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सतमार्ग पर चलकर ही मानव लोभ, माया, कुकृत्यों बुरी संगत व क्रोध से बच सकता है :आचार्य विष्णु कांत

 

बंथरा पंचायत कार्यालय के पास आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन श्रद्धालुओं ने मंत्रमुग्ध होकर सुनी कथा

समग्र चेतना

लखनऊ। बंथरा में नगर पंचायत कार्यालय के पास आयोजित सात दिवसीय तृतीय श्रीमद् भागवत कथा शुभारंभ के दूसरे दिन मंगलवार को देर शाम शुरू हुई इस भागवत कथा में सभी श्रद्धालुओं ने खूब आनंद लिया। श्री वृंदावन धाम से पधारे पूज्य विष्णुकांत महाराज ने राजा परीक्षित और पूज्य शुक्रदेव जी महाराज की जन्म कथा का सभी भक्तों को रसास्वादन कराया। उन्होंने वर्णन करते हुए कहा कि उनके जीवन आदर्शो और उनके बताए सतमार्ग पर चल कर मानव लोभ, माया, कुक्रत्यों, बुरी संगति और क्रोध से बच सकता है।

कथा विश्राम से पहले कलयुग के गुण और दोषों का वर्णन करते हुए कथावाचक विष्णुकांत महाराज ने भक्तों को कलयुग की महिमा के बारे में बताया और कहा कि कलयुग केवल नाम अधारा, सुमिरि सुमिरि नर उतरहि पारा, अर्थात कलयुग में नाम कीर्तन का बड़ा महत्व है। उन्होंने कहा कि सिर्फ हरी का नाम जपने से ही माया रूपी भव सागर से सभी प्राणियों को मुक्ति मिल जाती है ।

कार्यक्रम में सभी भक्तों ने कीर्तन करते हुए कथा रस पान का लाभ लिया। इस दौरान राजा परीक्षित और शुक्रदेव महाराज के जीवन वृत्तांत के सुंदर वर्णन से पूरा पंडाल दर्शकों की तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। बाद में श्रीमद् भागवत कथा समापन पर पूजन और आरती की गई। इसके बाद विशाल भंडारा आयोजित हुआ। देर रात तक चले इस भंडारे के दौरान पंडाल में मौजूद श्रद्धालुओं को सर्बत और पूड़ी सब्जी वितरित की गई।

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