इच्छाशक्ति की कमी या ऊपरी दबाव

- 31 दिनों से तंबू लगाए किसानों का बुरा हाल
- तिरंगा महाराज की फिर तबियत बिगड़ी
सुयश मिश्रा
लखनऊ। हांथ में चिलम और गांजे की एक पुड़िया लेकर आप किसी भी गांव गलियारे में बैठ जाइए। मैं विश्वास के साथ कहता हूं आग दिखाने वाले दो चार दर्जन लोग, पलक झपकते प्रकट हो जाएंगे। नमस्कार मैं हूं सुयश मिश्रा। जो भी कहूंगा सच कहूंगा सच के सिवा कुछ नहीं कहूंगा।
पिछले 31 दिनों से एक आदमी 4-6 किसानों को लेकर एक तम्बू के नीचे बरसात में भी डटा हुआ है। मांग सिर्फ इतनी है कि चंद किसानों की जमीन भू माफियाओं के चंगूल से आजाद हो जाए। हम बात कर रहे हैं मोदी भक्त/योगी भक्त तिरंगा महाराज की। तिरंगा महाराज जिन्होंने मानों प्रण ले लिया है कि बिछी हुई दरी और गड़ा हुआ तंबू अब तब तक नहीं उखड़ेगा जब तक समस्या का समाधान नहीं हो जाता। हम लगातार मांग करते रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में एक लट्ठ सेना बनाई जाए। लट्ठ सेना की जरूरत आज पूरे प्रदेश को है।
एक मुख्यमंत्री जिसके राज में अपराधी थानों में जाकर खुद सरेंडर कर रहे हों। एक के बाद एक भूमाफियाओं पर ताबड़तोड़ कार्रवाई हो रही हो। खुद मुख्यमंत्री बुल्डोजर बाबा के नाम से मशहूर हो गए हों। फिर क्यों, प्रदेश सरकार और प्रदेश के मुखिया की मंसा को अधिकारी समझ नहीं रहे। एक व्यक्ति को कुछ किसानों को न्याय दिलाने के लिए महीने भर से ज्यादा धरने पर बैठना पड़ रहा है आखिर क्यों? तिरंगा महाराज लगातार आवाज उठा रहे हैं कि उनकी जान को खतरा है। इस बीच कई बार उनकी तबियत भी बिगड़ी।
आखिर किस बात का इंतजार किया जा रहा है। प्रदर्शन में भले ही दहांई का आकड़ा पार नहीं हो पा रहा हो लेकिन ईश्वर न करे। इस बीच अगर कोई अनहोनी जाती है तो सरकार और मुख्यमंत्री के खिलाफ नारेबाजी करने वाले सैकड़ों लोग खड़े हो जाएंगे। क्या इसी बात का इंतजार किया जा रहा है। आखिर कौन सी ऐसी मांग रख दी है तिरंगा महाराज ने जो जिम्मेदार अधिकारी पूरी नहीं कर पा रहे। बीकेटी विधानसभा के कुछ किसानों की जमीन पर नीलांश वाटर पार्क का कब्जा है। तिरंगा महाराज का कहना है कि जमीन की नपाई हो जाए जो जमीन किसानों की है वो उन्हें दे दी जाए। बस इतनी सी मांग के लिए आज धरने का 31वां दिन हो गया। अब तो खबर ये भी आ रही है कि 27 सितंबर को किसान विधानसभा घेराव करेंगे। यानी की एक महीने धरने के बाद अब किसान लाठी भी खाएंगे।
अधिकारियों की कमजोर इच्छा शक्ति या यूं कहें की ऊपरी दबाव ने आज इस मामले को इस मुहाने पर लाकर खड़ा कर दिया है। ये हाल राजधानी लखनऊ की उस विधानसभा का है जहां से राजनाथ सिंह जैसे नेता चुनाव लड़ चुके हैं। रामसागर मिश्र, भगवती सिंह जैसे नेताओं का ये क्षेत्र रहा है। कभी अटल बिहारी बाजपेई प्रधानमंत्री रहते हुए इस क्षेत्र में कई बार आए। इतनी प्रचलित और चर्चित जगह पर पिछले एक महीने से किसान धरने पर हैं और प्रशासनिक अमला अब तक समस्या का समाधान नहीं करा पाया इससे बड़ा दुर्भाग्य कुछ नहीं हो सकता। बहरहाल तिरंगा महाराज ने भी ऐलान किया है कि वह किसानों की इस लड़ाई को अंतिम सांस तक जारी रखेंगे। अब देखना यह है कि ये लड़ाई कहां तक जाती है।




