गांव के गलियारों तक होगा सरकारी योजनाओं का प्रचार प्रसार
Suyash Mishra
लखनऊ। जग जागृति के साथ-साथ अगर हमारी कला और संस्कृति का भी संरक्षण हो जाए तो इससे बेहतर और क्या हो सकता है। उत्तर प्रदेश सरकार और सूचना विभाग इसको लेकर हमेशा संजीदा रहा है। खासकर वर्तमान सूचना निदेशक भी इसको लेकर गंभीर दिखाई पड़ते हैं। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि सरकार की कोई भी योजना तभी सार्थक मानी जा सकती है जब उसका लाभ और जानकारी आम आदमी तक पहुंच सके। योजनाओं को जनता तक पहुंचाने के लिए विभिन्न माध्यम हैं। उन्हीं माध्यमों में एक है ‘सांस्कृतिक कला दल’। गायन, नृत्य से लेकर तमाम विधाओं में लोगों तक सरकारी योजनाओं को पहुंचाने का ये सशक्त माध्यम है। इतना ही नहीं इससे हमारी प्राचीन कलाएं भी संरक्षित हैं।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग में इन दिनों सांस्कृतिक कला दलों के चयन की प्रक्रिया चल रही है। पिछले चार दिनों से चली रही इस स्क्रीनिंग में अब तक 2000 दल आ चुके हैं, जिन्होंने अपनी कला का प्रदर्शन किया है। स्क्रीनिंग के दौरान दलों ने विभिन्न सरकारी योजनाओं पर अपनी प्रस्तुति दी है। वर्तमान में सांस्कृतिक दलों की पंजीयन अवधि समाप्त होने के बाद पुनः ऑडिशन के माध्यम से तीन वर्ष के लिए सांस्कृतिक दलों की पंजीयन की प्रक्रिया चल रही है।
इन विधाओं में कलाकार करते हैं योजनाओं का प्रचार वैसे तो उत्तर प्रदेश में नृत्य गायन की कई विधाएं हैं। लेकिन वर्तमान में नुक्कड़ नाटक, सांस्कृतिक दल, जादू, कठपुतली, कव्वाली, नौटंकी समेत लगभग 10 विधाओं के कलाकार अपनी कला के माध्यम से प्रदेश के विभिन्न जिलों में जन जागरूकता एवं सरकारी योजनाओं की जानकारी देते हैं। इन विधाओं में सरकार की योजनाओं के प्रचार प्रसार के साथ साथ हमारी प्राचीन कलाएं भी जीवित दिखाई देती हैं। आगे भी है…
ऑडिशन में कौन हैं शामिल इस ऑडिशन में विभिन्न विभागों के लगभग 10 लोग बतौर जज की भूमिका में हैं। जिसमें संगीत नाटक एकादमी, भातखण्डे, आकाशवाणी, दूरदर्शन, चिकित्सा शिक्षा विभाग, मद्य निषेध विभाग उत्तर प्रदेश, युवा कल्याण आदि विभागों के लोग शामिल हैं। साल 2018 में सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग में करीब 700 दल पंजीकृत थे। कार्यक्रम प्रभारी अशोक सिंह के मुताबिक इस बार ऑडिशन में लगभग 2000 दलों ने परफॉरमेंस दिया है। उम्मीद है कि पंजीकृत दलों की संख्या इस बार दोगुनी से भी ज्यादा हो जाएगी। ये दल यूपी के लगभग सभी जिलों से आए हैं।
क्या कहा प्रभारी अशोक सिंह ने
ashok singh
सरकार आम लोगों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चलाती है, लेकिन जानकारी नहीं होने के कारण लोग योजनाओं का लाभ नहीं ले पाते। सीधे-सीधे लोगों को जानकारी दी जाती है तो उसका उतना असर नहीं होता है। मगर कलाकार अपनी कला के माध्यम से संदेश देते हैं तो उसका गहरा असर होता है। सरकार की नीतियों कार्यक्रमों एवं उपलब्धियों का प्रदेश के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक प्रचार प्रसार हेतु गीत एवं नाट्य विधा के माध्यम से सांस्कृतिक दलों का चयन किया जाता है। इस स्क्रीनिंग के माध्यम से सशक्त टीमें पंजीकृत होंगी और वे गांव-गांव जाकर सरकार की योजनाओं के प्रचारक के रूप में आगे आएंगी।
कलाकारों को कितना मेहनताना मिलता है जानकारी के मुताबिक सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग में पंजीकृत दलों को 1,400 से लेकर 5,600 रुपए तक दिया जाता है। इसमें अलग अलग दलों में सदस्यों की संख्या भी तय है जैसे कठपुतली में कुल 3 सदस्य होते हैं। जादू में लगभग 4 वहीं नुक्कड़ नाटक में करीब 12 सदस्य होते हैं। जबकि लोकगीत में 6 ओर नृत्य में 12 लोग होते हैं।