शिव धनुष का रहस्य देख कर भक्तगण हुए भाव विभोर

शिव धनुष का रहस्य देख कर भक्तगण हुए भाव विभोर
पंच मुखी बाला जी मंदिर पर वृदांवन के कालाकारों ने किया सजीव मंचन
पिसावां/सीतापुर। पथरी के पंचमुखी बाला जी मंदिर पर वृदांवन धाम मथुरा से आयी श्री बृजबिहारी लीला दर्शन मंडल के कलाकारों ने दिन की बेला में शिव धनुष के रहस्य की लीला का सजीव मंचन किया। मंचन में दिखाया कि परशुराम राजा जनक और रावण शंकर जी के भक्त थे। यह तीनों एक-एक करके कैलाश पर्वत पर पहुंचे। शंकर जी समाधि में थे।
इसलिए इनको इंतजार करना पड़ा। समाधि टूटने के बाद उन्होंने पूछा हम लोग आप की आराधना करते हैं। आप किसका ध्यान करते हैं? तो उन्होंने कहा कि यह मैं आप लोगों को नहीं बता सकता। मेरा यह धनुष ले जाओ तीनो लोग इसकी पूजा करो सब मालूम हो जायेगा। शंकर जी ने रावण व परशुराम को धनुष न देकर राजा जनक के हाथों में दिया। रास्ते में रावण के दिमाक में छल आ गया और जनक से धनुष अपने हाथं में लेकर पूजा के लिये पुष्प लाने को कहा कि उनके जाते ही रावण धनुष लेकर लंका की तरफ चल पड़ा।
जब राजा जनक को यह पता चला तो परशुराम से बताया कि परशुराम ने श्राप दिया कि रावण जहां धनुष रख देगा दोबारा उठा नही पायेगा। रास्ते में रावण को लघुशंका लगी उसने उस धनुष को वही रख दिया। वापस उठाने आया तो उस धनुष को नहीं उठा पाया। राजा जनक ने वहीं पर अपना महल बनवा दिया। सीता जी के स्वयंवर में रावण भी गया था लेकिन उसने उस धनुष को नहीं उठा पाया। क्योंकि वह जानता था कि वह धनुष को नहीं उठा पाएगा।
सीता जी ने एक बार धनुष को उठा दूसरी जगह रख दिया था। इस बात की जानकारी जब राजा जनक को तब उन्होंने धनुष की शर्त को सीता जी के स्वयंवर मैं रखा।



