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स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता के चलते क्षेत्र में चल रहे दर्जनों अवैध क्लीनिक

सीतापुर। जहां पर प्रदेश सरकार द्वारा देश की जनता को स्वास्थ्य संबंधित सभी सुविधाए सरकारी हॉस्पिटल में मुहैया कराने के आदेश दिए गए हैं। जिससे आम जन मानस की जेब पर दवाई के नाम पर अधिक खर्च न उठाना पड़े। वहीं पर स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता के चलते क्षेत्र में मरीजों के साथ अवैध क्लीनिक और झोलाछाप डॉक्टर दवाई के नाम पर मनमानी रकम वसूलने का काम कर रहे हैं। आपको बताते चलें जनपद सीतापुर की सीएचसी कसमंडा से मात्र एक किलोमीटर दूर छोटे से कस्बे मास्टरबाग में बिना किसी डिग्री के एक दर्जन से अधिक डॉक्टर धड़ल्ले से बेखौफ होकर मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करते नजर आ रहे है।

इस समय वायरल उल्टी दस्त बुखार आदि रोगों से पीड़ित मरीज इन्ही डॉक्टरों के पास अक्सर जाते दिखाई पड़ रहे हैं। देखा जाए तो एक छोटे से कस्बे मास्टरबाग में लगभग एक दर्जन बिना डिग्री के डॉक्टर अपना बोर्ड लगाए क्लीनिक चला रहे हैं और प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में मरीजों को दवाई देते नजर आते हैं। क्लीनिक पर बिना किसी आवश्यक सुविधा के होते हुए भी ऑपरेशन से लेकर मरीजों को बोतल चढ़ाने के साथ भर्ती भी किया जाता है। बदले में उन मरीजों से मोटी रकम वसूल कर अपनी जेबें भरने का काम कर रहे हैं। इन अवैध चलते क्लीनिकांे पर लगती मरीजों की भीड़ सरकारी अस्पताल और उनके डॉक्टरों पर कही न कही सवालिया निशान जरूर खड़ा करती है? कस्बे में बिना आवश्यक सुविधाओं के संचालित एक क्लीनिक पर जब इस संबंध में बात की गई तो वहां पर उपस्थित डॉक्टर के सहयोगी ने बड़े रौब से बताया कि हम स्वास्थ्य विभाग को समय समय पर समझ लेते हैं और अपनी क्लीनिक चला रहे हैं।

कोई नया धंधा थोड़े ही है हम लोग वर्षो से अपना क्लीनिक चलाते आ रहे हैं। यहां के अधिकारियों से हमारी खूब पटती है। इन क्लीनिकों में शामिल मां शांति हॉस्पिटल, एसके हॉस्पिटल, ईए पॉलीक्लीनिक, एसके क्लीनिक, डॉक्टर पुतान डॉक्टर बंगाली, डॉक्टर विश्वास, डॉक्टर अशोक, डॉक्टर गुरुप्रसाद, बरेठी रोड जुड़ौरा रोड पर संचालित क्लीनिकांे के साथ-साथ बिना बोर्ड बैनर के कस्बे में अनेकों क्लीनिक चल रहे हैं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि यह सभी क्लीनिक कस्बे में मेन रोड बिसवां, बरेठी और कमलापुर रोड पर ही चल रहे हैं। सवाल यह उठता है कि क्या स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों की नजर क्षेत्र के इन बिना डिग्री के डॉक्टरों के द्वारा संचालित क्लीनिकांे के ऊपर नहीं पड़ती है या फिर स्वास्थ्य विभाग को मिल जाता है। महीने का खर्चा के साथ मिली भगत से चल रहे हैं यह क्लीनिक।

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