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पृश्वीराज चौहान नाटक का किया सजीव मंचन, प्रहलाद की कथा सुनकर श्रोता हुए मत्रंमुग्ध

कस्बे में चल रहा पंद्रह दिवसीय ऐतिहासिक मेला महोत्सव
महमूदाबाद/सीतापुर। अत्यंत प्राचीन व सुप्रद्धिध मां संकटा देवी मंदिर में चल रहे 15 दिवसीय ऐतिहासिक मेला महोत्सव के दौरान संास्कृतिक मंच पर न्यू भारत नाट्य कला परिषद के कलाकारों ने पृथ्वीराज चौहान नाटक का आकर्षक संजीव मंचन किया। पृथ्वीराज चौहान का सजीव मनोहारी मंचन पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। कलाकारों की अद्भुत अभिनय क्षमता व प्रस्तुतिकरण तथा साज-सज्जा व वेषभूषा की लोग सराहना करते नहीं थकते। ऐतिहासिक घटना पर आधारित नाटक का सजीव मंचन देखने के लिए दर्शकों की भारी भीड़ मंदिर के सांस्कृतिक पांडाल में जुट रही है।

श्री संकटा देवी मंदिर के सांस्कृतिक मंच पर सोमवार की रात्रि आठ बजे से राहिलामऊ के न्यू भारत नाट्य कला परिषद के कलाकारों ने देशप्रेम से ओत प्रोत जीतेश कुमार द्वारा लिखे गए ‘पृथ्वीराज चौहान‘ नाटक का सजीव मंचन किया। नाटक के दौरान पृथ्वीराज चौहान व मो. गौरी के बीच हुये युद्ध में मो. गौरी पराजित हो जाता है। पराजित मो. गौरी को बंदी बनाकर दरबार में पेश किया जाता है। पृथ्वीराज चौहान बंदी मो. गौरी को राजा का मान देते हुये उसे मुक्त कर देते हैं। कुछ समय पश्चात छल पूर्वक मो. गौरी जयचंद्र की मदद से रात्रि में आक्रमण कर पृथ्वीराज चौहान को बंदी बनाकर जेल में डलवा देता है।

अनेक प्रकार की यातनाएं देते हुये उनकी आंखें निकलवा लेता है। फिर दरबार में जाकर पृथ्वीराज चौहान अपने शब्दभेदी बाण चलाकर मो. गौरी को मौत के घाट उतारते हुये खुद भी शहीद हो जाते हैं। नाटक में पृथ्वीराज चौहान के रूप में सतीश वर्मा, मो. गौरी के रूप में प्रमोद वर्मा व जयचंद्र के रूप में बुद्धराम के अभिनय को दर्शकों ने खूब सराहा। संचालन आनंद कुमार व व्यवस्था में बेचेलाल वर्मा, उमेश वर्मा ने विशेष सहयोग किया। इस मौके पर प्रबंध समिति अध्यक्ष आरके वाजपेयी, राजकुमार वर्मा, अशोक नाग, उमेश वर्मा, बेचे लाल, महराज सिंह, इंद्रजीत जायसवाल, शिवदास पुरवार, प्रदीप मौर्य, राशिद कामरीन, आनंद दुबे सहित बड़ी संख्या में दर्शकों ने देवी मां का दर्शन करने के साथ आकर्षक रासलीला का देर रात तक आनंद लिया।

प्रहलाद की कथा सुनकर श्रोता हुए मत्रंमुग्ध

महमूदाबाद/सीतापुर। जब-जब धरती पर अत्याचार और पाप की अति होती है। तब-तब ईश्वर किसी न किसी रूप में अवतार लेकर पापियों का अंत करने के साथ धर्म की रक्षा करता है। भगवान कृष्ण के जन्म के समय कंस का अत्याचार धरती पर व्याप्त था। प्राणियों को कंस के अत्याचार से मुक्ति दिलाने के लिये ही भगवान कृष्ण का धरती पर अवतार हुआ। थाना थानगांव क्षेत्र के सरैयां भटपुरवा गांव में चल रही सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन कथावाचिका चाँदनी सिंह ने श्री कृष्ण जन्म के प्रसंग का भक्तों को रसपान कराया। कथावाचिका ने कहा कि मथुरा के राजा उग्रसेन के पुत्र कंस के पाप कर्मों से परेशान गोमाता, पृथ्वी, संत एवं देवता मिलकर भगवान नारायण के पास जाते हैं और भगवान नारायण से कंस के समस्त दुराचार की कथा बताते हैं। भगवान नारायण कंस की बहिन देवकी के गर्भ से कृष्ण के रूप में जन्म लेकर पापी कंस सहित कई अन्य राक्षसों का वध कर धरती पर धर्म की स्थापना अपने भाई बलराम के साथ करते हैं। इस अवसर पर कथा आयोजक सहित बड़ी संख्या में भगवत भक्त मौजूद रहे।

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