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गाँव की ज़मीन व मकान पर ऋण सुविधा की माँग
रूरल हब ने प्रधानमंत्री को भेजा सुझाव पत्र — गाँव की ज़मीन व मकान पर ऋण सुविधा की माँग

लखनऊ, 27 मई 2025
ग्रामीण भारत में उद्यमिता को गति देने और आत्मनिर्भर गांवों की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में कार्यरत संस्था रूरल हब इनोवेशन लिमिटेड ने आज एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को एक औपचारिक पत्र भेजा है।
इस पत्र में संस्था ने आग्रह किया है कि गाँव की ज़मीन और आवासीय संपत्तियों को बैंक ऋण के लिए पात्र संपत्ति घोषित किया जाए, जिससे करोड़ों ग्रामीण युवाओं, किसानों और महिला उद्यमियों को स्वरोज़गार के लिए वित्तीय सहायता सरलता से मिल सके।
रूरल हब ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि:
“शहरों और कस्बों में मकान और ज़मीन पर आसानी से लोन मिल जाता है, जबकि गाँवों में समान संपत्ति होने के बावजूद बैंकों द्वारा उसे गिरवी के रूप में स्वीकार नहीं किया जाता। यह व्यवस्था ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास में एक बड़ी बाधा है।”
संस्था ने प्रधानमंत्री से माँग की है कि:
•SVAMITVA योजना के अंतर्गत मिलने वाले स्वामित्व प्रमाण-पत्र को बैंकिंग दस्तावेज़ के रूप में मान्यता दी जाए।
•ग्राम पंचायत द्वारा प्रमाणित आवासीय संपत्तियों को बैंक लोन के लिए स्वीकार किया जाए।
•भूमि उपयोग परिवर्तन की प्रक्रिया को सरल, सुलभ और डिजिटल किया जाए।
रूरल हब ने इस पत्र में हाल ही में आयोजित “Rural Empowerment Summit 2025” का भी उल्लेख किया, जिसमें प्रदेश भर के 600 से अधिक उद्यमी, किसान, विशेषज्ञ और नीति निर्माता एकत्र हुए थे। इस समिट में ग्रामीण उद्यमिता को सशक्त बनाने हेतु कई महत्वपूर्ण सुझाव और मॉडल प्रस्तुत किए गए, जिनमें यह मुद्दा प्रमुख था।
“गाँवों के पास ज़मीन और संसाधन तो हैं, लेकिन यदि उन्हें पूंजी तक पहुँच न मिले, तो विकास एक सपना ही रह जाता है। हम प्रधानमंत्री से आग्रह करते हैं कि ग्रामीण संपत्ति आधारित वित्तीय समावेशन को राष्ट्रीय नीति का हिस्सा बनाया जाए।” गौरव गुप्ता, संस्थापक – रूरल हब
यह पत्र देश की ग्रामीण संरचना में एक नीतिगत परिवर्तन की मांग करता है और यदि केंद्र सरकार इस पर संज्ञान लेती है, तो यह गाँवों के लिए आर्थिक क्रांति का द्वार खोल सकता है।





