गौपशुओं के गोबर से पिंजरापोलों को स्वावलंबी बनाने के लिए अब किसान कार्ड : गिरिश शाह

लखनऊ: विरमगाम पिंजरापोल के वीरपुर वीड की मुलाकात हुई यह पांजरपोल कुल 1,233 एकर जमीन पर तीन विभाग में फैला हुआ है। पिंजरापोल के इन विभागों में वीरपुर ओगणज और विरमगाम ऐसे तीन प्रमुख विभाग हैं। मेरा सौभाग्य हे कि विरमगाम पांजरापोल में वर्ष 2000 में संस्था में भ्रमण एवं सेवा का सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ था । मेरे गुरुदेव परम तारक पन्यास चंद्रशेखरविजयजी म.सा. के खुद भ्रमण कर चुके थे और भक्तियोगाचार्य यशोविजयसूरीश्वरजी म.सा वर्ष 2000 में इस पिंजरापोल के में पधारे थे।उस समय पूरी जमीन में से बबूल निकाल के शनियार, धामण और जिंजवे का बीज रोपण किया गया था। विगत दो सालसे पंकजभाई गाँधी ने संस्था में पूरी जोश करो से काम करके पूरी जमीन को वापिस बबूल मुक्त किया। गुजरात सरकार की वीड विकास योजना है उसमे 3 करोड़ 11 लाख रुपए का योगदान सोलर पेनल लगाने तथा पाइपलाइन बिछाने के लिए दिया । साथ ही साथ पानी व्यवस्था के लिए बोर करने जैसी सुविधा प्रदान की ताकि पूरी जमींन को हरी -भरी रखी जा सके। मैंने अपनी नजर से आज यह पूरी व्यवस्था देखी बहुत अच्छा लगा। दरअसल, तकरीबन 20 सालके बाद यहां पर मेरा आना हुआ । यहां की प्रगति प्रशंसनीय है ।
विरमगाम पिंजरापोल में इस समय कुल 1,756 अबोल जीवोंकी यहाँ पर सेवा हो रही है और गत 17 महीनों से एक तिनका भी घास का इस संस्थाने नहीं ख़रीदा है। अपनी जमीन में घास और चारा का उत्पादन किया जाता है। उसके साथ -साथ आस-पास के किसानों को इतना प्रोत्साहित एवं जागृत किया गया है कि ट्रेक्टर भर – भर के रोजाना यहाँ पर घास आते ही रहता है मूक पशुओं को पेट भर के पूजन मिल रहा है। आत्मनिर्भर पिंजरापोल की जब भी बात चलती है तो आत्म निर्भर बनाए जाने की बात जरूर होती है जो एक बेहतरीन परिकल्पना है। इसके लिए हमेशा यह कहा जाता है कि किसान भाई जुड़े वो गोबर ले जाये और हमें चारा दे जाये और अपनी खुद की जमीन में चारा उगाए । सच पूछिए तो यह संकल्पना यहाँ पर साक्षात्कार हुई है। में विरमगाम पिंजरापोल के ट्रस्टीगण आदरणीय वर्धमानभाई, प्रफुलभाई पटवाजी, पंकजभाई गांधीजी, सुमनभाई सोनीजी, निखिलभाई और सभी ट्रस्ट मंडल को बहुत बहुत साधुवाद देता हूं जिनके मार्गदर्शन में सर्वोत्तम कार्य चल रहा है। आज मैं देशभर के सभी जीवदया प्रेमी जन से निवेदन करता हूं कि एक बार शंखेश्वर आते जाते अहमदाबाद से सिर्फ 70 किलोमीटर पर स्थित विरमगाम जाकर जरूर एकबार जरूर इस पिंजरापोल का निरक्षण करे। यहाँ नेपियर घास रोपड़ का भी पूर्ण विस्तार किया गया है जो पिंजरापोल के जीवोंके लिए बहुत उपयोगी है।
अंत में मै यह आग्रह करना चाहूंगा कि आप इस संस्था के आस-पास से गुजरते हैं तो अवश्य एक बार इस भ्रमण करिए और संस्था के उल्लेखनीय कार्य को देखें। आपको एक आत्मनिर्भर पिंजरापोल की व्यवस्था मिलेगी । जिसमें स्वनिर्मित गोचर के अंदर चारागाह व्यवस्था देखेंगे । आस-पास के किसानों को जोड़कर उनके पास से चारा लेना और उनको सामने गोबर देना ताकि वह लोग जंतु नाशक दवाएं और केमिकल फर्टिलाइजर का उपयोग न करें । उससे जनसामान्य का भी स्वास्थ्य सुधर रहा है । ऐसी पशुपालन व्यवस्था में पशुपालक और किसानों पर कोई अतिरिक्त आर्थिक बोझ नहीं आती। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस व्यवस्था से न कोई रासायनिक खाद खरीदने का खर्चा आता है और नर पेस्टिसाइड डालने की समस्या । सभी गौशाला – पिं जरापोल यदि आसपास के किसानों को अपने साथ “किसान कार्ड” के माध्यम से जोड़ देती है। इस अभियान से एक बहुत बड़ा परिवर्तन पूरे भारत में आ सकता है। भारत के 6.5 गांव के अबोल जीव पशु पक्षियों की रक्षा हो सकती है । वहां जाने पर या स्टडी नजारा साक्षात देखने को मिलता है।
(लेखक भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के सदस्य तथा राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त संस्था समस्त महाजन के मैनेजिंग ट्रस्टी हैं।)




