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देश के नवाचार इंजन बनेगें लघु सूक्ष्म एवं माध्यम उद्यमों के खेवनहार

देशी गाय के पंचगाव्यों के मानकीकरण के प्रश्न पर संस्था के निदेशक डॉ० भास्कर नारायण ने बताया की उन्होंने दुग्ध के सभी अवयवों के माननकीकरण पर कार्य किया है, जो संसथान के पास उपलब्ध है. इस पर श्री गुप्ता ने उनसे वह सभी रिपोर्ट को सार्वजानिक करने का अनुरोध किया ताकि देश के नवाचार के इंजिन के शोध का लाभ आम जनमानस को मिल सके

लखनऊ: वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग के कार्यक्रम में लघु मध्यम एवं कुटीर उद्यमों को कैसे सशक्त बनाया जाए विषय पर एक दिवसीय चिंतन शिविर, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग के भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान केंद्र, लखनऊ  के सभागार में आयोजन हुआ इस चिंतन शिविर का लक्ष्य शिक्षाविदों और एमएसएमई उद्यमों के बीच संबंधों को मजबूत करना एवं एमएसएमई सेक्टर को औद्योगिक अनुसंधान के लिए सभी हैंड होल्डिंग उपलब्ध कराना हैं

कार्यक्रम में भारत सरकार में सचिव चिंतन शिविर के उद्घाटन सत्र के दौरान डॉ. एन. कलैसेल्वी, सचिव, डीएसआईआर और डीजी-सीएसआईआर ने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के आत्मनिर्भर भारत बनाने के दृष्टिकोण को पूरा करने के लिए एमएसएमई स्टार्टअप और इन्नोवेटर को सक्षम करने के लिए कार्य कर रहा है उन्होंने बताया की भारत की जीडीपी में एमएसएमई का 29% और भारत के कुल एक्सपोर्ट में एमएसएमई का 45% का योगदान है यह सभी एमएसएमई उद्यम भारत की अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा प्रदान कर रहे हैं इतने  महत्वपूर्ण सेक्टर की  उच्चीकरण  के लिए आधुनिक तकनीक और रिसर्च के लिए हम सभी लोग कार्य कर रहे हैं इसके लिए डीएसआईआर – आईआईटीआर, लखनऊ के प्रयासों की सरधना भी की

डीएसआईआर और सीआरटीडीएच पिछले 4 वर्षों से जिसमें दो वर्ष कोरोना में निकल गए 2 वर्षों में या प्रथम चिंतन शिविर है जिसमें देश के विभिन्न लैब में इस तरह के कार्यक्रम आयोजित किया जा रहे हैं

 

 

डॉ. सुजाता चकलानोबिस, वैज्ञानिक-जी और प्रमुख-सीआरटीडीएच, डीएसआईआर ने चिंतन शिविर का अवलोकन किया उन्होंने नवाचार की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र के एक प्रमुख घटक के रूप में एमएसएमई को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है इसके लिए हमको सभी घटकों का मानकीकरण करना होगा जिसमें सीआरटीडीएच, डीएसआईआर महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं इस अवसर पर एक वेबसाइट का आदतन संस्करण लांच किया गया जो भारत के सभी लैब को पर्यावरण पूरक उद्यमों की स्थापना और प्रोत्साहन के लिए समन्वयक का कार्य करेगा संस्था के निदेशक डॉ. भास्कर नारायण ने विभिन्न हितधारकों को उनकी अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं को पूरा करने में सहायता करने के लिए डीएसआईआर-सीआरटीडीएच-आईआईटीआर, लखनऊ के प्रयासों की सराहना की।

डॉ. पार्थसारथी और डॉ. बी श्रीकांत ने डीएसआईआर-आईआईटीआर-सीआरटीडीएच के तहत की गई गतिविधियों और एमएसएमई के लिए अवसरों का पता लगाने के प्रयासों पर एक जानकारी प्रदान की। एमएसएमई/स्टार्ट-अप/इनोवेटर्स के प्रतिभागियों को उनके अनुसंधान एवं विकास लक्ष्यों को समझने में आने वाली चुनौतियों पर विचार-मंथन करने के लिए पांच समूहों में विभाजित किया गया था, जिसके बाद उस पर एक संक्षिप्त प्रस्तुति दी गई। विषयगत सत्र “संवाद” तक जारी रहा जिसका समन्वयन डॉ.विपिन सी.शुक्ला, वैज्ञानिक-एफ, डीएसआईआर द्वारा किया गया। ‘संवाद’ के दौरान, एमएसएमई, स्टार्टअप और इनोवेटर्स के सामने आने वाली प्रमुख कठिनाइयों पर चर्चा की गई और पीआई, डीएसआईआर-सीआरटीडीएच-आईआईटीआर, लखनऊ द्वारा संभावित समाधानों पर चर्चा की गई।

इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उन्नयन योजना में कार्यरत डीआरपी और उद्यमियों ने भाग लिया जिसमें रूरल हब के संस्थापक गौरव कुमार गुप्ता ने बताया कि गांव क्षेत्र के लोगों को किसी भी उद्यम लगाने में सभी सेवाओं को एकल खिड़की के माध्यम रूरल हब उपलब्ध कराता है, इसके लिए ब्लॉक स्तर पर केंद्र खोले जा रहे हैं। श्री गुप्ता ने गाय के पञ्चगव्य के मानकीकरण, जैविक उर्वरकों की पैकिंग और सेल्फ लाइफ बढ़ाने जैसी कई समस्याओं का सामाधन के लिए अधिकारियों से अपील की जिसमें डॉ पार्था ने सभी समस्याओं का सामाधन करने और गांव के उद्यमों की उनसे संबंधित समस्याओं का सामाधन करने आश्वासन दिया।

देशी गाय के पंचगाव्यों के मानकीकरण के प्रश्न पर संस्था के निदेशक डॉ० भास्कर नारायण ने बताया की उन्होंने दुग्ध के सभी अवयवों के माननकीकरण पर कार्य किया है, जो संसथान के पास उपलब्ध है. इस पर श्री गुप्ता ने उनसे वह सभी रिपोर्ट को सार्वजानिक करने का अनुरोध किया ताकि देश के नवाचार के इंजिन के शोध का लाभ आम जनमानस को मिल सके कार्यक्रम में औरैया, मउ नाथ भंजन और आजमगढ़ से आये डीआरपी ने अपनी अपनी समस्याओं को बताया जिसमें प्रशिक्षण, रेगुलेशन और मशीनतंत्र का उच्चीकरण प्रमुख रहे।

 

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