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फाइलेरिया ग्रसित अंगों की देखभाल और नियमित अभ्यास है जरूरी: डॉ. आयशा

फाइलेरिया ग्रसित अंगों की देखभाल और नियमित अभ्यास है जरूरी: डॉ. आयशा
– फाईलेरिया अभिमुखीकरण कार्यशाला का आयोजन

सीतापुर। स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में हरगांव ब्लॉक के नबीनगर गांव के पंचायत भवन में फाइलेरिया मरीजों को रोग पर जागरूक करने को लेकर एक दिवसीय अभिमुखीकरण कार्यशाला आयोजित हुई। सेंटर फार एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) तथा पाथ संस्था के सहयोग से आयोजित कार्यशाला में पेशेंट सपोर्ट ग्रुप के 30 नेटवर्क सदस्यों के साथ ही चार नॉन नेटवर्क सदस्यों, नौ ग्रामीणों सात आशा और तीन आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने भी प्रतिभाग किया।

इस मौके पर पाथ संस्था की डॉ. आयशा आलम ने बताया कि फाइलेरिया के लक्षण तुरंत नज़र नहीं आते हैं। इसके लक्षण आने में 10 से 15 साल लग जाते हैं। इसलिए फाइलेरिया से बचाव ही इसका सफल उपचार है। उन्होंने चित्रों और वीडियो के माध्यम से फाइलेरिया ग्रसित अंगों की साफ-सफाई और व्यायाम करने के तरीकों को भी बताया। उन्होंने बताया कि जिनके हाथ-पैर में सूजन आ गई है या फिर उनके फाइलेरिया ग्रस्त अंगों से पानी का रिसाव होता है। इस स्थिति में उनके प्रभावित अंगों की सफाई बेहद आवश्यक है।

फाइलेरिया ग्रसित अंगों में घाव होने पर घाव की सफाई नियमित रूप से प्रतिदिन दो से तीन बार करनी जरूरी है। उन्होंने बताया कि घाव अथवा फाइलेरिया ग्रसित अंग पर साबुन नहीं रगड़ना है, बल्कि हाथों से साबुन का झाग बनाकर हल्के हाथों से घाव सहित फाइलेरिया ग्रसित पूरे अंग पर लगाना और साफ पानी से तब तक धुलना है, जब तक कि साबुन पूरी तरह से साफ न हो जाए।

कई लोग पानी में नमक अथवा फिटकरी डाल लेते हैं, लेकिन ऐसा कतई नहीं करना है। केवल साफ पानी से घाव की सफाई करने के बाद स्वास्थ्य विभाग से मिली क्रीम को हल्के हाथों से घाव पर लगाना है, क्रीम को घाव पर रगड़ने की जरूरत नहीं है और न ही उसे दबा कर उसके पस (मवाद) को निकालने की जरूरत है। घाव को धूल और मिट्टी से बचाना है। उन्होंने बताया कि जिन लोगों के पैरों में सूजन है, वह लोग अपने पैरों को लटका कर न बैठे वह जब भी बैठे तो सामने कुछ रखकर पांव को ऊंचा रखें, सोते समय भी पायताना (पैरों का हिस्सता) ऊंचा रखे। लेकिन दिल के रोगी अपने पायताने को ऊंचा न करें।

सीफार संस्था की नेशलन लीड रंजना द्विवेदी ने फाईलेरिया नेटवर्क की फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम में भूमिका पर चर्चा करते हुए नेटवर्क सदस्यों से अपील करते हुये कहा कि आगामी आगामी अगस्त माह में चलने वाले सर्वजन दवा सेवन अभियान (आईडीए राउंड) में ग्रामीणों को फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाने में आशा कार्यकर्ताओं एवं स्वास्थ्य विभाग का सहयोग करें । कार्यक्रम में सीएचसी की डॉ. बुशरा वारसी, आशा कार्यकर्ता गायत्री देवी, ऊषा देवी, रूचि, संतोष, किरन गुप्ता, विमलेश, लता वर्मा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सीमा शुक्ला, हाजिरा बेगम, मनोरमा सहित सीफार संस्था के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

क्या कहते हैं मरीज —
इस मौके पर फाइलेरिया मरीजों ने अपनी शंकाओं और जिज्ञासाओं को लेकर कई प्रश्न पूछे, उनके प्रश्नों के उत्तर देकर उनकी समस्याओं का समाधान भी किया।

अशोक कुमार ने बताया कि जब से अपने गांव के मरीजों के समूह से जुड़ा हूं मुझे फाइलेरिया को लेकर नई-नई जानकारियां मिल रहीं हैं, जिससे फाइलेरिया ग्रसित अंगों की देखभाल करने में आसानी रहती है। रामश्री ने बताया कि फाइलेरिया ग्रसित पैर की साफ-सफाई के बारे में जानकारी मिली है। डॉक्टर के बताए के अनुसार अब मैं रोजाना दिन में दो बार अपने पैरों की सफाई करूंगी। रीना देवी ने बताया कि फाइलेरिया बीमारी से बचने के लिए मच्छरों से बचना जरूरी है। गंदी नालियों में जला हुआ मोबिल ऑयल डालकर मच्छरों से बचाव किया जा सकता है। नसरीन और बेबी पांडेय ने बताया कि सोते समय पूरी आस्तीन के कपड़े पहनने और मच्छरदानी का प्रयोग करने से हम मच्छराें से बच सकते हैं। इसकी जानकारी ट्रेनिंग में मिली, अब मैं ऐसा ही करूंगी।

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