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आखिर कार खत्म हुआ तेजतर्रार आईपीएस अफसर का वनवास

आखिर कार खत्म हुआ तेजतर्रार आईपीएस अफसर का वनवास

एडीजी पीएसी की मिली जिम्मेदारी

पहले आईजी और बाद में सफल पुलिस कमिश्नर के रूप में लखनऊ में छोड़ी थी अपनी छाप

समग्र चेतना/ राहुल तिवारी

लखनऊ। आखिर देर में ही सही पर सरकार को अपने तेज तर्रार आईपीएस अफसर सुजीत पांडे की याद आ ही गई। पुलिस ट्रेनिंग सेंटर सीतापुर में लंबा अज्ञात वास काटने के बाद मंगलवाल को सुजीत पांडे को पीएसी का एडीजी बनाया गया।

उन्होंने देर शाम लखनऊ पहुंच कर अपना कार्यभार ग्रहण कर लिया।दर्जनों जिलों के एसपी रहने के साथ ही लखनऊ के आईजी रेंज की जिम्मेदारी यादगार तरीके से संभालने के बाद जब सुजीत कुमार पांडेय को लखनऊ का पहला पुलिस कमिश्नर बनाया गया तो उन्होंने खुद जमीन पर उतरकर अपनी पुलिस टीम का नेतृत्व किया। उनके कार्यकाल मे लखनऊ से अपराध व अपराधियों पर प्रभावी अंकुश भी लगा।

लखनऊ की ट्राफिक व्यवस्था पर जोर देते हुए लखनऊ वासियों को जाम की झाम से निजात दिलाने का काम भी सुजीत कुमार पांडेय ने ही पुलिस कमिश्नर रहते किया। कोविड कल में उनके मैजमेंट का सभी ने लोहा माना। लखनऊ में आईजी रेंज रहने के दौरान उन्होंने गर्वनर हाउस के पास दिनदहाड़े बैंक की गाड़ी से हुई कैश लूट की घटना और ड्राइवर की हत्या जैसी हाईप्रोफाइल घटना को एक सप्ताह के अन्दर एसएसपी दीपक कुमार व सुजीत पांडे की जोड़ी ने मिलकर घटना का खुलासा कर सरकार को विपक्ष की किरकिरी से बचाया।

नरही के एक व्यपारी के पुत्र का अपहरण हो जाने पर उन्होंने खुद मोर्चा संभालकर बच्चे को सकुशल अपरहरण कर्ताओ सहित पकड़ा। ऐसे मेहनती तेज तर्रार आईपीएस व अपर पुलिस महानिदेशक सुजीत पांडे को सरकार ने पीएससी बल में अपर पुलिस महानिदेशक बनाकर अहम जिम्मेदारी सौंपी है। सुजीत पांडे ने देर शाम लखनऊ आकर चार्ज भी सम्भाल लिया।

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