राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के प्रारूप में परिवर्तन कराकर उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के निदेशक ने कर डाला सैकड़ो करोड़ का घोटाला

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के प्रारूप में परिवर्तन कराकर उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के निदेशक ने कर डाला सैकड़ो करोड़ का घोटाला
भारतीय किसान मंच के अध्यक्ष ने मामले का खुलासा कर विभाग के प्रमुख सचिव पर भी लगाया सांठगांठ का आरोप
किसान नेता ने हाइकोर्ट में दायर की जनहित याचिका
राहुल तिवारी
लखनऊ। उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में निदेशक ने एक निजी संस्थान के साथ मिलकर 100 करोड़ से भी अधिक के घोटाले को अंजाम दिया है,इसका खुलासा भारतीय किसान मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष देवेंद्र तिवारी रिंकू ने करते हुए बुधवार को हाइकोर्ट में एक जनहित याचिका भी दायर की और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से इस घोटाले की उच्चस्तरीय जांच कराकर दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही करने व किसानों को इस योजना में मिल रहे लाभ को पूर्व की व्यवस्था के अनुरूप कराए जाने की मांग की है।
उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में हुए सैकड़ों करोड़ के घोटाले का खुलासा करते हुए भारतीय किसान मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष देवेंद्र तिवारी ने पत्रकारों को बताया कि नवंबर 2015 में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में डीबीटी की व्यवस्था लागू की गई थी तथा शासनादेश संख्या 74/2016 के द्वारा विभाग में संचालित एमआईडीएच योजना तथा अन्य संचालित योजनाओं में डीबीटी की व्यवस्था लागू की गई।
2 दिसंबर 2020 तक इसका सफलतापूर्वक क्रियान्वयन विभाग में लागू था जिससे जहां एक ओर प्रदेश के कृषकों को अपनी स्वेच्छा अनुसार प्लाटिंग मटेरियल, बीज, खाद औषध, फूलों के बीज एवं पौधे तथा अन्य निवेश करने की सुविधा थी। डीबीटी की वजह से योजना अंतर्गत अनुमन्य अनुदान सीधे किसानों के खाते में जा रहा था। विभाग के फील्ड लेवल के कर्मचारी, अधिकारी भी डीबीटी की व्यवस्था से बहुत खुश एवं संतुष्ट थे क्योंकि उनके ऊपर विभागीय अधिकारियों का किसी प्रकार का कोई दबाव नहीं था।
तिवारी ने बताया कि वर्तमान में निदेशक डॉ आरके तोमर जिन्हें जनवरी 2021 में निदेशक का पदभार अतिरिक्त रूप से दिया गया था उस समय डॉ तोमर संयुक्त निदेशक उद्यान के पद पर आसीन थे और वर्तमान में अपने मौलिक पद अपर निदेशक उद्यान के रूप में कार्यरत हैं। उनके द्वारा तत्कालीन प्रमुख सचिव उद्यान से सांठगांठ कर एसडीबीटी के स्थान पर काइंड डीबीटी का प्रस्ताव शासन को भेजकर स्वीकृत करा लिया गया जबकि भारत सरकार के अनुसार इन दोनों योजनाओं में काइंड डीबीटी का कोई प्रावधान था ही नहीं। काइंड डीबीटी परिवर्तन का मुख्य उद्देश्य बिचौलियों व सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के माध्यम से अपने मनमाने तरीके और दामों पर बीज, पौधे एवं अन्य प्लाटिंग सामग्री किसानों को देकर मोटा कमीशन प्राप्त किया जाए। विभाग के महा भ्रष्ट निदेशक डॉ तोमर द्वारा अपने पद का दुरुपयोग कर अपनी स्वेच्छा से क्रय किए गए प्लाटिंग मटेरियल को किसानों में काइंड डीबीटी के रूप में वितरित कर करोड़ों के वारे न्यारे किये गए और शासन में बैठे अधिकारी भी मोटा कमीशन डकारकर चुप्पी साधे बैठे रहे और किसान का शोषण होता रहा। इस परिवर्तन के कारण कृषकों को अपनी स्वेच्छा अनुसार प्लाटिंग मटेरियल खरीदने की स्वतंत्रता भी उनसे छीन ली गई।
विकास खंड स्तर के कर्मचारियों पर भ्रष्ट निदेशक द्वारा दबाव बनाकर अमुक कंपनी का बीज क्रय कराने हेतु बाध्य किया गया जिसकी शिकायत कर्मचारी संगठनों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी की थी। काइंड डीबीटी में परिवर्तन के शासनादेश दिनांक 21-9- 2021 में दिए गए निर्देशों के अनुसार ना तो संस्थाओं के चयन हेतु खुली एवं पारदर्शी निविदा आमंत्रित की गई और ना ही न्यूनतम दरों को सुनिश्चित करने हेतु संस्थाओं से खुली एवं पारदर्शी प्रतिस्पर्धात्मक दरें ही मांगी गयीं।शासनादेशों के विपरीत बिना निविदा कराएं ही संस्थाओं का चयन निदेशक उद्यान डॉक्टर आरके तोमर द्वारा स्वयं ही कर लिया गया तथा इन चयनित 5 संस्थाओं से सीधे पत्र के माध्यम से दरें आमंत्रित की गई।
जिससे एक संस्था नेफेड द्वारा तो पत्र निर्गत के पूर्व ही अपनी दरें विभाग को उपलब्ध करा दी थी। जिससे स्पष्ट है कि वर्तमान निदेशक डॉ आरके तोमर की इस संस्था के साथ सांठगांठ है इस संस्था के माध्यम से डॉ आरके तोमर निदेशक उद्यान द्वारा केवल शकर, साग, भाजी, मसाला बीज एवं अन्य निवेश में विगत दोनों वर्षों में रुपए 100 करोड़ से अधिक का गबन कर बड़ा भ्रष्टाचार किया गया है। श्री तिवारी ने कहा कि यदि अन्य कार्यक्रम फल क्षेत्र विस्तार, औषधि बौद्ध क्षेत्र विस्तार, टिश्यू कल्चर, केला क्षेत्र विस्तार तथा फूल क्षेत्र विस्तार कार्यक्रम एवं प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में किए गए भ्रष्टाचार की जांच कराई जाए तो हजारों करोड़ से भी अधिक का घोटाला एवं भ्रष्टाचार सामने आएगा।
भारतीय किसान मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष देवेंद्र तिवारी ने बताया उन्होंने इस मामले को लेकर एक जनहित याचिका भी उच्च न्यायालय लखनऊ में दाखिल की है।



