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धीरेन्द्र शास्त्री को पचा नहीं पा रहे कई संत

लखनऊ। महज 26 साल की उम्र में धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने जो अर्जित कर लिया वह आसान नहीं है। शायद यही वजह है कि कई बड़े संत उनकी प्रतिभा को पचा नहीं पा रहे। संतों में धड़े बंट गए हैं कई संत उनके विरोध में हैं वहीं कई समर्थन में भी आ गए हैं।

धीरेंद्र शास्त्री कोई मेंटलिस्ट हैं, मैजीशियन हैं या फिर वास्तव में उन पर बालाजी की कृपा है। इस पर टिप्पणी करना मैं मुनासिब नहीं है, लेकिन जिस तरीके से धीरेंद्र शास्त्री के बहाने हिन्दू धर्म पर निशाना साधा जा रहा है उस पर आवाज उठाना आज जरूरी है। क्या ईसाइयों द्वारा धर्म परिवर्तन का विरोध करना अपराध है। क्या हिन्दुओं की घर वापसी कराना अधर्म है। अगर है तो ये अपराध, अधर्म अक्षम्य होना चाहिए। सनातन को मानने वाले क्या इस बात से इनकार कर सकते हैं कि हमारे धार्मिक ग्रंथों में चमत्कार नहीं हुए। क्या भक्त प्रहलाद और हिरण्यकश्यप की कहानी झूठी है। क्या पत्थर की अहिल्या को स्पर्श करके भगवान राम ने पुन: स्त्री नहीं बनाया। क्या रामायाण में पत्थरों से बना रामसेतु झूठ है।

अगर धार्मिक ग्रंथों में इन कथाओं को आप नहीं मानते तो यकीन मानिये आप नास्तिक हैं। हिन्दू धर्म अनंतकाल से प्रमाणिकता के साथ स्थिर रहा है। धार्मिक ग्रंथों में साधना और तपस्या से ऋषियों मुनियों ने क्या क्या हासिल नहीं किया। यह सब जानकर भी दुर्भाग्यवश आज हिन्दू धर्म के लोग ही श्रद्धा और विस्वास को अंध कहकर अपने ही धर्म को अपमानित करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे। महाराष्ट्र की अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति के श्याम मानव ने धीरेंद्र शास्त्री पर अंधविश्वास फैलाने का आरोप लगाया। श्याम मानव कह रहे हैं कि बाबा के पास कोई सिद्धी नहीं है। उन्होंने धीरेंद्र शास्त्री को नागपुर आकर चमत्कार दिखाने की चुनौती दी। धीरेंद्र शास्त्री ने श्याम मानव की चुनौती स्वीकार करते हुए रायपुर के श्री हनुमान मंदिर मैदान गुढ़ियारी में अपना दरबार लगाया और कहा, यहां आकर श्याम मानव हमें आजमा लें। लेकिन श्याम मानव वहां नहीं पहुंचे। धीरेंद्र शास्त्री के पास चमत्कार है या नहीं है इसे छोड़िये, बस ये बता दीजिए कि उन्होंने अपने दरबार में आने के लिए किस किसके पास हल्दी भेजी। ये जो लाखों की तादात में उनके दरबार में लोग पहुंचते हैं ये उनकी श्रद्धा और विश्वास है। धीरेंद्र शास्त्री अपने पंडाल में किसी को बंदूक चलाना नहीं सिखा रहे।

किसी को आतंकवादी नहीं बना रहे। वह राम कथा सुना रहे हैं उनके चरित्र का वर्णन कर रहे हैं समाज को सही दिशा दिखा रहे हैं। साथ ही लोगों की समस्याओं को सुलझा रहे हैं तो इसमें आपत्ति क्या है। पिछले एक हफ्ते से उनका मीडिया ट्रायल हो रहा है। कभी मै​जीशियन सुहानी शाह को खड़ा करके टीवी पर दिखाया जा रहा है कि ये सब सिर्फ ट्रिक है जादू है और कुछ नहीं। मैं कहता हूं जादू ही सही पर इस जादू से किसी का अपजश नहीं हो रहा। फिर भी धीरेन्द्र शास्त्री का मजाक उडाया जा रहा है उन पर मीम बन रहे हैं। कोई कह रहा है कि कश्मीर में आतंकियों को वह खोज डालें, कोई कह रहा है पुलवामा का पर्दाफास करें, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने तो यहां तक कह दिया कि ‘हमारे मठ में दरार आ गई है, उसे जाेड़ दो तो हम फूल बिछाकर शास्त्री को लेकर आएंगे। विरोध के साथ साथ शास्त्री के समर्थन में भी कमी नहीं है। स्वामी रामदेव, सद्गुरु जग्गी वासुदेव, रामभद्राचार्य, साध्वी प्राची, प्रज्ञा ठाकुर और राजनेता गिरिराज सिंह जैसे कई प्रमुख हिंदू धार्मिक नेता उनके समर्थन में आए हैं। उन्हें छत्तीसगढ़ में लगभग 300 ईसाइयों को हिन्दू बनाने के लिए जाना जाता है। 20 जनवरी, 2023 को लगभग 500,000 लोग उनके दिव्य दरबार में आए।

22 जनवरी, 2023 को कई हिंदू संगठनों ने बागेश्वर धाम सरकार के प्रमुख पुजारी शास्त्री के समर्थन में नई दिल्ली में जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया। वर्तमान में मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में एक हिंदू तीर्थ स्थल बागेश्वर धाम सरकार के पीठाधीश्वर और प्रमुख के रूप में सेवा कर रहे हैं। शास्त्री को रामचरितमानस और शिव पुराण के उपदेश के लिए जाना जाता है ऐसी मान्यता है की इनके पास साधना द्वारा प्राप्त की गयी कुछ दैवीय शक्तियां है इसीलिए अनुयायी इन्हे त्रिकालदर्शी भी मानते हैं। उन्होंने अपने धाम में अन्नपूर्णा रसोई की स्थापना की है जहां उनके अनुयायियों के लिए निःशुल्क भोजन प्रसाद की व्यवस्था की जाती है। धीरेंद्र शास्त्री गरीब और बेसहारा लड़कियों की शादी का वार्षिक समारोह भी रखते हैं।

बहरहाल आरोप लगाना बहुत सरल है, लेकिन उसे सिद्ध करना कठिन है। बागेश्वर सरकार के बहाने सनातन धर्म पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। दूसरे धर्मों में विरोध तो समझा जा सकता है, लेकिन अपने ही धर्म में कई संतों का विरोध इस बात को प्रमाणिकता देता है कि कम उम्र में उनकी उपलब्धि लोगों को पच नहीं रही।

कौन हैं धीरेन्द्र शास्त्री
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री एक भारतीय कथावाचक हैं । इनका जन्म छतरपुर जिले के गढ़ा गांव में एक सरयूपारीण ब्राह्मण परिवार रामकृपाल गर्ग और सरोज गर्ग के घर 10 जुलाई 1996 को हुआ। बागेश्वर धाम महाराज के नाम से लोकप्रिय धीरेंद्र शास्त्री भारत के मध्य प्रदेश राज्य के छतरपुर जिले में एक प्रसिद्ध धार्मिक तीर्थ स्थल बागेश्वर धाम सरकार के मुख्य पुजारी और पीठाधीश्वर हैं। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का बचपन उनके ही गांव में बीता है। वह एक सामान्य गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही सरकारी स्कूल से प्राप्त की। बागेश्वर धाम भूत भवन महादेव गढ़ा में स्थित है और वह चंदेल कालीन सिद्धपीठ है। 1986 में ग्रामीणों द्वारा मंदिर का निर्माण किया गया, उसके बाद 1987 के बीच गाँव के बाबा पंडित सेतुलाल गर्ग चित्रकूट से दीक्षा प्राप्त कर बागेश्वर धाम पहुंचे, जिसके बाद 1989 में एक बड़ा यज्ञ जुड़ा। जिसके बाद से बागेश्वर धाम प्रसिद्ध होने लगा।

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