उत्तर प्रदेशलखनऊ

प्रापर्टी डीलरों, लेखपाल के हिस्सेदारी की अमौसी में 25 बीघा भूमि कब्जामुक्त, एसडीएम की सँस्तुति पर प्रशासन रहा मूकदर्शक

नगरनिगम 12 वर्ष पूर्व रिटायर्ड कानूनगो के सहारे, नायब तहसीलदार, तहसीलदार व डिप्टी कलेक्टर के पद रिक्त 25 लेखपालों के सापेक्ष 07 लेखपाल होने से प्रापर्टी डीलरों के अवैध कब्जों से व्यापार में बढ़ोत्तरी

अर्जुन सिहं / समग्र चेतना संवाददाता

सरोजनीनगर । सरोजनीनगर क्षेत्र में वर्ष 1986 में हुए नगरीय सीमा विस्तार में चिल्लावाँ, गुड़ौरा, रहीमाबाद, गौरी में अमौसी ग्राम सभा का भूमि क्षेत्रफल सबसे अधिक रहा है । राजस्व विभाग की सरकारी भूमि को नगर निगम के भू—सम्पत्ति विभाग में सुपुर्द की गयी । कई वर्ष पूर्व से शहरीकरण विस्तार होने के कारण प्रापर्टी डीलरों का उदय हुआ । प्रापर्टी डीलरों द्वारा किसानों की जमीनें खरीद कर, उसके आसपास नगर निगम की खाली पड़ी जमीनों पर, जब इनकी तिरछी नजर पड़ी तो आँखों में लालच भर आया । प्रापर्टी डीलरों ने किसान की जमीन के गाटा सँख्या को बेच करके, अनजान बाहरी ग्राहक को नगर निगम की जमीन पर कब्जा देकर व राजस्व लेखपाल से मनमाकिफ रिपोर्ट लगवाकर दाखिल खारिज कराने का प्रचलन शुरू हुआ ।

नगरनिगम में अवैध कब्जेदारों के विरुद्ध जब ग्रामवासियों ने भूमि विक्रय की शिकायतों का दौर शुरु हुआ तो राजस्व लेखपालों ने विक्रय भूमि का जब मुआयना शुरू किया तो पाया कि कब्जा नगर निगम की भूमि पर है और जमीन की रजिष्ट्री किसान के नाम से, नगर निगम की भूमि पर कब्जे की जिम्मेवारी नगर निगम की तय है, इस प्रकार राजस्व लेखपाल द्वारा लगाई गयी रिपोर्ट पर दाखिल खारिज हो जाता है । ऐसे ही अनैतिक कार्यो से प्रापर्टी डीलरों से लाभ कमाने में अपना उददेश्य बना लिया । प्रापर्टी डीलरों से सरकारी जमीनों के कब्जे में राजस्व लेखपाल अपनी हिस्सेदारी लगाकर, अपनी भागीदारी तय किया । प्रापर्टी डीलरों द्वारा नगर निगम की जमीनों पर कब्जा देकर, अनजान बाहरी व्यक्ति, राजस्व लेखपाल से ही खरीदी गयी जमीन की पुष्टि या जाँच—पड़ताल कराकर और राजस्व लेखपाल पर भरोसा करके, अपनी गाढ़ी कमायी से मकान तैयार कर लिया । राजस्व लेखपालों ने दिन दूनी रात चौगुनी की गति से अनैतिक कमाई शुरु करने लगे । जिसका परिणाम यह हुआ कि नगरीय क्षेत्र के ग्रामों में नियुक्ति कराने के लिए, ऊपर तक अधिकारियों से मिलकर मनमानी कमाई वाले गाँवों में पोस्टिंग कराने के लिए रुपयों की बोली/बौछार तक करते रहें हैं ।

प्रापर्टी डीलर इन्हें जब गिफ्ट में कार तक भेंट करने लगे, वहीं से लेखपालों की ऐशोआराम की जिन्दगी ने, अपने दायित्व व कर्तव्यों की बलि चढ़ाकर भ्रष्टाचार के दलदल में डूबते चले गये । लेखपालों की दिन प्रतिदिन बढ़ती कमायी का आलम यह हुआ कि अपने समस्त कार्य रिटायर्ड लेखपालों को मातहत बनाकर कराने लगे । क्षेत्र में अमौसी गाँव की भूमि का क्षेत्रफल सबसे अधिक होने के कारण इसमें सैकड़ो बीघा नगर निगम की जमीन है । जिस पर भू—माफिया वर्षो से काबिज होने के बाद उसकी प्लाटिंग करके बिक्री भी शुरू कर दिया, इसी क्रम में विगत दिनों नगर निगम ने भूमाफियाओं संग राजस्व लेखपाल से 25 बीघा भूमि कब्जामुक्त करायी, जिसमें राजस्व लेखपाल भी बराबर का हिस्सेदार व भागीदार निकला । जिसकी बाजार कीमत लगभग ₹— 60 करोड़ रुपये आँकी गयी है । जिसमें रोड़ बनाकर विधिवत् प्लाटिंग कर 100 प्लाटों पर नींव भरी गयी व 42 प्लाटों की बाड्रीवाल बनाकर, कईयों में टीन शेड डाला गया । जो उ०प्र० की राजधानी लखनऊ में विगत कई वर्षो से उच्चधिकारियों की विशेष अनुकम्पा पर लेखपालों की आय में बढोत्तरी होती जा रही है ।

नगरनिगम के भू—सम्पत्ति विभाग में जहाँ 12 वर्ष पूर्व रिटायर्ड सुरेश कुमार श्रीवास्तव कानूनगो पद पर अधिकारियों की विशेष अनुकम्पा से सुशोभित / विराजमान होकर कार्यरत हैं, वहीं पर भू—सम्पत्ति की सुरक्षा हेतु लेखपालों के 25 सृजित पदों के सापेक्ष मात्र 07 लेखपालों के सहारे ही नगर निगम की भूमि दिन प्रतिदिन असुरक्षित होने लगी तथा नायब तहसीलदार, तहसीलदार एवँ डिप्टी कलेक्टर आदि के पद भी रिक्त पड़े होने के कारण, प्रापर्टी डीलरों का हौंसला बुलन्द होकर, आतंक के बल पर नगर निगम की भूमियों को बेहिचक होकर धड़ल्ले से कब्जा करके विक्रय कर, करोड़ो के व्यापार में दिन प्रतिदिन बढ़ोत्तरी करते जा रहे है । सरकार और प्रशासन मूकदर्शक बनकर इन्हें खुली छूट देकर कार्यवाही से भी वंचित कर, नगरनिगम की भू—सम्पत्ति को भ्रष्टाचार के भेंट चढ़ाने में पूरा अमला प्रापर्टी डीलरों की मदद में सदैव तत्पर बना रहता है । जागरुक जनमानस जब नगर निगम के विभागीय हितों को दृष्टिगत रखते हुए, भूमि पर हो रहे अवैध कब्जे व निर्माण की शिकायत करते हैं, तो लेखपाल टाल मटौल तब तक करते है, जबतक कब्जा होकर मकान न बन जाय और शिकायतकर्ता मजबूर होकर थक—हारकर अपने घर पर न बैठ जाय ।

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