित नही है। इस महायात्रा में देश के कई प्रांतों की संस्कृति, परंपराएं,वेश-भूषा और रीति-रिवाज का संगम इसे खास बनाता है। परिक्रमा में खांटी देशी ग्रामीण अपनी ठेठ शैली में साइकिल पर बिना किसी खास तामझाम शामिल होते हैं तो दूसरी तरफ कई प्रदेशों के लोग अपनी बोली, वेश-भूषा और भाषा में भजन कीर्तन करते हुए परिक्रमा पथ पर बढ़ते हैं। परिक्रमा में मध्य प्रदेश के श्रद्धालुओं अपनी स्थानीय शैली में इस परिक्रमा के भक्ति रस में डूबकर एक अलग ही शमां बांध देते हैं।नेपाल और भूटान के आस्थावान भी अपने देश की भाषा, संस्कृति और वेश-भूषा की अमिट छाप बिखेरते दिखते हैं। अपने देश की भाषा में गाने वाले भजन-कीर्तन भले ही अन्य लोगों की समझ परे हों लेकिन तालियों की वाह उन्हें जरूर मिलती है।

परिक्रमा पड़ाव का नाम गिरधरपुर उमरारी कैसे पड़ा
परिक्रमा के तीसरे पड़ाव से चौथे पड़ाव की दूरी तीन कोस से भी अधिक है। रास्ते में अटवा, मुठिया, गिरधरपुर व उमरारी गांव पड़ते है। यहाँ रैन बसेरा गिरधरपुर में है,जबकि दुर्गा मन्दिर व सूर्यकुण्ड उमरारी गाँव है। ये दोनों गावो के बीच करीब एक किलोमीटर है। चूंकि उमरारी गांव गिरधरपुर से सटा हुआ है। इसलिए यह पड़ाव दोनो गावो के सयुक्त नाम से जाना जाता है।

गिरधरपुर-उमरारी की पौराणिक मान्यता
गिरधरपुर-उमरारी तीर्थ स्थल पर भगवान राम व सीता तथा लक्ष्मण ने वनवास के समय नागवंशी राजाओ के क्षेत्र नगवा कोथावां से पैदल चलकर आये थे।और पड़ाव स्थल पर रात्रि विश्राम किया था।

दर्शनीय स्थल
परिक्रमा के तीसरे पड़ाव स्थल नगवा कोथावां और चौथा पड़ाव गिरधरपुर उमरारी के बीच तीर्थ एवं सूर्यनारायण मन्दिर है।यहाँ अत्यन्त रमणीयक स्थान है।मालूम पड़ता है कि प्राकृति अपनी छटा विखेरे हुए है।यहाँ पूरे साल श्रद्धालुओ का आवागमन बना रहता हैं।

आज साक्षी गोपालपुर ठहरेगा रामादल
परिक्रमार्थी आज परिक्रमा के पांचवे पड़ाव स्थल साक्षी गोपालपुर पहुँचेगे।इस दौरान वह गंगासागर,बद्रीनाथ,शेसधारा आदि तीर्थाे का दर्शन करने के बाद साक्षी गोपालपुर में रात्रि विश्राम करेंगे।मान्यता है कि 84 कोसीय परिक्रमा के साक्षी गोपाल गवाह बनते है इसलिए इस स्थान को साक्षी गोपालपुर के नाम से जाना जाता है।

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