ईमानदार मुख्यमंत्री की कल्याणकारी सोच को पलीता दिखा रही है सरकारी मशीनरी

ईमानदार मुख्यमंत्री की कल्याणकारी सोच को पलीता दिखा रही है सरकारी मशीनरी
अधिकारियों की हीलाहवाली के कारण केवल खानापूरी तक सिमट कर रह गए हैं समाधान दिवस
ईमानदार पुलिस अधिकारी वनवास में और चाटुकार काट रहे हैं मलाई
लखनऊ की कानून व्यवस्था को संभालने में पूरी तरह फेल साबित हो रहे हैं पुलिस कमिश्नर
राहुल तिवारी/ समग्र चेतना
लखनऊ। सीएम योगी आदित्यनाथ जहाँ एक ओर प्रदेश को विकास के पथ पर ले जाने के के लिए लगातार मेहनत कर रहे हैं वहीं सरकार के उच्चाधिकारी अपने अधीनस्थों जिले के प्रशासनिक अधिकारियों के कामकाज की निरन्तर समीक्षा न करके, तहसील व ब्लाक स्तर पर योजनाओं का अमलीजामा पहना पाने में नाकाम साबित हो रहे हैं।
शासन में बैठे अधिकारी व जिले के प्रशासनिक अधिकारी जनमानस की समस्याओं को दरकिनार कर देते हैं । यही कारण है कि तहसील व थाने के समाधान दिवसों में शिकाययतकर्ता अपनी या सार्वजनिक शिकायत लेकर जाते है तो निस्तारण ही नही करा पाते, जिससे थकहार कर शिकायतकर्ता मजबूर होकर समधान दिवस जाना ही छोड़ देते हैं। जिससे सरकार के आदेशों /निर्देशों का मजाक बनकर रह गया है समाधान दिवस। शायद किसी तहसील दिवस में पुलिस उच्चाधिकारियों की उपस्थित नगण्य होने के कारण पुलिस की शिकायत पर त्वरित आदेश नहीं हो पाते।
सरकार द्वारा अगले दिवस में अनिवार्य रुप से सम्बन्धित अधिकारी की जवाबदेही तय की जानी चाहिए जिससे जनता का विश्वास सरकार पर बढ़ सके। जिले में सबसे विकराल व भयावह स्थित पुलिस विभाग की है, जिसमें कमिश्नर महोदय के अधीनस्थ न तो जनता की शिकायतों पर एक्शन लेते हैं, और न ही उच्चाधिकारियों के निर्देशों का पालन करते हैं। किसी भी शिकायत को पुलिस इतना टालती हैं कि शिकायतकर्ता दोबारा शिकायत लेकर नहीं जा पाता ? तमाम जनता के प्रार्थना पत्र विभागों में लम्बित पड़े हैं उन पर भी कोई कार्यवाही नहीं होती।
सरकारी विभाग में बैठे अफसर अपना सीयूजी नम्बर तक नहीं उठाते हैं। वही पुलिस महकमे का हाल तो बेहद बुरा है लखनऊ के वर्तमान कमिश्नर तो शायद ही कभी पुलिस व थानों की जमीनी हकीकत जानने निकले हो। हां इतना जरूर है कि कमिश्नर साहब के आने के बाद से लखनऊ में अपराध व अपराधी जरूर बेलगाम हुए, ताबड़तोड़ हत्या, लूट, महिला अपराध जैसी घटनाओं से राजधानी थर्रा जरूर गयी लेकिन उसके बाद भी पुलिस महकमे में व गृह विभाग में बैठे अफसरों को यह सब दिखाई नहीं दे रहा है। जो वाकई मे अच्छे पुलिस के अफसर है जो ईमानदारी से काम करके बेहतर पुलिस व्यवस्था चलाने में माहिर है और सरकार की छवि को बचाने का काम करते हैं ऐसे पुलिस अफसर आज वनवास काट रहे हैं।
कोई तो पुलिस ट्रेनिंग सेंटर में दो दो साल से पड़ा है, तो कोई पुलिस मुख्यालय में। लेकिन मानों सरकार व गृह विभाग के अफसर इन ईमानदार व मेहनत कश अफसरों को वनवास देने के बाद भूल सा गये हैं और लखनऊ जिन पुलिस अफसरों की गृह विभाग से लेकर सरकार व डीजीपी कार्यालय तक से मजबूत पकड़ है वो पांच साल से एक ही कुर्सी पर बैठकर मलाई काट रहे हैं। अच्छे अफसर वनवास काट रहे हैं और चाटुकार मलाई चाट रहे हैं ये उस राजधानी का हाल है।




