क्राइम कन्ट्रोल में लखनऊ के पुलिस कमिश्नर फेल!

- लखनऊ में तेजी से बढ़ रहा है क्राइम का ग्राफ
- हत्या,लूट जैसी बड़ी वारदातों पर नही है पुलिस का अंकुश
- लोगो को फिर याद आ रहे पहले पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडेय
राहुल तिवारी
लखनऊ। लखनऊ में लगातार बढ़ते हुए अपराध लगातार एक के बाद एक आपराधिक घटनाएं होना कानून व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है मानो उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अपराध व अपराधियों बेलगाम हो गए हैं।
गोमतीनगर जैसे पाश इलाके में 28 अगस्त को दिन दहाड़े ज्वैलरी की दुकान पर लूट की वारदात, यही नहीं गोमती नगर में यह दूसरी लूट की वारदात होना और चोरी की घटनाएं हर थाना क्षेत्र में लगातार बढ़ना, लूट हत्या जैसी घटनाओं की वारदातों का ग्राफ एक साल में इतना बढ़ना, राजधानी के थाना क्षेत्रों में अवैध खनन व तमाम अवैध कामो का होना थानों में जनता की फरियाद को अनुसुना कर दिया जाना।
ऐसा लगता है कि मानों पुलिस कमिश्नर डी के ठाकुर से राजधानी की कानून व्यवस्था नहीं सम्भल रही है। आज राजधानी के तमाम सम्भ्रान्त व्यक्ति एडवोकेट व जनता जनार्दन ने यह खुद स्वीकार किया कि राजधानी में कानून व्यवस्था बेलगाम हैं। दिन दहाड़े लूट हत्या जैसी घटनाएं चरम पर है थानों चौकी पर जनता की फरियाद को अनुसुना करके दलालों व क्षेत्र के छुटपुटिया नेताओं की सुनवाई हो रही है।

कई लोगों के मूहँ से तो यह भी निकला कि पहले वाले कमिश्नर साहब ठीक थे कम से वो बुलाकर लोगों की समस्याएं तो सुनते थे। आज कोई सुनने वाला नहीं है । लोगो ने पूछने पर बताया कि कौन कमिश्नर तो लोगों ने कहा सुजीत पांडे साहब मैंने भी लखनऊ के कुछ निवासी व अधिवक्ताओं से पूछा तो उन्होंने कहा कि उनके समय में अपराध व अपराधी दोनों शांत थे, पता नहीं कहा छिप गये थे। कानून व्यवस्था भी पटरी पर थी लेकिन पता नहीं सरकार ने उन्हें यहाँ से क्यों हटा दिया। जबकि वो कमांड व अपने आफिस में पहुंचने वाले हर व्यक्ति से मिलकर बडे़ स्नेह और प्यार से पूछते थे और सम्बंधित थाना प्रभारी को तत्काल फरियादियों की समस्याओं का निस्तारण कर अवगत कराने के लिए बोलते थे।
बता दे कि लखनऊ के पहले पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडे को वाकई मे क्राइम कंट्रोल के मामले में एक एक्स्पर्ट के रूप जाना जाता है ।अपराध व अपराधी के अन्दर सुजीत पांडे के नाम का एक खौफ दिखाई देता था इतना ही नहीं चाहे बसपा सरकार हो या सपा या फिर वर्तमान की भाजपा सरकार इन सभी सरकारों में भी सुजीत पांडे ने क्राइम कन्ट्रोल के मामले में एक अहम भूमिका निभाई थी। लखनऊ के आई जी रहने के दौरान भी सुजीत पांडे ने राजभवन के सामने दिन दहाड़े बैंक की कैश वैन को लूटकर ड्राइवर की हत्या जैसी बड़ी घटना जिस पर विपक्ष ने भी भाजपा सरकार पर हल्ला बोल किया था लेकिन सरकार की किरकिरी होने से बचाया और कैश बैन लूट की घटना को एक सप्ताह के अन्दर खोलकर रख दिया था। ये तो महज एक उदाहरण है।
नरही के व्यपारी के पुत्र का स्कूल के बाहर अपहरण हो जाने जैसी घटना को महज 2 घंटे के अंदर व्यपारी के पुत्र को अपरहणकर्ताओं के चंगुल से सकुशल बरामद किया था। लेकिन आज सरकार ने एक तेज तर्रार आई पी एस को पीटीसी ट्रेनिंग सेंटर सीतापुर भेज दिया लेकिन किसी को क्या मालूम था कि ऐसे तेज तर्रार सुजीत पांडे जैसे आई पी एस अफसर को सरकार बाहर भेज देगी। बता दूँ जिस दिन सुजीत पांडे का स्थानांतरण होने की सूचना पर सेन्ट्रल बार ऐशोशियन के अध्यक्ष सहित तमाम व्यपारी संगठनों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेज कर सुजीत पांडे का स्थानांतरण न करने का भी अनुरोध किया था लेकिन सुनने वाला कोई नहीं था लेकिन लगातार राजधानी में बढ़ती आपराधिक घटनाओं से सहमी राजधानी की जनता की जुबान पर एक बार फिर बेलगाम कानून व्यवस्था को देखकर सुजीत पांडे को याद किया है।
अब देखना यह है कि क्या राजधानी में लगातार बढ़ती आपराधिक घटनाओं पर अंकुश लगाने व थानों में जनता की सुनवाई हो इसके लिए सुजीत पांडे को वापस लखनऊ बुलाया जायेगा कि नहीं?



