चीनी मिल की दोहरी नीति से किसान बेहाल मिल गेट पर तीसरा पक्ष, क्रयकेन्द्रों पर पहला पक्ष

सकरन/सीतापुर। सरकार की दोगुनी आय पर मिल प्रबंधन पानी फेर रहा है। एक माह में एक पक्ष की पर्चियां निर्गत नहीं हो पाई है। गांजर क्षेत्र के किसानों के मंसूबों पर भारी चीनी मिल। मनमाने तरीके से दर्जनों क्रय केंद्रों का इंडेंट सेट किया गया। बिना जांच किये ही मिल के भरोसे समिति भी लापरवाही कर रही है। गन्ना किसानों की दुर्दशा में चीनी मिल का अहम योगदान।
किसानों की आय दोगुना करके ही दम लेगा चीनी मिल प्रबंधन। द अवध शुगर एंड एनर्जी लिमिटेड हरगांव एक बिरला ग्रुप का उपक्रम है। यहीं पर चीनी मिल के सामने गन्ना विकास परिषद व सहकारी गन्ना समिति भी है। अगर देखा जाए तो पूरी तरह से गन्ना बुवाई से लेकर गन्ना तौल होने तक शासन की निगरानी में सभी काम होते हैं। फिर भी किसानों को गन्ना सम्बन्धी विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
आये दिन गन्ना घटतौली, सर्वे में लापरवाही, प्रजाति में बदलाव, पेड़ी पौधा में बदलाव, पर्ची देर से निर्गत होना आदि बातें आम होती जा रही हैं। गन्ना बुवाई करवाने के लिए आये दिन चीनी मिल शकर की अधिक रिकवरी लेने के लिए विभिन्न प्रकार के हथकंडे अपना रही है, जिसमे गन्ने की एक पंक्ति से दूसरी पंक्ति की दूरी को 4 से 5 फ़ीट की दूरी पर गन्ने की बुवाई करवाना मुख्य है। अधिक दूरी पर गन्ना बुवाई करने से गन्ने में शकर की मात्रा बढ़ जाती है और किसानों की गन्ने की उपज कम हो जाती है। जिससे प्रलोभन के चक्कर मे किसान गन्ने की बुवाई चीनी मिल के अनुसार गन्ना बुवाई करता है। तो फिर चीनी मिल व किसानों में किसान कौन है और खेती कौन करता है? खेती करने का अनुभव ए सी में रहने वालों को है या फिर किसानों को?
किसानों की समस्याओं का खात्मा होते नहीं दिख रहा है। किसानों के कई बार शिकायत करने के बाद बड़ी मुश्किल से परिक्षेत्र लालपुर से सम्बंधित करीब एक दर्जन गन्ना क्रय केंद्र इस सत्र देरी से चालू किये गए थे। केंद्रों के चलने से पहले मिल गेट की पर्चियां निर्गत होती रहीं। केंद्रों के चले हुए करीब एक माह हो रहा है फिर भी मिल गेट का तीसरा पक्ष समाप्त होने वाला है जबकि क्रय केंद्रों पर अभी भी पहला पक्ष चल रहा है। क्रय केंद्रों पर उक्त चीनी मिल ने न तो इंडेंट बढ़ाई और न ही सहकारी गन्ना समिति को किसानों की दुर्दशा दिखी। समझने वाली बात है कि चीनी मिल का कार्य क्रय केंद्रों की इंडेंट से गन्ना समिति को अवगत कराना होता है, इसके बाद गन्ना समिति उसी हिसाब से गन्ना पर्ची जारी करती है।
इससे स्पष्ट होता है कि चीनी मिल इंडेंट कम दर्शाकर किसानों को मूर्ख समझ रही है या फिर गन्ना समिति जांच किये बिना, ईमानदारी के साथ चीनी मिल का साथ दे रही है। किसानों की समस्याओं से अवगत होते हुए भी जिले के आला अफसर मूक दर्शक बने हुए हैं। किसानों के साथ हो रहे अन्याय को लेकर क्षेत्र के किसानों में भारी आक्रोश है। किसानों की समस्याओं को लेकर जब गन्ना महाप्रबंधक पुष्पेंद्र ढाका से बात की गई तो बताया कि क्रय केंद्रों व मिल गेट पर पक्षों के अंतर को लेकर उच्चाधिकारियों से वार्ता करके 15 जनवरी तक अंतर समाप्त कर दिया जाएगा।




