परिक्रमा के अंतिम पड़ाव मिश्रिख पहुंचे श्रद्धालु
यहां ठहरकर श्रद्धालु करेंगे पंचकोसीय परिक्रमा
चित्र परिचय-परिक्रमा करते श्रद्धालु।
मिश्रिख/सीतापुर। रामनाम की गूंज के बीच मिश्रिख क्षेत्र से शुक्रवार को पंच कोसी परिक्रमा शुरू हो गई। श्रद्धालुओं का उत्साह देख माहौल भी भक्तिमय हो गया। लोग रात-दिन लगातार चलकर परिक्रमा कर रहे हैं। मान्यता है कि जो लोग 84 कोसी परिक्रमा से वंचित रह जाते हैं, वह पंच कोसी परिक्रमा कर उतना ही पुण्य प्राप्त कर सकते हैं। इस वजह से क्षेत्रीय लोगों की संख्या काफी अधिक है। रविवार सुबह मिश्रिख पहुंचे रामादल ने 84 कोसी परिक्रमा पूरी कर ली। इस परिक्रमा के मिश्रिख पहुंचने के बाद ही पंच कोसी परिक्रमा प्रारंभ होती है। यही वजह है कि बृहस्पतिवार रात से ही श्रद्धालु पंच कोसी परिक्रमा की तैयारी में जुट गए। महर्षि दधीचि कुंड में स्नान व पूजन के बाद श्रद्धालु पंच कोसी परिक्रमा पर निकले।
परिक्रमा की सबसे अहम बात यह है कि इस परिक्रमा को मिश्रिख में किसी भी स्थान से प्रारंभ कर सकते हैं। संतों व महंतों का कहना है कि इस परिक्रमा का पुण्य लाभ भी 84 कोसी परिक्रमा के समान है। इस वजह से क्षेत्रीय नागरिक अधिक संख्या में शामिल हैं। परिक्रमा के दौरान श्रद्धालु भगवान श्रीराम के जयकारों के साथ विभिन्न देवी-देवताओं के जयकारे बोल रहे हैं। कोई दंडवत करते हुए परिक्रमा कर रहा है, तो कोई किसी को सहारा देकर परिक्रमा करवा रहा है। हर तरफ बस आस्था नजर आ रही है। मिश्रिख क्षेत्र में तकरीबन 20 किलोमीटर की परिधि में श्रद्धालुओं ने अपना डेरा जमा रखा है। बताया जाता है कि करीब तीन लाख श्रद्धालु मिश्रिख कस्बे में पहुंचे हैं।
84 कोसी छूटे तो करें पंच कोसी परिक्रमा
संतों व महंतों का कहना है कि यदि किसी श्रद्धालु की 84 कोसी परिक्रमा छूट जाती है तो उसे परेशान होने की जरूरत नहीं है। वह मिश्रिख क्षेत्र में पंच कोसी परिक्रमा कर पुण्य लाभ उठा सकता है।
मिश्रिख का महत्व
मिश्रिख महर्षि दधीचि की नगरी है। जहां पर महर्षि दधीचि ने वृत्तासुर के संहार के लिए देहदान किया था। उनकी हड्डियों से ही वज्र बनाया गया, जिससे वृत्तासुर का संहार किया गया। महर्षि दधीचि की तपस्थली होने के कारण इस धरती को बेहद पवित्र माना गया है। यहां पर महर्षि दधीचि ने जिस स्थान पर स्नान किया था। उसे दधीचि कुंड कहा जाता है।
राम का नाम जपते-जपते छूटे प्राण
पंच कोसीय परिक्रमा मेले की प्रथम दिन श्रद्धालू सुबह से ही परिक्रमा पथ पर उमड पडे। जिसमें लखीमपुर खीरी जनपद निवासी श्रद्धालु चन्द्र गिरी पुत्र राज गिरी निवासी ग्राम मूडा बुजुर्ग थाना फरदना जनपद लखीमपुर खीरी उम्र 75 परिक्रमा पूरी करने के बाद परिक्रमा पथ पर ही राम नाम जपते-जपते अपने प्राण त्याग दिये।