जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने हेतु फसल विविधीकरण आवश्यक-डा. डीएस.

जनपद में पुष्पोत्पादन एवं मौनपालन को बढ़ावा देने हेतु किया जा रहा है प्रयास
मानपुर/सीतापुर। पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने हेतु मित्र जीवों को आमंत्रित कर उनके संवर्धन हेतु अनुकूल माहौल बनाने की अति आवश्यकता है। जिसके अंतर्गत फूलों की खेती को बढ़ावा देकर पर्यावरण हितैषी जीवों के संवर्धन हेतु प्रयास की आवश्यकता है। साथ ही पुष्पोंत्पादन से अधिक आय अर्जन एवं मौन पालन को बढ़ावा देने में मजबूती मिलेगी। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए कृषि विज्ञान केंद्र कटिया सीतापुर में राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान लखनऊ के सौजन्य से एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान, के प्रधान वैज्ञानिक डा. दयाशंकर श्रीवास्तव ने फ्लोरीकल्चर मिशन के उद्देश्यों पर वार्ता करते हुए कहा कि वाणिज्यिक फूलों की खेती, मधुमक्खी पालन और जंगली सजावटी पौधों के लिए फूलों की खेती पर ध्यान केंद्रित करना है। ताकि किसानों और उद्योग को निर्यात आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए खुद को तैयार करने में मदद मिल सके। डा. केके. पुरुषोत्तम प्रधान वैज्ञानिक राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान द्वारा विभिन्न मौषम में अलग अलग फूलों की सस्य क्रियाओं व विपणन व्यवस्था पर वार्ता की गई।
कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डा. दयाशंकर श्रीवास्तव ने राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि जनपद के फसल विविधीकरण में यह योजना अहम भूमिका अदा करेगी। जबकि जो कृषक कृषि विज्ञान केंद्र के माध्य्म से इस योजना से जुड़ रहे हैं उन्हें आने वाले कई वर्षों तक योजना का लाभ मिलता रहेगा। राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक डा. नौशाद आलम व डा. वसीम ने योजनान्तर्गत कृषकों को देय आदानों व पंजीकरण प्रक्रिया पर विस्तार से वार्ता की। कृषि विज्ञान केंद्र के प्रसार वैज्ञानिक शैलेंद्र सिंह व मधुमक्खी पालक अचल वर्मा द्वारा फूलों की खेती के साथ मधुमक्खी पालन की सलाह दी गई। उन्होंने कहा कि इससे खेती में गुणात्मक बृद्धि होगी।
केन्द्र के वैज्ञानिक डा. आनंद सिंह, शिशिर कांत सिंह व सचिन प्रताप तोमर द्वारा प्राकृतिक बिधि से खेती की प्रक्रिया पर वार्ता की गई। कार्यशाला में जनपद के विभिन्न क्षेत्रों से कुल 62 कृषकों ने प्रतिभागिता की व अपना पंजीकरण कराया। जबकि किसानों को गेंदा के नर्सरी पौध एवं रजनीगंधा के कंद खेती के लिए उपलब्ध कराकर वितरित किए गए। कार्यशाला का संचालन व धन्यवाद ज्ञापन डॉ योगेंद्र प्रताप सिंह ने किया।




