बड़ी गाड़ी, बड़ा बंगला, बड़ा रुतबा और भौकाल के बीच रहे अब बीजेपी ने बना दिया प्रत्याशी

लखनऊ। अपने जीवन के 25 साल जिसने अफसरी में काट दिए। बड़ी गाड़ी, बड़ा बंगला, बड़ा रुतबा और भौकाल के बीच रहा। अब वह व्यक्ति गरीब किसान गांव गली की पगडंडियों में, पैदल चलकर जनता से हांथ जोड़कर वोट मांग पाएगा। ये बड़ा सवाल है। साथ ही एक सवाल ये भी है कि जिसकी पत्नी लखनउ रेंज की आईजी हों और पति चुनावी मैदान में उतर जाए। ऐसे में पुलिसिया व्यवस्था कितना प्रभावित हो सकती है क्या इस मामले का भी चुनाव आयोग संज्ञान लेगा ये भी बड़ा सवाल है जिसका जवाब हम आप पर और चुनाव आयोग पर छोड़ते हैं।
लखनऊ की सरोजनीनगर विधानसभा से बीजेपी ने स्वाति सिंह का टिकट काटकर राज राजेश्वर सिंह को मैदान में उतारा है। राजेश्वर सिंह 1997 बैच में पीपीएस अधिकारी के पद चयनित हुए। प्रवर्तन निदेशालय ईडी के संयुक्त निदेशक रहे। पिछले मंगलवार को वीआरएस लेकर अचानक राजनीति में कूद गए। राजेशवर सिंह एक अधिकारी के तौर पर पुलिस महकमें और ईडी में कार्यरत रहे हें।
अभी उनके रिटायरमेंट में 11 साल बचे थे। पुलिस महकमें में सीओ रहते हुए उन्हें लोग एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के नाम से जानते रहे। 2009 में राजेश्वर सिंह ईडी में चले गए। श्री सिंह 2 जी स्पेक्टम आवंटन घोटाला, अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर डील, एयरटेल मैक्सिस घोटाला, गोमती रिवर फ्रंट घोटला समेत कई मामलों की जांच कर चुके हैं। उनकी छवि ईमानदार अफसरों में रही है भ्रष्ट अधिकारियों माफियाओं पर शिकंजा कसने के साथ अवैध तरीके से कमाई गई 4000 करोड़ रुपए की प्रापर्टी उन्होंने जब्त करवाई थी। ये बड़ी बात है।
राजेश्वर सिंह की पत्नी लक्ष्मी सिंह भी आईपीएस अधिकारी हैं वर्तमान में वह लखनउ आईजी जोन के पद पर तैनात हैं। राजेश्वर सिंह के परिवार में कई आईएएस और आईपीएस अफसर हैं। सरोजनीनगर से राजेश्वर सिंह का अचानक नाम आया और बड़ी आसानी से टिकट भी मिल गया। लेकिन उनकी जीत क्या इतनी आसान हो पाएगी। आईए समझते हैंं सरोजनीगर सीट का राजनीतिक समीकरण।
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लखनऊ की सरोजनी नगर विधान सभा में जहां एक तरफ ग्रामीण वोटर हैं तो दूसरी तरफ नए परिसीमन के बाद शहरी वोटरों की संख्या भी बढ़ी है। दलित और ओबीसी भारी संख्या में हैं तो ब्राह्मण, ठाकुर और वैश्य वोटरों का अनुपात भी यहां और भारी हो जाता है। ऐसे में जातीय समीकरण साधना आसान नहीं है लेकिन जो भी दल इसमें सफल रहा है, यह सीट उसी के नाम हुई है। इस सीट पर हमेशा सवर्ण-ओबीसी और सवर्ण-दलित फॉर्म्युला सटीक बैठता रहा है। इस सीट की बात करें तो 1967 में कांग्रेस से विजय कुमार त्रिपाठी पहली बार यहां से विधायक बने। उसके बाद, 1969 में कांग्रेस से चंद्रभान गुप्ता, 1974 में कांग्रेस के विजय कुमार त्रिपाठी, 1977 में पहली बार जनता पार्टी से छेदा सिंह चौहान विधायक बने, साल 1980 में फिर से कांग्रेस ने सीट पर कब्जा कर लिया और विजय कुमार त्रिपाठी विधायक बन गए। इसके बाद 1985 में शारदा प्रताप शुक्ला ने निर्दलीय सीट निकालकर सभी को चौंका दिया था।
दो साल बाद दोबारा चुनावों में जनता दल ने उन्हें टिकट दिया और शादरा प्रताप ने फिर से जीत हासिल की थी। साल 1991 में एक बार फिर परिवर्तन हुआ और कांग्रेस से विजय कुमार त्रिपाठी ने बाजी मार ली। 1993 में दोबारा चुनाव हुए तो पहली बार यहां साईकिल दौड़ पड़ी और समाजवादी पार्टी से श्याम किशोर यादव ने जीत दर्ज की। 1996 में वह दोबारा सपा से चुने गए। इसके बाद 2002 और 2007 में दो बार लगातार बसपा से इरशाद खान यहां से जीते हैं। हालांकि साल 2012 में फिर से समाजवादी पार्टी से शारदा प्रताप शुक्ला ने जीत हासिल की। पहली बार 2017 में यहां कमल खिला था। स्वाति सिंह ने सपा के अनुराग यादव को 34179 वोट से हराया था। बहरहाल इस बार स्वाति सिंह का टिकट कट गया है। और राज राजेश्वर सिंह को बीजेपी ने मैदान में उतारा है।
आपको बता दें कि लखनउ की इस सीट पर सबसे ज्यादा तकरीबन 5 लाख वोटर्स हैं। इसमेें ब्राह्मण 45 हजार, ठाकुर 55 हजार, दलित 1.6 लाख, ओबीसी 1.4 लाख, मुसलमान 22 हजार, अन्य वोटर्स 58 हजार हैं। कांग्रेस ने इस सीट पर रुद्र दमन सिंह बबलू को मैंदान में उतारा है। यह पूर्व में जिला पंचायत सदस्य रह चुके हैं। इनकी पत्नी जिला पंचायत सदस्य हैं। क्षेत्र में पुरानी पकड़ है सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में कार्य करते रहे हैं। बसपा से जलीश अहमद मैदान में हैं। जलीस पहली बार राजनीति में उतरे हैं। युवा हैं इनके पिता अजीम अहमद समाजवादी पार्टी में थे। वहीं समाजवादी पार्टी ने अभी तक इस सीट पर कोई कैंडिडेट डिक्लेयर नहीं किया है। समाजवादी पार्टी के मैदान में आने के बाद मुकाबला और भी रोचक हो जाएगा। बहरहाल सबसे ज्यादा चुनौती बीजेपी प्रत्याशी के लिए है क्योंकि पार्टी सिम्बल के अलावा क्षेत्र में उनकी कोई निजी पहचान नहीं है। फिर मिलेंगे किसी और विधानसभा को लेकर तब तक के लिए देखते रहे समग्र चेतना नमस्कार।




