योगी के माफिया विरोधी अभियान को ठेंगा दिखा रहा बाड़ी गोली काण्ड का मास्टरमाइण्ड

रिपोर्ट, रामनाथ रावत
सिधौली सीतापुर। लगभग 55 दिन पूर्व दलित चाचा-भतीजे पर हुए जानलेवा हमले का सूत्रधार अभी भी पुलिस प्रशासन की पकड़ से बाहर है। हमले में घायल हुए एडवोकेट अजीत रावत और विक्रान्त के परिजनों का आरोप है कि स्थानीय प्रशासन और पुलिस विभाग के कुछ उच्चाधिकारी फरार भूमाफिया इमरान अली, उसके भाई मिज्जन और क़मर अहमद को संरक्षण दे रहे हैं।

गौरतलब है कि 10 अक्टूबर, 2021 को बाड़ी निवासी अजीत रावत और उसके भतीजे विक्रांत उर्फ सूरज रावत पर इमरान अली, मिज्जन, फरहान अली उर्फ तैंती, आकिब, कलीम, हाशिम, जमशेद, इश्तियाक, कमर अहमद आदि लोगों ने घात लगाकर जानलेवा हमला किया था। जिसमें अजीत रावत और विक्रांत उर्फ सूरज रावत घायल हो गये थे। स्थानीय पुलिस ने इस मामले में उपरोक्त हमलावरों के विरूद्ध धारा 147/149/323/504 व 307 आई0पी0सी0 तथा अनुसूचित जाति एवं जनजाति (नृशंसता निवारण) अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी। इमरान अली, उसका भाई मिज्जन और क़मर अहमद को छोड़कर अन्य अभियुक्तों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। उपरोक्त तीन अभियुक्त अभी भी फरार हैं।
सूत्रों की मानें तो जमीन की खरीद-फरोख्त का धन्धा करने वाले इमरान अली की पहुँच जिले के उच्चाधिकारियों और कुछ राजनैतिक धुरन्धरों तक है। पिछले चार-पाँच सालों में बाड़ी के आस-पास के इलाके में सरकारी ज़मीनों और रोड के आसपास की निजी ज़मीनों पर कब्जा करके और दबाव व धमकी के ज़रिए उसने अकूत दौलत कमाई है। उसकी बेनामी सम्पत्ति भी बेहिसाब है। भले ही प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ माफिया के खिलाफ कार्रवाई का दम भरें मगर प्रदेश की नौकरशाही और राजनैतिक लोगों के बीच गहरी पैठ रखने वाले आपराधियों और माफियाओं को जेल की सलाखों के पीछे पहुँचाना आसान नहीं है।
इस प्रकरण में पीड़ित के परिवार का आरोप है कि पुलिस विभाग के कुछ उच्चाधिकारी स्वयं उन पर दबाव डाल रहे हैं कि वे इमरान की गिरफ्तारी के लिए दबाव न डालें। पीड़ित के भाई विजय का कहना है कि उन्हें स्थानीय प्रशासन से न्याय की उम्मीद नहीं है। स्थानीय पुलिस अधिकारी मामले को लटकाए रखना चाहते हैं ताकि बाद में जांच के नाम पर फरार अभियुक्तों को क्लीन चिट दी जा सके।




