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अधिकारियों और लेखपाल की मिलीभगत से दबंग भूमाफिया कर रहे है प्राचीन तालाब को पाटकर कर अवैध कब्जा

अधिकारियों और लेखपाल की मिलीभगत से दबंग भूमाफिया कर रहे है प्राचीन तालाब को पाटकर कर अवैध कब्जा

समग्र चेतना/राहुल तिवारी

लखनऊ। बंथरा के गौरी विहार गेट यूनियन बैंक के पीछे स्थित 100 वर्ष प्राचीन तालाब पर धड़ल्ले से अतिक्रमण और अवैध कब्जा किया जा रहा है। अनेकों बार तहसील प्रशासन सरोजनी नगर व नगर आयुक्त से खसरा संख्या 40 एवं खसरा संख्या 41 के संदर्भ में शिकायत भी की गई किंतु अधिकारी लकीर पीटने के सिवा एक कदम भी आगे ना बढ़ पाए।

जिस कारण से भूमाफियाओं का मनोबल बुलंद है। दबंग भूमाफिया कानून के डर को धता बताते हुए धड़ल्ले से कब्जा कर रहे हैं ।
सवर्ण युवा महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशील शुक्ला ने बताया कि नगर आयुक्त, नगर निगम लखनऊ द्वारा उन्हें अवगत कराया गया कि सरोजनी नगर तहसील द्वारा संयुक्त सीमांकन किया जाना है। दो बार सीमांकन की तारीख भी तय हुई किंतु सरोजनी नगर तहसील प्रशासन ने समय नहीं दिया जिस कारण से सीमांकन नहीं हुआ और अवैध कब्जा निरंतर जारी है ।

डॉ विजय सिंह तेजी से निर्माण कार्य करा कर अवैध कब्जा कर रहे है जिन्हें कानून का कोई डर नहीं और ना ही कोई उनसे पूछने वाला कि आप यह अवैध निर्माण किस के सह से पर कर रहे हैं।

जहां एक ओर सुप्रीम कोर्ट के तालाबों के संरक्षण के संदर्भ में स्पष्ट निर्देश है कि तालाबों को अतिक्रमण मुक्त कराया जाए किंतु सरोजनी नगर तहसील प्रशासन और नगर निगम की सुस्त चाल यह बताती है कि उन्हें शायद सुप्रीम कोर्ट के किसी भी निर्देश के अनुपालन से कोई लेना देना नहीं है।

सुशील शुक्ला ने आरोप लगाया कि नगर निगम के लेखपाल ही मिलीभगत करके उस जमीन को अवैध कब्जेदारों के सुपुर्द किए हुए हैं और कब्जा करवा रहे हैं अन्यथा इतने लंबे समय में अब तक सीमांकन क्यों नहीं हुआ ? और ध्वस्तीकरण की कार्यवाही क्यों सुनिश्चित नहीं हुई यह बड़ा सवाल है ? जो वह निरंतर उठाते हैं।

आज भी उन्होंने जिलाधिकारी लखनऊ को फोन पर इस प्रकरण से अवगत कराया और 2 दिन पूर्व भी नगर आयुक्त लखनऊ को फोन पर अवैध कब्जे की शिकायत दर्ज कराई किन्तु बीते 2 दिनों में कोई भी अधिकारी ,लेखपाल अथवा तहसीलदार डॉ विजय सिंह द्वारा किए जा रहे अवैध कब्जे को रोकने का कार्य नहीं किया जिस पर उन्होंने रोष व्यक्त किया और कहा कि यदि एक-दो दिन में संबंधित अधिकारियों ने कार्यवाही नहीं की तो मजबूरी में वह माननीय न्यायालय में जाकर आगे की लड़ाई लड़ने की बात कही।

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