लेखपालों की मनमानी सरोजनीनगर के ग्रामीणों के लिए बनी सिरदर्द

वरासत से लेकर सरकारी जमीनों की पैमाइश तक का कार्य है बुरी तरह से प्रभावित
राहुल तिवारी
लखनऊ। सरोजनीनगर क्षेत्र में लेखपालों की मनमानी इस कदर हावी है कि वरासत से लेकर सरकारी जमीनों की पैमाइश तक का कार्य बुरी तरह से प्रभावित है इसके बाद भी जिम्मेदार अधिकारी कान में उंगली डाले बैठे है नतीजा ग्रामीणों को अपने काम के लिए तहसील के चक्कर काटने पड़ रहे है तो वहीं विकास कार्य भी उस गति से नही हो पा रहे हैं जिस गति से उन्हें होना चहिये।
कुछ ऐसा ही हाल सरोजनीनगर तहसील के ग्राम सभा रामदासपुर सहिजनपुर व हरौनी पुरही में देखने को मिला जहाँ के ग्रामीणों ने बताया कि आज उनके पिता की मृत्यु हुए काफी दिन बीत चुके हैं लेकिन उनके नाम आज तक जमीन नहीं चढ़ पाई है। रामदासपुर गाँव के मिश्री लाल रावत का कहना है कि उनके पिता बलदेव प्रसाद को खत्म हुए तीन साल हो चुके हैं लेकिन उनके व उनके भाई नेक चन्द व माता के नाम जमीन आज तक नहीं दर्ज हुई। वहीं हरौनी गाँव के निवासी अतुल सिंह माखन ने कहा कि उनके पिता कृष्ण पाल सिंह को खत्म हुए चार माह बीत जाने के बाद भी उनके व भाई व माता जी के नाम कृषि भूमि दर्ज नही हो पाई जबकि लेखपाल को सभी कागजात उपलब्ध कराये जा चुके हैं लगभग 20 दिन बीत चुके हैं।
इसके साथ सहिजनपुर ग्राम सभा के निवासी बांके लाल ने कहा कि उनके पिता जी को भी खत्म हुए लगभग छ माह हो रहे हैं और वो एक माह से लेखपाल के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन वरासत आज तक नही हुई। इसके अलावा सहिजनपुर ग्राम सभा रामदासपुर में न तो क्रीड़ा स्थल है और न ही सार्वजनिक कूड़ा स्थल इस बारे में जब सचिव से बात की जाती है तो वो बताते हैं कि लेखपाल जब पैमाइश नहीं करने आते है तो मैं कैसे सब बनवा दूं। जिसके कारण रामदासपुर गाँव में लगभग दो बीघा का पुराना तालाब में पूरे गाँव का कूड़ा डाला जाता है जिससे गाँव में संक्रमण बीमारी फैलने का भी खतरा है क्यो कि पूरे गाँव का पानी इस तालाब में जाता है जिससे कूड़े में सड़न पैदा हो रहीं है। लेखपालों के इस रवैये से लोगों में खासी नाराजगी है बता दे सरोजनीनगर तहसील के लेखपाल अब करोड़ पति हो चुकें है उनको न तो अपने चिन्हित गांवों से कोई लेना देना है और न ही ग्रामीणों से। इस सम्बन्ध में जब उपजिलाधिकारी सरोजनीनगर से फोन पर बात करनी चाही तो उन्होंने फोन रिसीव करने के वजाय काट दिया




